शौर्य गोयल: पंजाब के नेटर पटेल जिन्होंने NEET में पहला स्थान हासिल किया

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शौर्य गोयल: पंजाब के नेटर पटेल जिन्होंने NEET में पहला स्थान हासिल किया

शौर्य गोयल की प्रेरक सफलता के किस्से

पंजाब के छोटे से शहर बुधलाडा के रहने वाले शौर्य गोयल ने पूरे देश में नाम कमाया है। 17 साल के इस युवा ने NEET परीक्षा में 720/720 का दमदार स्कोर हासिल करते हुए ऑल इंडिया रैंक 1 प्राप्त की है। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन शौर्य की मेहनत और उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें यह सफलता दिलाई। उनके माता-पिता दोनों ही चिकित्सक हैं। उनके पिता डॉ. सुनील कुमार गोयल एक प्रतिष्ठित सर्जन हैं और उनकी मां डॉ. शालिका गोयल एक जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

प्रेरणा और समर्थन

शौर्य को उनके माता-पिता से बहुत प्रोत्साहन मिला। उन्होंने चंडीगढ़ में हेलिक्स संस्थान से अपनी तैयारी शुरू की। वहाँ उन्होंने प्रतिदिन 8-10 घंटे की कड़ी पढ़ाई की। शौर्य ने बताया कि उनके शिक्षक उनके लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्त्रोत थे और उन्होंने हमेशा अपने शिक्षकों के निर्देशों का पालन किया।

शौर्य की मेहनत और अभिनव सोच का यह परिणाम है कि उन्होंने NEET में शीर्ष स्थान प्राप्त किया। शौर्य ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया - उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी और एक सामान्य कीपैड फोन का इस्तेमाल किया, ताकि उनका ध्यान पूरी तरह से पढ़ाई पर केंद्रित रहे।

अध्ययन और संतुलन

शौर्य का मानना है कि पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। वो पढ़ाई के अलावा क्रिकेट और बैडमिंटन खेलने का भी शौक रखते हैं। इससे उनके मन को ताजगी मिलती और वे परीक्षा की तैयारी के भारी दबाव से दूर रह पाते थे।

शौर्य का यह मानना है कि सफलता के लिए सही दिशा में कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प जरूरी है। उनका यह भी कहना है कि शिक्षक और माता-पिता का समर्थन किसी भी विद्यार्थी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

परिवार का योगदान

शौर्य के पिता डॉ. सुनील कुमार गोयल ने भी इस सफ़लता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवार ने चंडीगढ़ में शिफ्ट होकर शौर्य की तैयारी की दृष्टि से पूर्ण सहयोग दिया। यह उनके पारिवारिक समर्थन और सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि शौर्य इस मुकाम तक पहुंच सके।

शौर्य की इस अभूतपूर्व सफलता ने अनेक युवा छात्रों को प्रोत्साहन दिया है। शौर्य का मानना है कि अगर मेहनत और दिशा सही हो तो किसी भी कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

भविष्य की योजनाएँ

शौर्य ने अपनी सफलता के बाद कहा कि वे भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में और आगे बढ़ना चाहते हैं। वे एम्स, दिल्ली में अपने MBBS की पढ़ाई करना चाहते हैं और अपनी माता-पिता की तरह ही एक प्रतिष्ठित चिकित्सक बनने का सपना संजोए हुए हैं।

उनका यह मानना है कि अगर सही तरीके से मेहनत की जाए और सही मार्गदर्शन मिले तो किसी भी परीक्षा में सफलता पाना मुमकिन है। यह सफलता सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उनके माता-पिता, शिक्षकों और मित्रों की भी उतनी ही हिस्सेदारी है।

शौर्य की कहानी न केवल नेटर पटेल बनने की, बल्कि समर्पण, मेहनत और उचित मार्गदर्शन के उदाहरण की कहानी है। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर किसी चीज़ के लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से मेहनत की जाए तो किसी भी मुश्किल को पार करके सफलता हासिल की जा सकती है।

15 टिप्पणि

Kiran Meher

Kiran Meher

6 जून, 2024 - 10:05 पूर्वाह्न

ये लड़का तो असली जिंदगी का हीरो है। मेहनत करो और फोन बंद कर दो, बस यही सबक है। क्रिकेट खेलो, बैडमिंटन खेलो, पर दिमाग तो बरकरार रखो। इस तरह के बच्चे देश के लिए गर्व की बात हैं। बहुत बढ़िया बात है ये।

कोई भी जिंदगी में ऐसा कर सकता है, बस इच्छा होनी चाहिए।

Sumit singh

Sumit singh

7 जून, 2024 - 07:17 पूर्वाह्न

अरे भाई, ये सब तो बस एक बच्चे की बात है। जो घर में डॉक्टर के बच्चे हैं, उनके पास तो घर में ही नोट्स होते हैं, लैब होती है, ट्यूशन चलता है। ये सब बस एक बैकग्राउंड का फायदा है। गरीब बच्चे के लिए ये कहानी बस एक फेक इंस्पिरेशन है। 😒

fathima muskan

fathima muskan

8 जून, 2024 - 01:21 पूर्वाह्न

अरे भाई, ये सब एक बड़ी सी नेटवर्किंग खेल है। डॉक्टर के घर का बच्चा, चंडीगढ़ में हेलिक्स, एक्स्ट्रा क्लासेस, फोन बंद करने का नाटक... ये सब एक ब्रांडिंग कैंपेन है। असली मेहनत तो वो करता है जिसके पास टीवी भी नहीं है। ये बच्चा तो एक एआई जेनरेटेड स्टोरी है। 🤖

Devi Trias

Devi Trias

9 जून, 2024 - 01:28 पूर्वाह्न

शौर्य गोयल की सफलता एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन के परिणाम है। उन्होंने एक स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया, एक संरचित अध्ययन अनुसूची बनाई, और विचलनों को पूर्णतया अस्वीकार किया। उनके परिवार का समर्थन, विशेषकर उनके माता-पिता की चिकित्सकीय पृष्ठभूमि, ने उन्हें एक अत्यंत उच्च स्तर के आचरण और अनुशासन का मॉडल प्रदान किया। यह एक अद्भुत उदाहरण है जो शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश है।

Tejas Bhosale

Tejas Bhosale

9 जून, 2024 - 14:32 अपराह्न

इस बात को समझो कि ये सब एक एपिस्टेमिक बायस है। लोग एक निश्चित नैरेटिव को फैलाते हैं कि मेहनत से सब कुछ मिलता है, पर असल में ये सिर्फ एक एलिट सिस्टम का रिप्रोडक्शन है। फोन बंद करना? बस एक एक्सप्लोइटेबल वैल्यू है। इसके बाद लोग फिर से बोलेंगे कि गरीब बच्चे मेहनत नहीं करते। नहीं भाई, वो तो जिंदगी जी रहे हैं।

Asish Barman

Asish Barman

11 जून, 2024 - 10:35 पूर्वाह्न

बस ये सब बकवास है। एक बच्चे ने 720 में से 720 लाया तो फिर भी सब उसके बारे में लिख रहे हैं। क्या तुम लोगों को याद है जब 2018 में एक लड़के ने 690 लाया और किसी ने उसकी कहानी नहीं लिखी? ये सब सिर्फ जब लोग जिन्हें जानते हो तो चलता है। इसका कोई मतलब नहीं है।

Abhishek Sarkar

Abhishek Sarkar

13 जून, 2024 - 08:46 पूर्वाह्न

इस बच्चे की सफलता एक बड़े राजनीतिक अभियान का हिस्सा है। ये सब अधिकारियों का बनाया गया नैरेटिव है जिससे लोगों को ये लगे कि शिक्षा समानता है। लेकिन असल में जिन बच्चों के पास एक डॉक्टर के माता-पिता हैं, उनके लिए ये सब बहुत आसान होता है। अगर तुम एक गांव के बच्चे हो और तुम्हारे पास टीचर भी नहीं है, तो तुम ये कर सकते हो? नहीं। ये सब बस एक धोखा है।

Niharika Malhotra

Niharika Malhotra

14 जून, 2024 - 13:16 अपराह्न

शौर्य की कहानी एक अद्भुत उदाहरण है कि जब एक व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास, समर्पण और सही मार्गदर्शन एक साथ आ जाएं, तो असंभव कुछ भी नहीं होता। उनकी सादगी, उनका फोन बंद रखना, उनका खेलों में रुचि रखना - ये सब उनकी आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। यह न सिर्फ एक परीक्षा की सफलता है, बल्कि एक जीवन दृष्टिकोण की सफलता है। इस तरह के युवाओं को देश को गर्व होना चाहिए।

Baldev Patwari

Baldev Patwari

16 जून, 2024 - 06:32 पूर्वाह्न

720/720? अरे भाई, ये तो बस एक बच्चा है जिसने रट्टा लगा दिया। इसका क्या फायदा? जब तक वो क्लिनिकल रोज नहीं देखता, तब तक ये सब बस एक बुक रिव्यू है। और फोन बंद करने की बात? बस एक शो के लिए बनाया गया ड्रामा। ये सब एक्सप्लॉइटेशन है।

harshita kumari

harshita kumari

16 जून, 2024 - 16:08 अपराह्न

ये सब एक बड़ा फ्रेम वर्क है। एक बच्चे को इतना दबाव दिया गया कि वो बिना एक फोन के जी रहा है। लोग उसकी सफलता की तारीफ कर रहे हैं लेकिन कोई नहीं पूछ रहा कि उसके दिमाग को क्या हुआ? क्या ये सही है कि एक 17 साल का बच्चा बिना सोशल मीडिया के जीए? ये एक नियंत्रण की कहानी है। ये सब एक बड़ा नियंत्रण अभियान है।

SIVA K P

SIVA K P

18 जून, 2024 - 09:42 पूर्वाह्न

तुम लोग इस बच्चे को बहुत बड़ा बना रहे हो। लेकिन जब तुम उसके पिता को देखोगे, तो पता चलेगा कि ये सब उसकी नियंत्रित बेटी बनाने की योजना थी। ये बच्चा एक लैब में उत्पादित हुआ है। ये जिंदगी नहीं, एक एक्सपेरिमेंट है। अगर तुम इसे इतना बड़ा बनाओगे, तो अगले साल एक बच्चा 720/720 लाएगा और तुम फिर से यही लिखोगे।

Neelam Khan

Neelam Khan

20 जून, 2024 - 01:23 पूर्वाह्न

इस बच्चे की कहानी से मुझे बहुत प्रेरणा मिली। मैं एक छोटे शहर की लड़की हूं और मैं भी NEET देने वाली हूं। उसने साबित कर दिया कि अगर तुम अपने लक्ष्य के लिए लगे रहो, तो दुनिया तुम्हें देखेगी। आप सब भी अपने रास्ते पर चलें। आपकी मेहनत दिख जाएगी। आप सब कर सकते हैं। 💪

Jitender j Jitender

Jitender j Jitender

21 जून, 2024 - 08:38 पूर्वाह्न

इसका एक बड़ा सिस्टमिक इम्प्लिकेशन है। ये एक एक्सप्लिसिट इंडिविजुअल अचीवमेंट है, लेकिन इसके पीछे एक इम्प्लिसिट कैपिटलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। फोन बंद करना? एक रिजिस्टेंस एक्ट। लेकिन जब तुम इसे एक एलिट नैरेटिव के रूप में प्रेजेंट करते हो, तो ये एक डिस्टोर्शन है। सफलता को व्यक्तिगत बनाना बहुत खतरनाक है।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

23 जून, 2024 - 06:35 पूर्वाह्न

इस बच्चे की सफलता एक बड़ी बकवास है। तुम लोग इसे इतना बड़ा बना रहे हो कि ये लगता है जैसे उसने मानवता को बचाया है। ये बस एक परीक्षा है। अगर तुम इसे इतना गंभीरता से लेते हो, तो तुम्हारी अपनी जिंदगी बहुत खाली है। ये बच्चा बस एक बुक रिव्यू लिख रहा है। असली जिंदगी तो वहां है जहां लोग बिना एग्जाम के जी रहे हैं।

VENKATESAN.J VENKAT

VENKATESAN.J VENKAT

25 जून, 2024 - 04:54 पूर्वाह्न

इस बच्चे की सफलता एक बड़ी बकवास है। उसने क्या किया? बस एक एग्जाम दिया। अगर तुम इसे इतना बड़ा बना रहे हो, तो तुम्हारी अपनी जिंदगी बहुत खाली है। इस देश में लाखों बच्चे हैं जो बिना बिजली के पढ़ते हैं। उनकी कहानी कहां है? ये सब बस एक ब्रांडिंग है। ये बच्चा एक टूल है। और तुम उसे उपयोग कर रहे हो।

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