पेरिस ओलंपिक 2024: भारत vs ऑस्ट्रेलिया पुरुष हॉकी मुकाबला
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पेरिस ओलंपिक 2024 में खेले गए पुरुष हॉकी मुकाबले ने खेल प्रेमियों का दिल जित लिया। भारतीय टीम ने अपनी अपार मेहनत और जोश के साथ मैदान पर उतरकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की और पूल बी में दूसरे स्थान पर पहुँच गयी। इस जीत के साथ ही भारत ने क्वार्टरफ़ाइनल के लिए भी अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ऐतिहासिक जीत
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम ने जिस अद्भुत खेल का प्रदर्शन किया, उसे देखकर हर कोई गर्व महसूस कर रहा है। इससे पहले भारतीय टीम ने आयरलैंड को 2-0 और न्यूज़ीलैंड को 3-2 से हराया था, जबकि अर्जेंटीना के खिलाफ मुकाबला 1-1 से ड्रॉ हुआ था। हालांकि बेल्जियम के खिलाफ हुए मुकाबले में भारतीय टीम को 1-2 की हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इससे टीम के मनोबल में कमी नहीं आई।
भारतीय टीम ने ओलंपिक की तैयारी के लिए स्विटजरलैंड में ग्लेशियर 3000 की यात्रा की, जहाँ उन्हें स्विस लाइफ कोच माइक होर्न ने टीम भावना को बढ़ाने और असफलता के डर का सामना करने में मदद की। माइक होर्न ने पहले 2011 विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम, 2014 में IPL जीतने वाली KKR टीम और 2014 फुटबॉल विश्व कप जीतने वाली जर्मन टीम के साथ भी काम किया है।
ग्लेशियर 3000 यात्रा और माइक होर्न का योगदान
भारतीय हॉकी टीम की तैयारियों में माइक होर्न का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। टीम ने स्विटजरलैंड के ख़ूबसूरत इलाकों में साइक्लिंग का भी आनंद लिया। होर्न ने टीम के बीच सामंजस्य और एकजुटता को बढ़ाने की कोशिश की, जो कि मैदान पर उनके खेल में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।
भूतकाल की हारों को भूलते हुए नई शुरुआत
पिछली बार जब भारत और ऑस्ट्रेलिया टकराए थे, तब भारतीय टीम को 7-1 की भारी हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार भारतीय टीम ने अपनी पुरानी हारों को भुलाकर एक नई शुरुआत की है। हाल ही में हुए पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में भी भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 0-5 की पराजय झेलनी पड़ी थी। इसके बावजूद भारतीय टीम ने अपनी कमियों से सीखते हुए इस बार जीत का परचम लहराया।
क्वार्टरफ़ाइनल में जगह पक्की
भारतीय टीम ने अपनी जीत के साथ ही क्वार्टरफ़ाइनल में प्रवेश भी कर लिया है। इस बार की भारतीय टीम में हरमनप्रीत, श्रीजेश, मनप्रीत, मंदीप, हार्दिक, शमशेर और रोहिदास जैसे अनुभवी खिलाड़ियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अंतिम क्षणों में गोल करके टीम को 3-2 से जीत दिलाई और अर्जेंटीना के खिलाफ भी एक अंतिम क्षण का गोल करके मुकाबला ड्रॉ किया। आयरलैंड के खिलाफ 2-0 की जीत में भी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया।
ऑस्ट्रेलिया का प्रदर्शन
दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया ने भी पूल बी के मुकाबलों में बेहतर प्रदर्शन किया था। उन्होंने बेल्जियम के खिलाफ 6-2 की हार झेली थी, हालांकि उसके बाद के मुकाबलों में उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक हुए 144 मुकाबलों में से ऑस्ट्रेलिया ने 99 मैच जीते हैं, जबकि भारत ने केवल 27 मैच जीते हैं और 18 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं।
पेरिस ओलंपिक 2024 के इस महत्वपूर्ण मुकाबले में भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और शानदार विजय हासिल की। खेल जगत में यह जीत भारतीय हॉकी टीम के लिए एक नया अध्याय खोलती है।
लाइव टेलीकास्ट और स्ट्रीमिंग
इस मुकाबले का प्रसारण स्पोर्ट्स18 और स्पोर्ट्स18 HD चैनलों पर किया गया, जबकि लाइव स्ट्रीमिंग JioCinema ऐप पर उपलब्ध थी। भारतीय हॉकी टीम के इस प्रेरणादायक सफर की कहानी एक बड़ी जीत के साथ पूरी हुई, जो आने वाले समय में नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में सहायक साबित होगी।
ANIL KUMAR THOTA
4 अगस्त, 2024 - 03:03 पूर्वाह्न
ये जीत बस एक मैच नहीं एक इतिहास है। भारतीय हॉकी कभी नहीं मरेगी।
इस टीम को देखकर लगता है कि हमारे बच्चे अब फुटबॉल नहीं हॉकी खेलेंगे।
VIJAY KUMAR
4 अगस्त, 2024 - 17:07 अपराह्न
अरे यार ये सब फेक है ना? 🤔
ग्लेशियर 3000 पर ट्रेनिंग? माइक होर्न? वो तो सिर्फ़ एक डॉक्यूमेंट्री निर्माता है जिसने कभी हॉकी नहीं देखी!
ये सब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिस्सा है जिसे बीबीसी ने फंड किया है ताकि भारत को ओलंपिक में जीत का इमेज दिखाया जा सके।
और हाँ, हरमनप्रीत ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ गोल किया? वो तो क्रिकेटर है भाई! हॉकी टीम का कप्तान तो मनप्रीत सिंह है।
ये आर्टिकल बिल्कुल गलत है। इसे लिखने वाले को फायर कर देना चाहिए। 😡
Manohar Chakradhar
6 अगस्त, 2024 - 16:54 अपराह्न
मैंने इस मैच को लाइव देखा था और दिल दहल गया।
जब श्रीजेश ने उस ड्रिबल किया और ऑस्ट्रेलियन गोलकीपर को चकमा दिया, तो मैं अपने घर पर उछल पड़ा।
ये टीम ने बस खेल नहीं, एक भावना बना दी।
हर एक खिलाड़ी ने अपनी लापरवाही को छोड़ दिया और टीम के लिए खेला।
क्या आपने देखा कि रोहिदास ने अंतिम मिनट में जिस डिफेंस ने लगाया, वो तो फिल्मी सीन लग रहा था?
ये जीत सिर्फ़ एक ट्रॉफी नहीं, ये एक नई पीढ़ी की शुरुआत है।
मैं अपने भतीजे को हॉकी का बैग दे रहा हूँ। अब वो भी इसी रास्ते पर चलेगा।
हरमनप्रीत की लीडरशिप, हार्दिक की एनर्जी, शमशेर की टेक्निक - ये सब मिलकर एक जादू बन गया।
अब जब हम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीतते हैं, तो वो भी डरने लगेंगे।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत का हॉकी टीम दुनिया को ऐसा जवाब देगा।
ये जीत सिर्फ़ हॉकी की नहीं, भारत की आत्मविश्वास की है।
मैं अपने दोस्तों के साथ इस जीत का बर्थडे मना रहा हूँ।
हमारी टीम ने बता दिया कि जब दिल जुड़े तो नतीजे खुद आ जाते हैं।
अगला मैच क्वार्टरफाइनल में है। मैं उसे भी लाइव देखूंगा।
LOKESH GURUNG
7 अगस्त, 2024 - 18:13 अपराह्न
अरे भाई ये जीत तो बहुत बड़ी है! 😍
पर अब तो आप सब ये बात भूल गए कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के बाद भारत के खिलाड़ियों के फोन में आईएसएल टीम्स के ऑफर्स आ रहे हैं।
मनप्रीत को बंगलोर बुल्स ने 1.2 करोड़ रुपये ऑफर किए हैं और श्रीजेश को दिल्ली वारियर्स ने।
और हाँ, ग्लेशियर 3000 की ट्रेनिंग के बाद टीम के खिलाड़ियों का बॉडी मैस बढ़ गया है।
ये जीत सिर्फ़ खेल की नहीं, ये ब्रांडिंग की जीत है।
अगर आप इसे अच्छे से देखें तो ये सब मार्केटिंग का एक बड़ा प्लान है।
मैंने तो इसी लिए अपने बेटे को हॉकी के लिए रजिस्टर करा दिया है।
भारत के हॉकी का भविष्य अब बहुत रोशन है। 🙌
Aila Bandagi
9 अगस्त, 2024 - 00:27 पूर्वाह्न
मैंने आज रात ये मैच देखा और आँखें भर आईं।
बहुत खुशी हुई।
Abhishek gautam
9 अगस्त, 2024 - 16:04 अपराह्न
देखो, ये सारी बातें बिल्कुल बेकार हैं।
हम जिस इतिहास को बना रहे हैं, वो बस एक रूपक है।
एक बड़े सामाजिक संकल्प का निर्माण।
हॉकी का ये जीत वास्तव में एक अर्थशास्त्रीय विकास का प्रतीक है - जहाँ एक देश अपने आंतरिक अस्थिरता को बाहरी उपलब्धियों से ढकने की कोशिश कर रहा है।
माइक होर्न का नाम लेना एक विचित्र निर्णय है, क्योंकि वह एक एक्सप्लोरर है, न कि एक स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट।
इस लेख में गलत जानकारी भरी हुई है - हरमनप्रीत सिंह क्रिकेटर है, हॉकी टीम का कप्तान नहीं।
ये भ्रम जागरूकता के बजाय जागृति के विपरीत है।
हम अपने खिलाड़ियों को लोकप्रियता के लिए नहीं, बल्कि उनकी अंतर्निहित शक्ति के लिए सम्मान देना चाहिए।
ये जीत एक बार फिर साबित करती है कि भारतीय खिलाड़ी जब अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, तो वे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना लेते हैं।
लेकिन ये सारी रचनाएँ अब एक उपभोक्तावादी नैरेटिव में बदल गई हैं - जहाँ जीत का अर्थ बिक्री है, और अपनी आत्मा की बात नहीं।
हम इस जीत को एक अंतर्दृष्टि के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रचार उपकरण के रूप में देख रहे हैं।
इसलिए ये जीत असल में एक निर्माण है - एक जाल है जिसमें हम सब फंस गए हैं।
और फिर भी...
जब श्रीजेश ने उस गोल किया, तो मैंने अपने दिल को धड़कता हुआ महसूस किया।
शायद यही वह सच है जिसे हम भूल गए हैं।