पेरिस ओलंपिक 2024: कांस्य पदक मैच में भारत का स्पेन से मुकाबला
पेरिस ओलंपिक 2024 के कांस्य पदक मुकाबले में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने स्पेन का सामना किया। यह मैच दर्शकों के लिए रोमांचक साबित हो रहा है और इस मुकाबले में हरमनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारतीय टीम पूरी ताकत झोंक रही है। मैच का आयोजन स्टेड यव्स-दु-मैनोइ स्टेडियम में हो रहा है।
हरमनप्रीत सिंह का जोशीला प्रदर्शन
भारतीय टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने दूसरे क्वार्टर में मैच की दिशा बदल दी। उन्होंने भारत को 2-1 की बढ़त दिलाने के लिए दो बार पेनल्टी कॉर्नर का सफलतापूर्वक प्रयोग किया। इससे पहले स्पेन की टीम के खिलाड़ी मार्क मिराल्स ने पेनल्टी स्ट्रोक के जरिए दूसरी तिमाही में अपनी टीम को बढ़त दिलाई थी।
पी.आर. श्रीजेश का आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच
भारतीय टीम के गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश ने घोषणा की थी कि यह उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच होगा। इस मौके पर पूरी टीम और प्रशंसक उन्हें एक यादगार विदाई देना चाहते हैं। श्रीजेश का प्रदर्शन भी शानदार रहा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण गोल बचाए और अपनी टीम का मनोबल बढ़ाया।
मुकाबले की शानदार तैयारियां
भारतीय टीम ने अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी। टूर्नामेंट में उनकी यात्रा प्रशंसनीय रही जहां उन्होंने पूल बी में दूसरा स्थान हासिल किया था। क्वार्टर-फाइनल में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की थी, लेकिन सेमीफाइनल में उन्हें जर्मनी के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था।
टीम की संयोजन और रणनीति
भारतीय टीम का प्रारंभिक संयोजन भी मार्मिक है। हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व में टीम के बाकी खिलाड़ी भी बेहतरीन रूप में नजर आ रहे हैं। पूरे मैच में खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को अभिभूत कर दिया। टीम की रणनीति और खेल योजना भी उत्कृष्ट रही, जिससे वे प्रतिद्वंद्वी टीम पर दबाव डालते रहे।
आशीर्वाद और शुभकामनाएं
पूरे देश की दुआएं टीम के साथ हैं। हर कोई इस मैच को जीतकर पिछले ओलंपिक की तरह इस बार भी कांस्य पदक लेकर लौटने की आशा कर रहा है। टीम के खिलाड़ियों को उनके कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प के लिए सराहा जा रहा है।
निष्कर्ष
इस प्रकार पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का स्पेन के खिलाफ कांस्य पदक के लिए मुकाबला बहुत ही उत्साहपूर्ण और प्रेरणादायक रहा। हरमनप्रीत सिंह और उनकी टीम ने देश का मान बढ़ाया और कप्तान के रूप में उनके नेतृत्व में टीम ने नवीन उपाय अपनाते हुए जोरदार खेल का प्रदर्शन किया।
Aravind Anna
9 अगस्त, 2024 - 08:59 पूर्वाह्न
भारत की टीम ने तो दिखा दिया कि हॉकी अभी भी हमारी जिंदगी का हिस्सा है। हरमनप्रीत का नेतृत्व और श्रीजेश की दीवार जैसी गोलकीपिंग ने तो मन भर गया। ये जीत सिर्फ एक पदक नहीं बल्कि एक नए युग की शुरुआत है।
Neelam Dadhwal
11 अगस्त, 2024 - 01:12 पूर्वाह्न
अब तो बस इतना ही बताओ कि इस जीत के बाद कौन बढ़ाएगा बजट? क्या सरकार ने कभी ट्रेनिंग सेंटर के लिए एक लाख रुपये भी निकाले? हम तो बस ब्रॉन्ज़ मेडल के लिए तालियां बजा रहे हैं जबकि असली समस्या तो वहीं है जहां बच्चे गांव के मैदान में लकड़ी की बल्ले से खेल रहे हैं।
navin srivastava
11 अगस्त, 2024 - 20:14 अपराह्न
अरे भाई ये सब तो बस बातें हैं। अगर हम वास्तव में गेम जीतना चाहते हैं तो पहले इन गैर-खिलाड़ियों को बंद करो जो टीम के बारे में फेसबुक पर लंबे लंबे पोस्ट लिखते हैं और खुद एक बॉल भी नहीं छूते।
LOKESH GURUNG
12 अगस्त, 2024 - 14:14 अपराह्न
श्रीजेश ने तो अपने आखिरी मैच में एक ऐसा प्रदर्शन किया जैसे उन्होंने दुनिया को बता दिया कि भारत का गोलकीपर दुनिया का बेस्ट है। इस आदमी को एक नेशनल हीरो बनाना चाहिए। 🙌
Abhishek gautam
13 अगस्त, 2024 - 20:40 अपराह्न
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक बड़ा राष्ट्रीय प्रचार है? ओलंपिक के बाद हर कोई ब्रॉन्ज़ मेडल की बात करता है लेकिन कौन बताएगा कि हमारे बच्चे कितने वर्षों तक खेल के लिए अपने पढ़ाई को छोड़ रहे हैं? हम सिर्फ जीत के नाम पर भावुक हो रहे हैं। #ConspiracyTheory
ANIL KUMAR THOTA
14 अगस्त, 2024 - 14:49 अपराह्न
हरमनप्रीत की टीम ने अच्छा खेला। श्रीजेश का अंतिम मैच बहुत भावुक था। देश के लिए बहुत बढ़िया था।
Manohar Chakradhar
14 अगस्त, 2024 - 16:50 अपराह्न
ये टीम तो बस अपने दिल से खेल रही थी। श्रीजेश के बाद अब कौन गोल बचाएगा? क्या हमने कभी युवा गोलकीपर को ट्रेन किया है? ये बस एक जीत नहीं एक चेतावनी है।
Imran khan
14 अगस्त, 2024 - 20:50 अपराह्न
मैंने देखा था कि श्रीजेश ने एक पेनल्टी स्ट्रोक को बचाया जिसे दुनिया के किसी भी गोलकीपर ने नहीं बचाया होता। वो एक लीजेंड है। और हरमनप्रीत का दूसरा पेनल्टी कॉर्नर? वो तो बस बात ही नहीं बल्कि एक शानदार एक्शन था।
Aila Bandagi
15 अगस्त, 2024 - 19:47 अपराह्न
बहुत खुशी हुई। टीम ने बहुत मेहनत की। श्रीजेश के लिए बहुत बधाई। देश के लिए गर्व है।
VIJAY KUMAR
17 अगस्त, 2024 - 16:23 अपराह्न
ब्रॉन्ज़ मेडल? अरे भाई ये तो बस एक लाइव टीवी शो है। जर्मनी ने जीत ली तो कोई नहीं बोला। अब जब हम जीत गए तो सब ने अपना फोन निकाला। इंसान तो बस जीत के नाम पर भावुक हो जाते हैं। #Sarcasm #OlympicDrama
Rajendra Mahajan
18 अगस्त, 2024 - 15:23 अपराह्न
यह जीत बस एक मैच नहीं, एक विरासत है। श्रीजेश ने अपने अंतिम मैच में एक ऐसा उदाहरण दिया कि अगर आप अपने कर्तव्य को अपने दिल से करें तो नतीजा खुद आ जाता है। यह बात केवल खेल तक सीमित नहीं है। यह जीवन का नियम है।
vishal kumar
18 अगस्त, 2024 - 20:11 अपराह्न
सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए खेल का महत्व बढ़ रहा है। लेकिन खेल के विकास के लिए व्यवस्थित नीति की आवश्यकता है। भावनात्मक प्रतिक्रियाएं निरंतर विकास का आधार नहीं बन सकतीं।