तिहाड़ जेल की काल्पनिक कहानी: नेटफ्लिक्स वेब सीरीज़ 'ब्लैक वारंट' की समीक्षा

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तिहाड़ जेल की काल्पनिक कहानी: नेटफ्लिक्स वेब सीरीज़ 'ब्लैक वारंट' की समीक्षा

'ब्लैक वारंट': तिहाड़ जेल के आंतरिक जीवन की गाथा

'ब्लैक वारंट' नेटफ्लिक्स पर दिखाई जाने वाली एक विशेष सीरीज़ है, जो तिहाड़ जेल के अंदर की जीवनशैली को एक नए और अनूठे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। यह सीरीज विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित है और एक सेवानिवृत्त जेलर सुनील कुमार गुप्ता की आत्मकथा पर आधारित है। इस सीरीज में उन्होंने तिहाड़ जेल में बिताए अपने समय का व्यावहारिक, कडवा और वास्तविक चित्रण किया है। यह कहानी 1981 में उनके कैरियर की शुरुआत का अनुसरण करती है, जब गुप्ता ने एक नवोदित जेलर के रूप में तिहाड़ में अपने करियर की शुरुआत की थी।

तिहाड़ की जटिल सत्ता संरचना

सीरीज तिहाड़ जेल की जटिल सत्ता संरचना और उसमें निहित भ्रष्टाचार का एक मार्मिक चित्रण करती है। इस जेल में अपराधियों की सत्ता किस प्रकार काम करती है और निर्दोष कैदियों के साथ उनका कैसा व्यवहार होता है, यह सब कुछ नाटकीयता के साथ प्रस्तुत किया गया है। सीरीज के मुख्य अभिनेता जहान कपूर, जिन्होंने सुनील के पात्र को जीवन प्रदान किया है, अपने नवोदित जेलर की भूमिका में बेहद प्रभावशाली रहे हैं। जय सेनगुप्ता और पुष्पराग रॉय चौधरी ने तिहाड़ के उच्च पदस्थ अधिकारियों की भूमिका निभाई है, जो भ्रष्टाचार की गहराइयों को छूते हैं।

मज़ेदार और गहन परफॉरमेंस

राहुल भट्ट की भूमिका डीएसपी तोमर के रूप में महत्वपूर्ण है जो जेल के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और विकृति को पूरा करते हैं। उनके किरदार की जटिलता उसके निजी संघर्ष और जेल के गंदे राजनीति के बीच बखूबी उतारी गई है। उनके घरेलू मसलों और उनके नैतिक संकट के चित्रण ने सीरीज को और गहरा बना दिया है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देता है।

व्यावहारिकता और मनोरंजन का उत्तम तालमेल

यह सीरीज तिहाड़ जेल के वास्तविक पक्ष को एक रोचक तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास करती है। लेखकों और निर्माताओं ने विशेष ध्यान दिया है कि सीरीज एक डॉक्युद्रामा से ज्यादा न लगे। इसके वर्णन और कथा-निर्माण ने इसे विश्वसनीय और विश्वसनीय बनाया है। बावजूद इसके, कभी-कभी कहानी कुछ अधिक गंभीर हो जाती है और ऐसा लगता है कि यह अपने वृत्त चित्र के शैली में बदल जाती है।

सामाजिक और व्यक्तिगत द्वंद्व

'ब्लैक वारंट' केवल एक जेलर की कहानी नहीं है बल्कि यह हमारे समाज के कई परतों की कहानी है। इसमें नैतिकता और भ्रष्टाचार के बीच संघर्ष और स्वयं के साथ पात्रों के आंतरिक युद्ध का वर्णन है। ऐसे कई दृश्य हैं जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि तिहाड़ जेल में जीवन कितना कठिन और चुनौतियों से भरा हो सकता है।

इस प्रकार, 'ब्लैक वारंट' एक मनोरम और संतोषजनक सीरीज़ है, जो दर्शकों को भारतीय जेल प्रणाली की जटिलताओं में झांकने का मौका देती है। इसे देखना एक अनुभव की तरह प्रस्तुत होता है, जो आपके मस्तिष्क में बने रहते हुए कई सवालों और विचारों को जन्म देता है। यह सीरीज़ उन लोगों के लिए एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो सच्ची घटनाओं पर आधारित कहानियों को पसंद करते हैं।

12 टिप्पणि

chandra rizky

chandra rizky

12 जनवरी, 2025 - 19:19 अपराह्न

ब्लैक वारंट देखा नहीं तो जेल का असली चेहरा कभी नहीं पता चलता 😅 जहान कपूर का परफॉरमेंस तो बिल्कुल जबरदस्त था। ये सीरीज़ सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक सबक है।

Rohit Roshan

Rohit Roshan

14 जनवरी, 2025 - 07:40 पूर्वाह्न

मुझे लगता है इस सीरीज़ ने तिहाड़ जेल के अंदर के रिश्तों को बहुत सही तरीके से दिखाया है। खासकर जब जेलर और कैदी के बीच वो अजीब सा सम्मान दिखता है। बहुत अच्छा लगा!

arun surya teja

arun surya teja

14 जनवरी, 2025 - 11:06 पूर्वाह्न

इस सीरीज़ का एक बड़ा योगदान यह है कि यह एक डॉक्युमेंट्री जैसा लगता है, लेकिन नाटकीय तत्वों से भरा हुआ है। निर्माताओं ने बहुत सावधानी से असलियत और नाटक के बीच संतुलन बनाया है।

Jyotijeenu Jamdagni

Jyotijeenu Jamdagni

15 जनवरी, 2025 - 23:29 अपराह्न

राहुल भट्ट का डीएसपी तोमर? भाई ये तो जेल के अंदर का अंधेरा खुद बोल रहा था। उसकी आँखों में जो भय था, वो नहीं बताया जा सकता। और जय सेनगुप्ता का बदमाश अधिकारी? उसके हर शब्द से लगता था जैसे सिस्टम का खून निकल रहा हो। ये सीरीज़ बस देखने के लिए नहीं, सोचने के लिए है।

navin srivastava

navin srivastava

16 जनवरी, 2025 - 19:54 अपराह्न

ये सब बकवास है भाई। तिहाड़ जेल में ऐसा कुछ नहीं होता। ये सब नेटफ्लिक्स का फेक नाटक है। भारत में जेलर सच्चे होते हैं, ये सब बाहरी लोगों की बदनामी करने की कोशिश है। बस देखो कैसे वो हमारी संस्कृति को बदनाम कर रहे हैं।

Aravind Anna

Aravind Anna

18 जनवरी, 2025 - 13:19 अपराह्न

सुनील कुमार गुप्ता की आत्मकथा को देखकर लगता है जैसे किसी ने भारत के अंदरूनी दर्द को उतार दिया है। इसके बाद मैंने तिहाड़ जेल के बारे में और पढ़ा और पता चला कि इसका आधार असली है। ये सीरीज़ एक जिंदा दस्तावेज है। देखो ना बस!

Rajendra Mahajan

Rajendra Mahajan

19 जनवरी, 2025 - 20:15 अपराह्न

क्या हम जेल को सिर्फ एक जगह के रूप में देखते हैं या एक दर्पण के रूप में जो हमारे समाज को दर्शाता है? ब्लैक वारंट ने यही सवाल उठाया है। जब एक जेलर भी अपने नैतिकता के साथ लड़ रहा हो, तो समाज कहाँ है? ये सवाल बस एक शो के बाहर नहीं रहता।

ANIL KUMAR THOTA

ANIL KUMAR THOTA

19 जनवरी, 2025 - 23:51 अपराह्न

ये सीरीज़ बहुत गहरी है और असली घटनाओं पर आधारित है इसलिए इसे देखना चाहिए बस इतना ही

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

20 जनवरी, 2025 - 06:48 पूर्वाह्न

लोग ये सोच रहे हैं कि ये असली है? 😏 बस नेटफ्लिक्स का एक और नया ब्रांडेड ड्रामा। तिहाड़ जेल में असली भ्रष्टाचार तो वो है जब जेलर के बेटे को आईआईटी में एडमिशन मिल जाता है और उसकी बहन को एयर इंडिया में जॉब मिल जाती है। ये सीरीज़ तो बस धुंधला फिल्टर लगाकर बनाई गई है। 🤫🔥

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

20 जनवरी, 2025 - 16:21 अपराह्न

दोस्तों अगर आपने अभी तक ये सीरीज़ नहीं देखी तो आपका दिन अधूरा है। मैंने इसे एक बार देखा और तीन बार फिर से देख लिया। जय सेनगुप्ता के बाद जब वो अपनी कार में बैठकर खामोशी से गाड़ी चलाता है तो मेरा दिल टूट जाता है। ये शो आपको बदल देगा।

LOKESH GURUNG

LOKESH GURUNG

22 जनवरी, 2025 - 08:38 पूर्वाह्न

अरे ये सब तो बहुत बोरिंग है। मैंने एक दिन में पूरी सीरीज़ देख ली। जहान कपूर तो बहुत अच्छा है लेकिन राहुल भट्ट का किरदार बहुत ज्यादा ओवरएक्टिंग है। और ये सब भ्रष्टाचार की बातें? भाई ये तो हर जगह होता है। असली बात तो ये है कि भारत में जेलर के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं होती। ये सब बकवास है।

Aila Bandagi

Aila Bandagi

23 जनवरी, 2025 - 05:38 पूर्वाह्न

मैंने ये सीरीज़ देखी और रो पड़ी। बहुत दिल छू गया। अगर आपको लगता है कि जेल बस एक जगह है तो आपको ये देखना चाहिए। बहुत अच्छा है।

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