दिल्ली हवाई अड्डे की छत गिरी: भारी बारिश से कई लोग घायल, कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त

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दिल्ली हवाई अड्डे की छत गिरी: भारी बारिश से कई लोग घायल, कई गाड़ियाँ क्षतिग्रस्त

दिल्ली में भारी बारिश के चलते बड़ा हादसा

दिल्ली एनसीआर में हाल ही में भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। इसी बीच इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 पर एक गंभीर हादसा हो गया, जब वहां की छत का एक हिस्सा गिर गया। इस घटना में कम से कम चार लोग घायल हो गए हैं। इन घायलों को तुरंत बचाव दल ने निकाल कर अस्पताल पहुँचाया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है।

घटना की जानकारी मिलते ही तीन दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुँच गईं और स्थिति को नियंत्रित किया। यह दुर्घटना उस समय हुई जब दिल्ली एनसीआर के कई इलाकों में जोरदार बारिश हो रही थी। इस बारिश ने लोगों के आवागमन में रुकावट पैदा कर दी और कई जगहों पर जलभराव की समस्याएँ भी सामने आईं।

बारिश के असर से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी

छत गिरने की घटना ने हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। यात्री और स्टाफ दोनों ही दहशत में आ गए और चारों तरफ भागदौड़ मच गई। हादसे के वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं, जिसमें स्पष्ट दिख रहा है कि छत का गिरा हिस्सा कितना भयानक था। घटना के दौरान कई गाड़ियाँ भी क्षतिग्रस्त हो गईं।

दिल्ली हवाई अड्डे की छत गिरने की खबर ने प्रशासन को भी चौकन्ना कर दिया है। इस मामले में जाँच की जा रही है कि आखिर किस कारणवश यह हादसा हुआ। विशेषज्ञ इस बात की तफ्तीश कर रहे हैं कि छत का निर्माण कमजोर था या फिर भारी बारिश ने इतना अधिक प्रभाव डाला कि छत गिर गई।

प्रशासन की तत्परता

प्रशासन की तत्परता

घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों को तेजी से शुरू कर दिया। दमकल विभाग के साथ-साथ अन्य सुरक्षाकर्मी और मेडिकल टीम भी मौके पर पहुँची और घायलों को प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद अस्पताल में शिफ्ट किया। प्रशासन का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे।

इस संबंध में हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बयान दिया है कि वे छत गिरने की घटना की पूरी तहकीकात कर रहे हैं और जल्द ही इसकी पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। साथ ही हवाई अड्डे पर यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

भारी बारिश के कारण हुई घटनाएँ

दिल्ली एनसीआर में आतंकित बारिश के कारण केवल हवाई अड्डे ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्थानों पर भी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। लगातार बारिश ने सड़कों पर पानी भर दिया है, जिसकी वजह से यातायात बाधित हो रहा है। इस मौसम में सड़क हादसों की संख्या भी बढ़ गई है, जिससे कई लोग घायल हो चुके हैं।

इस तरह की समस्याएँ हर साल मॉनसून के दौरान देखने को मिलती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ सकती है। प्रशासन को चाहिए कि वे समय रहते बारिश और बाढ़ से संबंधित समस्याओं का प्रभावी समाधान निकालें और आम जनता को सुरक्षित जीवन प्रदान करें।

भविष्य में एहतियात

भविष्य में एहतियात

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आपदा प्रबंधन में सुधार की बहुत जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि वे इमरजेंसी रिस्पांस टीमों को अधिक सक्षम बनाएं और ऐसी आपदाओं के लिए तैयार रहें। साथ ही, बिल्डिंग कोड्स और निर्माण नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि कोई भी संरचना कमजोर ना हो और इस तरह की दुर्घटनाएँ न हों।

आशा की जा रही है कि प्रशासन भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के उपाय करेगा और लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा। हवाई अड्डा प्रशासन और अन्य संबंधित विभागों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

अंततः, इस घटना ने हमें एक बड़ा सबक सिखाया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए। प्रशासन और आम जनता दोनों की संयुक्त प्रयास से ही आपदाओं का प्रभावी प्रबंधन संभव हो सकता है।

20 टिप्पणि

Jyotijeenu Jamdagni

Jyotijeenu Jamdagni

29 जून, 2024 - 13:12 अपराह्न

ये छत गिरना सिर्फ बारिश का नतीजा नहीं, बल्कि सालों की लापरवाही का परिणाम है। जब तक हम बिल्डिंग कोड्स को बारिश के साथ नहीं जोड़ेंगे, ऐसी घटनाएँ दोहराएँगी।

मैंने एयरपोर्ट के बाहर एक बार देखा था कि छत के नीचे के जोड़ों में पानी जम रहा था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब ये हादसा हुआ, अब चिल्लाना शुरू हो गया।

navin srivastava

navin srivastava

29 जून, 2024 - 20:58 अपराह्न

अब तक तो ये सब भारतीय लोगों की आदत है कि बारिश हो जाए तो बाहर भाग जाएं और फिर जब कुछ टूटे तो भारत को दोष दें। ये हवाई अड्डा अमेरिका या जर्मनी में होता तो इतना बड़ा हादसा होता?

Aravind Anna

Aravind Anna

1 जुलाई, 2024 - 18:23 अपराह्न

दोस्तों ये बारिश का मौसम है ना? लेकिन इतनी बड़ी छत गिरने की बात सुनकर लग रहा है जैसे कोई बिल्डर ने बारिश के लिए डिज़ाइन ही नहीं किया।

मैंने एक बार एयरपोर्ट के अंदर एक वर्कर से बात की थी, उसने कहा था कि उनके पास रिपेयर के लिए बजट ही नहीं है। ये सिर्फ एक छत नहीं, ये देश की असुरक्षा की छवि है।

Rajendra Mahajan

Rajendra Mahajan

2 जुलाई, 2024 - 16:44 अपराह्न

इंसान की भूल बर्दाश्त की जा सकती है, लेकिन निर्माण की लापरवाही नहीं। ये छत गिरी तो ये इमारत की निर्माण तकनीक की असफलता है, बारिश की नहीं।

क्या हमने कभी सोचा कि ये छत जिस तरह से डिज़ाइन की गई, उसमें कितने प्रतिशत सुरक्षा मार्जिन था? जब तक हम इंजीनियरिंग को ब्यूरोक्रेसी के नीचे दबा रहे हैं, ऐसी घटनाएँ दोहराएँगी।

ANIL KUMAR THOTA

ANIL KUMAR THOTA

3 जुलाई, 2024 - 23:41 अपराह्न

बारिश हो रही है तो लोगों को सावधान रहना चाहिए। इतना बड़ा हादसा हो गया तो ज़रूर जाँच होगी। लेकिन अब जल्दी से जरूरी बात ये है कि दूसरे टर्मिनल की छत भी चेक हो जाए।

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

5 जुलाई, 2024 - 16:10 अपराह्न

इस छत के गिरने का एक बड़ा सिद्धांत है। ये बारिश नहीं, ये ब्यूरोक्रेसी का अंतिम उत्पाद है।

कल रात मैंने एक आईएएस अधिकारी को फोन पर बात की, उसने कहा - ये छत 2015 में चेक हुई थी, लेकिन रिपोर्ट गायब है। अब ये लोग कह रहे हैं कि वो भी अपने पद पर नहीं हैं।

क्या ये एक दुर्घटना है या एक साजिश? 🤔

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

6 जुलाई, 2024 - 07:12 पूर्वाह्न

मैंने एयरपोर्ट के बाहर एक रिक्शा चालक से बात की, उसने कहा कि छत के नीचे वाला हिस्सा पिछले तीन साल से फटा हुआ था। उसने बार-बार रिपोर्ट की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

हम लोग बारिश के लिए दोषी ठहराते हैं, लेकिन असली दोषी हमारी लापरवाही है। अब बस इतना ही कहना है - अगली बारिश से पहले छत चेक करवा लो।

LOKESH GURUNG

LOKESH GURUNG

7 जुलाई, 2024 - 06:46 पूर्वाह्न

ये तो बस शुरुआत है दोस्तों! 🚨

अगले महीने टर्मिनल 2 की छत भी गिरेगी, तब तक तो बस बारिश नहीं बल्कि भ्रष्टाचार भी गिर रहा है। जिन्होंने ये छत बनवाई, उन्हें गिरफ्तार करो। अब नहीं बोलोगे तो अगली बार तुम्हारी गाड़ी गिरेगी। 😅

Aila Bandagi

Aila Bandagi

8 जुलाई, 2024 - 05:48 पूर्वाह्न

मैंने देखा कि जिन लोगों को बचाया गया, वो बहुत छोटे बच्चे थे। उनके माता-पिता अभी तक डर से बोल नहीं पा रहे।

हमें बस ये याद रखना है कि ये छत गिरी नहीं, ये देश की ज़िम्मेदारी गिरी। अब बस एक बार जाने दो, किसी की बेटी या बेटा गायब हो गया तो फिर क्या करेंगे?

Abhishek gautam

Abhishek gautam

8 जुलाई, 2024 - 20:20 अपराह्न

हम एक ऐसी संस्कृति में रहते हैं जहाँ बारिश को भगवान की इच्छा मान लिया जाता है, लेकिन छत के गिरने को इंजीनियरिंग की असफलता नहीं माना जाता।

ये निर्माण एक अधूरा फिलॉसफी है - जहाँ सुरक्षा की बात तो बार-बार की जाती है, लेकिन बजट में उसका स्थान नहीं।

हम देश को गर्व से देखते हैं, लेकिन अपनी छत को नहीं। ये नाटक है।

Imran khan

Imran khan

10 जुलाई, 2024 - 15:19 अपराह्न

मैंने एयरपोर्ट के लिए एक बार निर्माण रिपोर्ट देखी थी। छत के लिए इस्तेमाल किए गए स्टील की गुणवत्ता निर्धारित मानकों से 20% कम थी। लेकिन रिपोर्ट फर्जी थी।

ये सिर्फ एक छत नहीं, ये एक अनुबंध है जो भ्रष्टाचार के लिए बनाया गया था। अब जाँच करवाओ, लेकिन उसमें वही लोग नहीं हों जिन्होंने इसे बनवाया।

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

12 जुलाई, 2024 - 06:40 पूर्वाह्न

अरे भाई, ये तो बहुत बड़ा बड़ा हादसा है! लेकिन क्या आप लोगों ने देखा कि ये छत गिरने से पहले वहाँ एक राजनेता ने बयान दिया था कि 'हमारे एयरपोर्ट दुनिया के सबसे सुरक्षित हैं'।

ये झूठ का दूसरा नाम है। अब जब छत गिर गई, तो वो भी गायब हो गए। अब जाँच करो, लेकिन उन्हें नहीं छोड़ना।

vishal kumar

vishal kumar

12 जुलाई, 2024 - 12:09 अपराह्न

प्राकृतिक घटनाओं के प्रति आपदा प्रबंधन की अपर्याप्त तैयारी निर्माण और निगरानी की विफलता का परिणाम है। यह घटना निर्माण नियमों के अनुपालन की कमी को उजागर करती है।

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

13 जुलाई, 2024 - 00:17 पूर्वाह्न

बारिश ने छत नहीं गिराई। बजट ने।
बाकी सब बकवास है।

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

14 जुलाई, 2024 - 03:44 पूर्वाह्न

इस छत के निर्माण में यूरोपीय स्टैंडर्ड्स का इस्तेमाल हुआ था, लेकिन इंस्टॉलेशन के दौरान एक अन्य कंपनी ने स्पेसिफिकेशन्स बदल दिए। ये बारिश का दोष नहीं, ये गवर्नेंस का दोष है।

मैंने एक फैक्टरी में ऐसा ही देखा था - जब लोग अपनी जिम्मेदारी छोड़ देते हैं, तो निर्माण गिर जाता है।

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

14 जुलाई, 2024 - 07:58 पूर्वाह्न

अगर तुम घर में छत फटी हुई है तो तुम अपने आप बदलाव लाओ। ये एयरपोर्ट है, ये राष्ट्रीय संपत्ति है। लेकिन यहाँ तो लोग बस फोटो लेते हैं और वायरल कर देते हैं।

क्या कोई यहाँ काम करता है या सिर्फ फेसबुक पर लाइक देता है?

pradipa Amanta

pradipa Amanta

15 जुलाई, 2024 - 03:19 पूर्वाह्न

ये छत गिरी तो भी बड़ी बात नहीं है। असली बात तो ये है कि लोग अभी तक इसे बारिश का दोष दे रहे हैं।

ये देश तो हर साल बारिश के बाद बाढ़ का दोष देता है, लेकिन नहरें बनाने की बात नहीं करता।

chandra rizky

chandra rizky

15 जुलाई, 2024 - 14:15 अपराह्न

हम सब अपने अपने शहर में ऐसे ही छत देखते हैं। बारिश में पानी टपक रहा है, लेकिन कोई नहीं बोलता।

ये छत गिरना सिर्फ एक एयरपोर्ट की बात नहीं, ये हमारे सामाजिक उदासीनता का एक चिन्ह है।

अगर हम अपने घर की छत को नहीं सुधार सकते, तो एयरपोर्ट की छत को कौन सुधारेगा?

Rohit Roshan

Rohit Roshan

17 जुलाई, 2024 - 06:49 पूर्वाह्न

इस घटना ने दिखाया कि जब तक हम निर्माण को एक व्यावसायिक व्यवहार के रूप में नहीं देखेंगे, बल्कि एक सार्वजनिक जिम्मेदारी के रूप में देखेंगे, तब तक ऐसी घटनाएँ दोहराएँगी।

एक छत का निर्माण नहीं, एक समाज का निर्माण है।

arun surya teja

arun surya teja

17 जुलाई, 2024 - 08:45 पूर्वाह्न

प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सावधानी एक जिम्मेदार समाज की पहचान है। यह घटना एक चेतावनी है कि निर्माण और रखरखाव के मानकों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

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