गो डिजिट आईपीओ: एक नई राह
23 मई को गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस ने अपने आईपीओ के माध्यम से शेयर बाजार में कदम रखा। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे महत्वपूर्ण निवेशकों द्वारा समर्थित यह कंपनी शुरुआत में ही 272 रुपये के मूल्य पर 5.14% प्रीमियम के साथ 286 रुपये पर लिस्ट हुई। इस दौरान आईपीओ को 9.6 गुना अधिक मांग मिली, जो कि निवेशकों के मजबूत भरोसे को दर्शाता है।
गो डिजिट आईपीओ का कुल मूल्य 2,614.65 करोड़ रुपये था, जिसमें 1,125 करोड़ रुपये नए शेयर डिजिट जनरल इंश्योरेंस के द्वारा जारी किए गए थे। 5.48 करोड़ शेयर बेचे गए थे, जिनकी कीमत 1,489.65 करोड़ रुपये अधिग्रहित हुई। इस आईपीओ ने निवेशकों के अनेक वर्गों से अच्छी-खासी रुचि प्राप्त की।
प्रमुख निवेशक और उनकी भागीदारी
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि गो डिजिट ने प्रमुख निवेशकों के ब्याज को भी आकर्षित किया। विशेष रूप से, रिटेल निवेशकों ने अपने आवंटित कोटे का 4.27 गुना सब्सक्राइब किया, जबकि गैर-संस्थागत निवेशकों ने अपने हिस्से का 7.24 गुना हासिल किया। इसके अलावा, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) ने इसे 12.56 गुना सब्सक्राइब किया।
जीवन तरीके को और भी मजबूत बनाते हुए, कंपनी ने अपने आईपीओ से पहले प्रमुख निवेशकों से 1,176 करोड़ रुपये एकत्र किए थे, जिनमें प्रसिद्ध निवेश कंपनियाँ जैसे कि फिडेलिटी, एडीआईए, और बे पांड पार्टनर्स शामिल थीं।
कंपनी का भविष्य और योजनाएं
गो डिजिट के आईपीओ से प्राप्त राशि का प्रयोग कंपनी ने अपने व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा करने और अपने ब्रांड की दृश्यता को बढ़ाने के लिए किया है। 2016 में स्थापित इस बीमा कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो में स्वास्थ्य, यात्रा, और संपत्ति बीमा जैसी अलग-अलग उत्पादों को शामिल किया है, जिससे वह बाजार में अपनी मजबूती बढ़ा सकें।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कल्याण कृष्णमूर्ति ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आईपीओ में मिली अच्छी प्रतिक्रिया ने उन्हें अपने व्यवसायिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए और भी प्रेरित किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी अब और अधिक विस्तारीकरण की दिशा में कार्य करेगी, जिससे उसका प्रभाव बाजार में और भी मजबूत हो सके।
आईपीओ के इस सशक्त शुरुआत से कंपनी को न केवल अपने व्यवसाय को विस्तार देने में मदद मिलेगी, बल्कि निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा। गो डिजिट की योजना है कि वह अपनी सेवाओं को बेहतर बनाए और अधिक लोगों तक पहुंचाए, जिससे वह बीमा क्षेत्र में अपनी पहचान और भी मजबूत बना सके।
भारतीय बीमा बाजार में गो डिजिट की भूमिका
भारतीय बीमा बाजार में गो डिजिट एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है। अपने नवीन और तकनीक-संवर्धित उत्पादों के माध्यम से, कंपनी ने बीमा के परंपरागत तरीकों को बदल दिया है।
एक ओर, कंपनी का स्वास्थ्य बीमा सेक्टर में प्रमुख योगदान है, जिसमें उसने कई नई और लाभकारी योजनाएं पेश की हैं। दूसरी ओर, यात्राएं और संपत्ति बीमा क्षेत्र में भी गो डिजिट ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। इसके अलावा, कंपनी का प्रबंधन अपने ग्राहकों को स्मार्ट और त्वरित सेवाएं देने के लिए तत्पर है।
एक सफल आईपीओ के माध्यम से, गो डिजिट ने अपने आगामी योजनाओं को साकार करने के लिए आवश्यक वित्तपोषण प्राप्त कर लिया है। अब देखना यह होगा कि कंपनी अपनी योजनाओं को कैसे कार्यान्वित करती है और बाजार में अपनी पहचान को और भी सुदृढ़ बनाती है।
निष्कर्षस्वरूप, गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस का आईपीओ एक साहसिक कदम का प्रतीक है, जिसने अपने शुरुआती दिनों में ही ध्यान खींचा और निवेशकों का भरोसा जीता। आगामी समय में, कंपनी अपने कुशल प्रबंधन और रणनीतिक विशेषज्ञता के बल पर बीमा क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।
Kiran Meher
25 मई, 2024 - 14:22 अपराह्न
ये तो बहुत बढ़िया बात है भाई! गो डिजिट ने असली टेक-सेवा बीमा का नया रुख दिखाया है। जब तक बीमा कंपनियां इतनी तेज़ी से डिजिटल हो रही हैं तब तक हम लोग भी अपने जीवन को सुरक्षित रखने का नया तरीका सीख रहे हैं। बहुत अच्छा लगा ये आईपीओ।
Tejas Bhosale
25 मई, 2024 - 19:27 अपराह्न
लिस्टिंग प्रीमियम तो है लेकिन असली वैल्यू तो उसके ओपरेशनल लेवरेज और एआई-बेस्ड रिस्क मॉडलिंग में है। QIBs का 12.56x सब्सक्रिप्शन इंडिकेट करता है कि इन्स्टीट्यूशनल कैपिटल ने डेटा-ड्रिवन अंडरव्राइटिंग को समझ लिया है। रिटेल अभी भी ब्रांड एंडोर्समेंट पर भरोसा कर रहा है।
Asish Barman
27 मई, 2024 - 14:08 अपराह्न
272 pe 5.14% premiym? bhai yeh toh normal hai 2024 mein. sab kuch premium lagta hai ab. kya baat hai 10 saal pehle jab 100 rupaye ka share 120 pe list hua tha aur log bolte the ye toh bubble hai. ab toh koi bhi company jo logo ke saamne aaye woh premium hai. kuch nahi hua bas hype badha diya.
Abhishek Sarkar
29 मई, 2024 - 05:14 पूर्वाह्न
ये सब बातें तो बस एक बड़े फ्रॉड का हिस्सा है। विराट कोहली को बीमा कंपनी का ब्रांड अम्बेसडर बनाया गया है लेकिन असल में ये सब फंड्स बाहरी निवेशकों को भगा रहे हैं। जब तक आप अपनी जेब से पैसा नहीं लगाते तब तक ये सब बहुत अच्छा लगता है। लेकिन जब आप देखेंगे कि आपके पैसे कहाँ जा रहे हैं तो आपको पता चल जाएगा कि ये सब एक बड़ा गेम है।
Baldev Patwari
30 मई, 2024 - 02:05 पूर्वाह्न
अरे भाई ये आईपीओ तो बस एक बड़ा शो है। बीमा कंपनी जो अपने ग्राहकों को नहीं समझती वो आईपीओ के लिए तैयार हो जाती है। इनके बीमा पॉलिसी में छिपे शर्तें देखो तो लगता है कि ये लोग बीमा नहीं बल्कि टैक्स बचाने का तरीका बेच रहे हैं। निवेशकों को धोखा देने के लिए विराट कोहली का चेहरा लगा दिया। बहुत बुरा लगा।
harshita kumari
30 मई, 2024 - 23:18 अपराह्न
इन सब आईपीओ के पीछे एक बड़ी योजना है। जब तक आप इसे नहीं समझ पाएंगे तब तक आपका पैसा बाहर जा रहा है। क्या आपने कभी सोचा कि ये कंपनियां जो बड़े बड़े निवेशकों को लाती हैं वो फिर अपने लाभ के लिए शेयर बेच देती हैं? ये सब एक बड़ा बाजार नियंत्रण अभियान है। अगर आप निवेश करते हैं तो आप उसके शिकार बन रहे हैं।
SIVA K P
1 जून, 2024 - 17:46 अपराह्न
तुम लोग इतने खुश क्यों हो रहे हो? ये कंपनी तो बस एक ब्रांडिंग फेक है। विराट कोहली का नाम लगाकर बच्चों को भरोसा दिलाया जा रहा है। आप लोगों को लगता है ये बीमा है? नहीं ये एक फाइनेंशियल गेम है जहां आपका पैसा दूसरों की जेब में जा रहा है। तुम लोग तो बस बेवकूफ बन रहे हो।
Neelam Khan
2 जून, 2024 - 05:27 पूर्वाह्न
मैं तो बहुत खुश हूँ कि एक नई बीमा कंपनी आ रही है जो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है। बहुत सारे लोग अभी भी बीमा को डरावना समझते हैं। अगर ये कंपनी अच्छी सेवाएं देती है तो ये बहुत बड़ी बात है। मैं अपने दोस्तों को भी इसके बारे में बताऊंगी। बहुत अच्छा काम कर रहे हो!
Jitender j Jitender
3 जून, 2024 - 04:29 पूर्वाह्न
एआई-बेस्ड प्रीमियम कैलकुलेशन और रियल-टाइम क्लेम प्रोसेसिंग इसकी सबसे बड़ी ताकत है। जब तक बीमा डिजिटल नहीं होगा तब तक भारत का बीमा बाजार अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाएगा। गो डिजिट ने यही ट्रांसफॉर्मेशन शुरू कर दिया है। QIBs का अधिक सब्सक्रिप्शन इस बात का संकेत है कि इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स टेक-ड्रिवन मॉडल्स को समझ रहे हैं।
Jitendra Singh
4 जून, 2024 - 00:07 पूर्वाह्न
तुम सब इतने खुश क्यों हो रहे हो? ये तो बस एक और फेक डिजिटल ब्रांड है। बीमा कंपनियां तो हमेशा से बड़े लोगों के पैसे चुराने के लिए ही बनी हैं। अब तुम लोग इसे इनोवेशन कह रहे हो? ये तो बस नया नाम बदल दिया है। जब तक तुम अपनी जेब से पैसा नहीं लगाते तब तक ये सब बहुत अच्छा लगता है।
VENKATESAN.J VENKAT
5 जून, 2024 - 13:56 अपराह्न
मैं तो ये कहना चाहूंगा कि ये आईपीओ भारतीय उद्यमिता की जीत है। एक भारतीय कंपनी ने अपने आप को वैश्विक मानकों पर खड़ा कर दिया है। ये विराट कोहली का नाम नहीं बल्कि भारत की ताकत है। जो लोग इसे फ्रॉड कह रहे हैं वो बस अपनी नाकामयाबी को दूसरों के ऊपर ढोंग बना रहे हैं। गो डिजिट भारत के लिए गर्व का विषय है।
Amiya Ranjan
6 जून, 2024 - 22:31 अपराह्न
अच्छा है जो बीमा कंपनी ने अच्छा आईपीओ किया। लेकिन ये बात भूल रहे हो कि इनके बीमा पॉलिसी में छिपी शर्तें कितनी जटिल हैं। आपको जब बीमा क्लेम करना होगा तो आपको पता चल जाएगा कि ये सब बस एक फेक है। बहुत सारे लोग इस तरह के आईपीओ में फंस जाते हैं।
vamsi Krishna
7 जून, 2024 - 08:18 पूर्वाह्न
286 pe list hua? bhai 272 pe hi hona chahiye tha. ye toh overhyped hai. aur 9.6x subscription? bhai 10 saal pehle jab 2x subscription hota tha toh log bolte the ye toh bahut achha hai. ab 9x dekh kar log khush ho rahe hain. kya baat hai.
Narendra chourasia
7 जून, 2024 - 20:46 अपराह्न
ये सब बातें बस एक बड़ा धोखा है! ये कंपनी आपके डेटा को चोरी कर रही है, आपके व्यक्तिगत जीवन को ट्रैक कर रही है, और फिर आपके बीमा पॉलिसी में छिपे शर्तों के आधार पर आपका क्लेम रिजेक्ट कर देगी। आप लोग इतने खुश क्यों हो रहे हो? ये तो एक बड़ा डिजिटल शोषण है।
Mohit Parjapat
8 जून, 2024 - 03:20 पूर्वाह्न
भारत ने फिर से दुनिया को दिखा दिया! गो डिजिट ने बस एक आईपीओ नहीं किया, बल्कि एक नया इतिहास लिख दिया। विराट कोहली का नाम लगाने की जरूरत नहीं थी, हमारे युवाओं ने अपनी ताकत से ये कर दिखाया। ये बीमा नहीं, ये भारतीय आत्मविश्वास है। जय हिन्द!
vishal kumar
9 जून, 2024 - 06:17 पूर्वाह्न
आईपीओ की वित्तीय गतिविधि एक आर्थिक संकेत है जो बाजार के विश्वास को दर्शाती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि कंपनी का व्यावहारिक आधार अच्छा है। विश्लेषण के लिए वित्तीय विवरणों का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है।
Kiran Meher
9 जून, 2024 - 09:19 पूर्वाह्न
ये बात तो सच है। लेकिन अगर बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों को नहीं समझतीं तो फिर ये आईपीओ क्यों हुआ? अगर बाजार में विश्वास नहीं होता तो क्या इतना ज्यादा सब्सक्रिप्शन होता? मैं तो ये कहूंगा कि ये एक नई शुरुआत है।