मुंबई में जुलाई 8, 2024 को हुई पहली भारी बारिश ने फिर से बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए। इस बारिश ने एक बार फिर दिखाई कि बीएमसी का दावा और वास्तविकता के बीच कितना बड़ा अंतर है। शहर के कई हिस्सों में भारी जलभराव हुआ, जिससे आम लोगों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ा। लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष करते नजर आए।
शहर में जैसे ही बारिश शुरू हुई, कई इलाकों में जलभराव होना शुरू हो गया। गोवंडी में सबसे अधिक 315 मिमी और पवई में 314 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिसके कारण इन क्षेत्रों में भारी जलभराव हुआ। यह स्थिति ना केवल यातायात व्यवस्था को बाधित करने वाली थी बल्कि स्थानीय परिवहन के लिए भी किसी मुसीबत से कम नहीं थी। सड़कों पर गाड़ियाँ फंस गईं और कई जगह भारी ट्रैफिक जाम देखने को मिला।
सिर्फ सड़कों पर ही नहीं रेलों के मार्ग भी भारी बारिश से प्रभावित हुए। केंद्रिय रेलवे के मुख्य और हार्बर दोनों गलियारों पर पानी भर गया, जिससे ट्रेन सेवाएं अत्यधिक बाधित हो गईं। लाखों यात्री इस समय में फंसे हुए थे और समय पर अपने गंतव्यों तक नहीं पहुंच सके।
बीएमसी ने इस साल भी मानसून से पहले बड़े दावें किए थे कि बारिश के दौरान जलभराव की समस्या नहीं होगी। लेकिन पहली ही बारिश ने इन दावों की असलियत सामने ला दी। बीएमसी ने नगरपालिका स्तर पर कई तैयारियों का दावा किया था, लेकिन यह सभी सिर्फ कागजों तक ही सीमित नजर आईं।
बीएमसी ने बारिश से पहले एक नारंगी अलर्ट जारी किया था, जिसमें भारी बारिश की चेतावनी दी गई थी। लेकिन सारे उपाय और व्यवस्थाएं नाकाफी साबित हुईं। शहर की नालियां और सफाई व्यवस्था इस समय की बारिश के दबाव को संभालने में असमर्थ रही।
स्थानीय लोगों के लिए यह भारी बारिश बड़ी मुसीबत लेकर आई। कामकाजी लोग समय पर अपने दफ्तर नहीं पहुंच सके और स्कूल और कॉलेज के छात्र भी इसे लेकर परेशान रहे। कई घरों में पानी भर जाने से लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में समस्या हुई।
इस स्थिति को देखकर यह साफ हो गया कि बीएमसी को अपनी योजनाओं और तैयारियों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। हर साल मुंबई में बारिश इसी प्रकार की समस्याएं लाती है और इसका प्रभाव केवल लोगों की दैनिक दिनचर्या पर ही नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा पर भी पड़ता है।
मुंबई शहर की जल निकासी व्यवस्था पर नजर डालें, तो चीजें अच्छी नहीं हैं। प्रसिद्ध मुलुंद और किंग्स सर्कल इलाकों में, हमेशा सड़कें जलमग्न रहती हैं। जब भी भारी बारिश होती है, तो जल निकासी के लिए कोई सही व्यवस्था नहीं होती। लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मुंबई में सिर्फ गोवंडी और पवई नहीं बल्कि अन्य कई क्षेत्र भी जलभराव का शिकार हुए। यह केवल सरकार की नाकामी नहीं बल्कि पूरे नगर निगम की। इसी तरह की समस्याएं शहर के अन्य हिस्सों में भी देखी गईं।
बीएमसी को तुरंत ही अपनी नीतियों और अपने उपायों को ठीक करने की ज़रूरत है। मानसून अभी शुरू ही हुआ है और आने वाले दिनों में और बारिश हो सकती है। अगर अब भी बीएमसी ने समुचित कदम नहीं उठाए, तो स्थिति और भी बुरी हो सकती है।
इसी प्रकार, बीएमसी को अब लोगों की मदद के साथ-साथ मानसून के दौरान यात्रा करने वाले लोगों के लिए प्रबल व्यवस्था करनी होगी। ट्रेन सेवा और परिवहन व्यवस्था को सुधारने के लिए कदम उठाने होंगे, ताकि इस तरह की कठिनाइयों से निजात मिल सके।
समय आ गया है कि बीएमसी अपने बड़े-बड़े दावों को छोड़कर वास्तविकता में कुछ ठोस उपाय करे। तभी लोगों को इस समस्याओं से निजात मिल सकेगी और मुंबई को सही मायनों में एक स्मार्ट सिटी कहा जा सकेगा।