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इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का इतिहास रचा

इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का इतिहास रचा

इंदौर: स्वच्छता की नई पहचान

इंदौर ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। आठवीं बार नंबर-1 बनने के साथ इंदौर ने इतिहास रच दिया। 17 जुलाई, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेता शहरों को सम्मानित किया। इंदौर अकेला ऐसा शहर है, जो हर साल नए मापदंडों पर खरा उतरकर अपनी पहचान बनाए हुए है।

‘सुपर स्वच्छ लीग’ की बात करें तो इंदौर का नाम पहली पंक्ति में नजर आता है। इस लीग में वही शहर आते हैं, जिन्होंने अब तक स्वच्छता स्तर को नई ऊंचाई पर पहुँचाया है। इंदौर के साथ सूरत, नवी मुंबई और विजयवाड़ा भी शामिल हैं। लेकिन घर-घर कचरा संग्रहण, कचरा पृथक्करण, नगरीय अपशिष्ट प्रबंधन, और जनता की भागीदारी पर इंदौर सबसे आगे रहा।

अन्य शहरों की भागीदारी और नई रैंकिंग्स

बड़े शहरों (10 लाख से अधिक आबादी) की रैंकिंग में इंदौर के बाद सूरत दूसरे और नवी मुंबई तीसरे स्थान पर रहे। इन शहरों ने भी सफाई, हरियाली, कचरा प्रोसेसिंग, और कोविड अवधि में स्वच्छता बनाए रखने जैसे मापदंडों पर बेहतर प्रदर्शन किया। सफाई में केवल सरकार या नगर निगम ही नहीं, आम नागरिक भी बराबर भागीदार बने, जिससे ये नतीजे आए।

छोटे और मीडियम टाउन की बारी आई तो भी कई नए नाम चमके। हरियाणा का करनाल पहली बार 50,000 से 3 लाख आबादी की कैटेगरी में तीसरे स्थान पर आया। 3-10 लाख वर्ग में नोएडा, चंडीगढ़ और मैसूर विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे। इन शहरों ने भी स्थानीय स्तर पर स्थायी स्वच्छता मॉडल बनाए और सार्वजनिक शौचालय, कचरा पृथक्करण जैसी सुविधाओं पर जोर दिया।

इस बार सर्वेक्षण में खास कैटेगरी जैसे ‘गंगा टाउन’, ‘कैंटोनमेंट बोर्ड्स’ और ‘सफाई मित्र सुरक्षा’ जैसी पहलकदमियों को भी शामिल किया गया। गंगा किनारे बसे शहरों की सफाई, सैन्य छावनियों की व्यवस्था और सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के नए प्रयासों को एक बेंचमार्क की तरह देखा गया।

इंदौर की लगातार जीत के पीछे मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली है। यहां हर मोहल्ले में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन होता है, कचरा प्रोसेसिंग प्लांट्स से खाद और ईंधन तैयार होता है, और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से हर गाड़ी की मूवमेंट ट्रैक होती है। शहर भर में सफाई पर जागरूकता अभियान चलते हैं, स्कूल से लेकर कॉलोनियों तक बच्चे-बूढ़े इसमें हाथ बंटाते हैं।

स्वच्छता अभियान को लेकर शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा अब देशव्यापी आंदोलन बन गया है। इंदौर और अन्य स्वच्छ शहरों के अनुभव दिखाते हैं कि जब आम लोग, प्रशासन और तकनीक साथ आएं, तो कोई भी शहर कचरे-मुक्त और स्वच्छ बन सकता है।

Sukh Malik

Sukh Malik

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