हर रोज़ समाचार में यौन उत्पीड़न के नए‑नए मामले आते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि यह सिर्फ ऑफिस या कैंपस तक सीमित है, लेकिन असल में ये स्कूल, ट्रेन, बाजार… कहीं भी हो सकता है। अगर आप या आपका कोई जानने वाला ऐसी स्थिति में फँस गया तो घबराने की जरूरत नहीं – सही कदम उठाकर समस्या को रोक सकते हैं.
सबसे पहला काम है घटना का दस्तावेज़ीकरण. तारीख, समय, स्थान और गवाहों के नाम लिख लें। अगर संभव हो तो मोबाइल या कैमरा से साक्ष्य ले लें (बिना किसी की गोपनीयता तोड़े). ये रिकॉर्ड भविष्य में पुलिस रिपोर्ट या अदालत में बहुत मददगार साबित होते हैं.
2024‑25 में कई हाई‑प्रोफ़ाइल केस सामने आए – फिल्म इंडस्ट्री की डिपार्टमेंटल स्कैंडल से लेकर छोटे शहरों में स्कूल की रिपोर्ट तक. इन केसों ने यह दिखाया कि सिर्फ सख़्त क़ानून ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है. जब मीडिया इन मुद्दों को खुलकर सामने लाती है तो सार्वजनिक दबाव बढ़ता है और अक्सर जल्दी कार्रवाई होती है.
जिन मामलों में पीड़ित ने तुरंत शिकायत दर्ज करवाई, वहाँ सख़्त दंड मिलने की संभावना अधिक रही। वहीं कई बार देर से रिपोर्ट करने पर सबूत कमजोर हो जाते हैं, इसलिए समय बर्बाद न करें.
भारत में यौन उत्पीड़न को रोकने वाले मुख्य कानून हैं – महिला शक्ति सशक्तिकरण अधिनियम (विभाग 19) और आपराधिक न्याय संहिता की धारा 354, 376 आदि. ये कानून पीड़ित को तुरंत FIR दर्ज करवा सकते हैं और कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं.
सुरक्षा के लिए कुछ आसान कदम अपनाएँ: सार्वजनिक जगहों पर अकेले न रहें, भरोसेमंद मित्र या परिवार को अपने प्लान की जानकारी दें, और अगर काम‑स्थल में उत्पीड़न हो रहा है तो एचआर विभाग या राष्ट्रीय हेल्पलाइन (181) से संपर्क करें.
हमारी टैग पेज "यौन उत्पीड़न" पर आप रोज़ाना अपडेटेड केस स्टडीज़, कानूनी सलाह और मदद के लिए NGOs की लिस्ट पा सकते हैं. यहाँ पढ़े गए लेख सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि कार्रवाई का पहला कदम हो सकता है.
यदि आपको या आपके आस‑पास किसी को तुरंत मदद चाहिए तो स्थानीय पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराएँ, साथ ही महिला हेल्पलाइन 1091 पर कॉल करें। याद रखें, चुप रहना अपराधी को फायदा देता है, आवाज़ उठाना न्याय दिलाता है.
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद मानवाधिकार मंत्री सिल्वियो आल्मेडा को हटा दिया है। यह निर्णय कई महिलाओं द्वारा आरोप लगाने के बाद लिया गया, जिसमें नस्लीय समानता मंत्री अनेल फ्रैंको भी शामिल हैं। इस मामले ने ब्राज़ील में व्यापक रोष उत्पन्न किया और लूला ने त्वरित कार्रवाई की।
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