दिवाली मनाने के पश्चात दिल्ली की वायु गुणवत्ता में अप्रत्याशित गिरावट देखी गई, जिससे निवासियों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 330 का आंकड़ा पार कर लिया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। दिवाली की रात होते-होते 10 बजे तक, फायरक्रैकर्स के धमाके और उनके बाद का धुआं आसमान में फैल गया, जो शहर में गहरे तमस की चादर फैला गया।
दिल्ली में फायरक्रैकर्स के चलते ना केवल धुएं का संकट गहराया, बल्कि शोर और ध्वनि प्रदूषण में भी भारी वृद्धि हुई। बावजूद इसके कि पिछले पाँच वर्षों से पटाखों पर सख्त प्रतिबंध था, इस बार भी उल्लंघनों की खबरें कई जगहों पर सामने आई। आनंद विहार जैसे क्षेत्रों में स्थिति और भी विकराल थी, जहाँ AQI 'गंभीर' स्तर पर दर्ज किया गया। इन क्षेत्रों में वायु में PM2.5 प्रदूषक कणों का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया, जो खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगों से पीड़ित लोगों के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हुआ।
दिल्ली सरकार ने इस बार फिर से पटाखों पर रोक लगाने के लिए 377 प्रवर्तन दलों की तैनाती की थी। इन्हें सुनियोजित तरीके से स्थानीय समूहों के साथ मिलकर उल्लंघनों को रोकने के लिए लागू किया गया। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंध के पालन की चाक-चौबंद निगरानी के लिए उन्होंने पुलिस बल की भी सहायता ली। इन प्रयासों के बावजूद, पूर्व और पश्चिम दिल्ली के कई क्षेत्रों में उल्लंघन की घटनाएं दर्ज की गईं।
दिल्ली के अलावा, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ जैसे अन्य इलाकों में भी वायु गुणवत्ता के बिगड़ने की समस्या देखी गई। इन क्षेत्रों में AQI 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में था। गुरुग्राम का AQI 322, जिंद का 336, चरखी दादरी का 306 और चंडीगढ़ का 239 दर्ज किया गया। दिल्ली में निरंतर होते प्रदूषण की इस लहर का एक कारण प्रतिकूल मौसम भी है, जिसके चलते फसल अवशेष जलाने और वाहनों के उत्सर्जन का भी असर दिखाई दे रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण के इस महाजाल में घिरकर, यह पिछले वर्षों की याद दिलाता है जब 2020 में भी प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी नागरिकों को योगदान देना होगा। न सिर्फ स्वयं फायरक्रैकर्स जलाने से बचना चाहिए बल्कि अपने आस-पास के वातावरण को भी प्रदूषण मुक्त रखने का प्रयास करना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा में सहयोग के लिए समय पर मास्क पहनें और अन्य एहतियाती कदम उठाएं।
जब तक हम सभी मिलकर इस ओर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक न तो हवा में सुधार होगा और न ही हमारा स्वास्थ्य सुरक्षित रहेगा।