फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेन्स में नेशनल असेंबली को भंग करने और स्नैप चुनाव की तिथियों का एलान किया। इन चुनावों का आयोजन 30 जून और 7 जुलाई को होगा। यह फैसला यूरोपीय चुनावों में दूर-दराज दल नेशनल रैली के ऐतिहासिक उभार के बाद आया है। इसमें मैक्रों की पार्टी के अल्पमत सरकार की कठिनाईयों का भी समावेश है जो संसद को बायपास करते हुए शासन कर रही थी।
नेशनल असेंबली का अंतिम बार डिसॉल्यूशन 1997 में हुआ था, जब राष्ट्रपति जैक शिराक ने ऐसा कदम उठाया था। वर्तमान स्थिति में मैक्रों द्वारा उठाया गया यह कदम एक बड़ा राजनीतिक फेरबदल माना जा रहा है। इससे एक बार फिर वोटरों को अपनी आवाज देने का मौका मिलेगा।
यूरोपीय चुनावों में वोटरों की भारी संख्या ने मतदान प्रतिशत को 1994 के बाद सबसे अधिक कर दिया है। इसके पीछे 2019 में चुनाव प्रणाली में किए गए सुधारों का मुख्य योगदान है, जिसमें एकल राष्ट्रीय निर्वाचन क्षेत्र की शुरुआत की गई थी।
इन चुनावों में मुख्य भागीदारी नेशनल रैली, फ्रांस अनबाउंड, और रेनैसंस जैसी पार्टियों की होगी। चुनाव प्रणाली में सुधार ने वोटरों को प्रत्याशियों और मुद्दों को बेहतर तरीके से पहचाने का अवसर दिया है। यहां तात्कालिक मुद्दों के संदर्भ में देखा जाए तो यह चुनाव मैक्रों के लिए जनमत संग्रह की तरह होंगे।
मैक्रों की सरकार की दैनिक कार्यप्रणाली में संसद को बायपास करने के लिए आए दिन आर्टिकल 49.3 का इस्तमाल होने की वजह से सरकार पर दबाव बना हुआ है। अब इन तनावपूर्ण परिस्थितियों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इन चुनावों के पर्दे के पीछे से कौन-कौन से राजनीतिक चेहरे और विचारधाराएं उभर कर आती हैं।
नए चुनावों के मद्देनजर कई सवाल सामने खड़े हैं: क्या नेशनल असेंबली में पहले की तरह राजनीतिक विभाजन बना रहेगा? क्या वामपंथी गठबंधन NUPES के सत्ता संतुलन में कोई बदलाव आएगा? क्या नेशनल रैली के साथ सहमति बनाने की संभावनाएं हैं?
इन प्रश्नों का उत्तर वाकई महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इनसे भविष्य की राजनीति के कई सुराग मिलेंगे। मैक्रों की यह घोषणा उनके राजनीतिक करियर और फ्रांस के भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकती है। जनता की प्रतिक्रिया और राजनीतिक दलों की रणनीतियां आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी।
महत्वपूर्ण पोलिटिकल फिगर्स जैसे मैक्रों, मरीन ले पेन, जीन-लुक मेलेंचॉन, जॉर्डन बार्डेला, गेब्रियल अटाल, जैक शिराक, और लायनेल जोस्पिन इन चुनावों में प्रमुख बन कर उभरेंगे।
फ्रांस की वर्तमान राजनीतिक स्थिति विषम और चुनौतीपूर्ण है। राष्ट्रपति मैक्रों की कोशिश है कि वे जनता के सामने अपनी पार्टी की छवि को पुनः सशक्त करें। हालांकि, नेशनल रैली और अन्य विपक्षी दल अपनी सक्रीयता से इस मुकाबले को तीखा बना देंगे। यूरोप में राजनीतिक सरगर्मी के इस माहौल में फ्रांस के इन चुनावों के परिणाम पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
अंततः, फ्रांस के इन स्नैप चुनावों की राह में कई चुनौतियां और संभावनाओं से भरी राह होगी। जनता को अपनी बुद्धिमता का सही उपयोग करना होगा और अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए सही निर्णय लेना होगा।