हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर कंगना रनौत द्वारा दिए गए बयानों ने बड़े पैमाने पर चर्चा का केंद्र बना दिया है। उनकी टिप्पणी जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन को ‘बांग्लादेश जैसी अराजकता’ से तुलना की और यह दावा किया कि बाहरी ताकतें और कुछ आंतरिक लोग भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, ने काफी विवाद पैदा किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शन के दौरान यौन शोषण और हत्याएँ हुईं। इस बयान का देशभर में विरोध हुआ और इसे व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा।
कंगना रनौत के इस विवादास्पद बयान से भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट रूप से दूरी बना ली है। एक प्रेस बयान में भाजपा ने साफ किया कि कंगना के ये बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं न कि पार्टी की आधिकारिक नीति। हालांकि कंगना रनौत पार्टी की सांसद हैं, उन्होंने कभी भी पार्टी के नीति मामलों पर बोलने का अधिकृत नहीं किया गया है। पार्टी ने रनौत को भविष्य में इस प्रकार के बयान न देने की सख्त चेतावनी दी है।
भाजपा ने पुनः अपने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ की नीति पर जोर दिया है, जो सबके साथ समावेशी विकास, विश्वास और सामाजिक समरसता पर केंद्रित है। यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी आगामी जम्मू कश्मीर और हरियाणा चुनावों की तैयारी कर रही है।
पंजाब से भाजपा के वरिष्ठ नेता, हरजीत गरेवाल ने कंगना के बयान की आलोचना की और स्पष्ट किया कि किसान मुद्दों पर बोलना उनका विभाग नहीं है। हरजीत गरेवाल का कहना था कि ऐसे बयान पार्टी के हित में काम नहीं करते और पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
कांग्रेस ने भाजपा से मांग की है कि अगर पार्टी वास्तव में कंगना रनौत के विचारों से असहमति रखती है तो उन्हें पार्टी से निष्कासित करें। कांग्रेस ने यह भी कहा कि कंगना को किसानों से माफी मांगनी चाहिए।
गौरतलब है कि इस पूरे विवाद का राजनीतिक संवेग काफी जटिल है, विशेषकर जब पार्टी आने वाले चुनावों की तैयारी कर रही है। भाजपा की यह निर्णय इस समय की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है और पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मामले पर पूरी निगरानी बनाए हुए हैं।