निपाह वायरस से पीड़ित केरल के लड़के की मौत के बाद केंद्र ने चार तात्कालिक कदम सुझाए

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निपाह वायरस से पीड़ित केरल के लड़के की मौत के बाद केंद्र ने चार तात्कालिक कदम सुझाए

केरल में निपाह वायरस का प्रकोप: स्वास्थ्य मंत्रालय ने चार तात्कालिक कदम सुझाए

केरल के मल्लापुरम जिले में एक 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस से मौत हो गई है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य को चार तात्कालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने की सलाह दी है। लड़के ने तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के लक्षण दिखाए थे और उसे पहले पेरिन्थलमन्ना के एक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया था। इसके बाद उसे कोझिकोड के एक उच्च स्वास्थ्य केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे द्वारा किए गए परीक्षणों में निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई।

केंद्र के चार तात्कालिक उपाय

केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने केरल सरकार को चार तात्कालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने की सलाह दी है। इनमें पहला उपाय है सक्रिय मामले खोज और संपर्क ट्रेसिंग। दूसरा उपाय है संपर्कों का क्वारंटाइन और संदिग्धों का आइसोलेशन। तीसरा उपाय है संभावित संपर्कों से नमूने एकत्र करना और उनका परीक्षण करना। चौथा और अंतिम उपाय है, नेशनल 'वन हेल्थ मिशन' से एक बहु-सदस्यीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया टीम को तैनात करना, जो मामले की जांच में सहायता करेगी और तकनीकी सहायता प्रदान करेगी।

प्रभावित क्षेत्र में तुरंत कदम उठाए गए

प्रभावित क्षेत्र में तुरंत कदम उठाए गए

जैसे ही निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्र में तुरंत कदम उठाए। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने राज्य के अनुरोध पर रोगी प्रबंधन के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भेजी, लेकिन लड़के की खराब सामान्य स्थिति के कारण उन्हें इसके प्रबंध में नहीं लाया जा सका। कोझिकोड में संपर्कों से अतिरिक्त नमूने परीक्षण के लिए मोबाइल बायोसाइफ्टी लेवल-3 (BSL-3) प्रयोगशाला पहुंचाई गई।

केरल में निपाह वायरस का इतिहास

केरल में निपाह वायरस का इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब केरल में निपाह वायरस के मामले सामने आए हैं। हाल ही के वर्षों में भी राज्य को इस घातक वायरस का सामना करना पड़ा है। कोझिकोड जिले में 2023 में निपाह वायरस के प्रकोप के मामले सामने आए थे। निपाह वायरस मुख्य रूप से फल-चमगादड़ों द्वारा फैलता है और संक्रमित फलों के मानव उपभोग के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है।

सार्वजनिक जागरूकता और सावधानियां

इस वायरस के प्रकोप के बाद से, स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है। लोगों को संक्रमित फलों से दूर रहने, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने, और संदिग्ध लक्षणों के मामले में त्वरित रूप से चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने बीमारी फैलने से रोकने के लिए विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। विशेषकर, स्कूली बच्चों और बुजुर्गों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

निपाह वायरस का प्रकोप न केवल स्वास्थ्य के लिहाज से गंभीर है बल्कि यह समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रभाव डालता है। मामलों की पहचान से लेकर उनके प्रबंधन और अंततः प्रकोप को नियंत्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए एक सशक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और त्वरित प्रतिक्रिया टीम की आवश्यकता होती है।

9 टिप्पणि

Imran khan

Imran khan

22 जुलाई, 2024 - 19:04 अपराह्न

ये वायरस तो हर बार एक ही तरह से फैलता है-फल-चमगादड़, गंदे पानी, और फिर लोग बीमार हो जाते हैं। हम इसे रोकने के लिए टीके की तलाश में हैं, लेकिन बुनियादी स्वच्छता के बारे में क्या? एक साधारण साबुन और पानी इस वायरस को रोक सकता है।

Abhishek gautam

Abhishek gautam

23 जुलाई, 2024 - 00:32 पूर्वाह्न

इस तरह के प्रकोप तो भारत के स्वास्थ्य ढांचे की निरंतर असमर्थता का परिणाम हैं। हम एक बार फिर एक बच्चे की मौत के बाद चिंता जता रहे हैं, जबकि गाँवों में बेसिक वैक्सीनेशन तक नहीं है। हम निपाह वायरस के लिए नहीं, बल्कि अपनी अनुशासनहीनता के लिए दंडित हो रहे हैं। यह न केवल एक स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि एक सामाजिक असफलता है।

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

23 जुलाई, 2024 - 11:24 पूर्वाह्न

क्या आप लोगों ने ये देखा कि इस बच्चे को दो अलग-अलग अस्पतालों में भेजा गया? ये बस एक बच्चा नहीं, ये एक पूरी निकाय की असमर्थता की कहानी है। जब तक हम अपने स्वास्थ्य बजट को गाँवों तक नहीं पहुँचाएंगे, तब तक ये मौतें जारी रहेंगी। ये बस एक वायरस नहीं, ये एक राष्ट्रीय अपराध है।

vishal kumar

vishal kumar

24 जुलाई, 2024 - 02:16 पूर्वाह्न

प्रकोप प्रतिक्रिया के लिए एक बहु-सदस्यीय टीम की आवश्यकता होती है यह सही है लेकिन यह टीम किसके द्वारा नियुक्त की जाती है और किस तरह की तकनीकी सहायता दी जाती है इस पर ध्यान नहीं दिया जाता

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

25 जुलाई, 2024 - 18:40 अपराह्न

केरल के लोग बहुत जागरूक हैं इसलिए ये नियंत्रण संभव हुआ

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

26 जुलाई, 2024 - 23:17 अपराह्न

निपाह वायरस का जीनोम एनालिसिस दिखाता है कि ये एक जीनेटिक एवोल्यूशन का परिणाम है जो फल-चमगादड़ से मानव पारिस्थितिकी में ट्रांसमिशन के कारण हुआ। यह एक जीव-विज्ञानीय संक्रमण है जिसे सामाजिक असमानता और अतिरिक्त वनों की कटाई ने तेज किया है।

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

26 जुलाई, 2024 - 23:59 अपराह्न

ये सब बहुत अच्छा है लेकिन क्या आपने कभी देखा कि गाँवों में लोग बैग में लाल आम लेकर आते हैं? उन्हें नहीं पता कि ये चमगादड़ों के लिए बहुत आकर्षक हैं। जागरूकता नहीं, बल्कि व्यवहारिक बदलाव चाहिए।

pradipa Amanta

pradipa Amanta

28 जुलाई, 2024 - 13:09 अपराह्न

केरल ने इसे नियंत्रित किया लेकिन उत्तर प्रदेश में तो बच्चे टीके के बिना मर रहे हैं और आप यहाँ निपाह के बारे में बात कर रहे हैं

chandra rizky

chandra rizky

28 जुलाई, 2024 - 16:36 अपराह्न

बहुत अच्छा हुआ कि नेशनल वन हेल्थ मिशन की टीम भेजी गई 😊 ये एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे राष्ट्रीय सहयोग से छोटे राज्यों की मदद की जा सकती है। आशा है ये मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी अपनाया जाएगा 🙏

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