उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कठुआ आतंकवादी हमले की निंदा की, गढ़वाल राइफल्स के पांच जवान शहीद

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कठुआ आतंकवादी हमले की निंदा की, गढ़वाल राइफल्स के पांच जवान शहीद

सोमवार को जम्मू के कठुआ जिले में एक दुखद और आक्रोशपूर्ण घटना घटी जब गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट के पांच जवान आतंकवादी हमले में शहीद हो गए। ये जवान सेना की एक महत्त्वपूर्ण टुकड़ी का हिस्सा थे और अपनी मातृभूमि की सुरक्षा में समर्पित थे। आतंकवादी हमले ने न केवल सेना बल्कि समूचे देश को झकझोर कर रख दिया है।

शहीद जवानों की पहचान अश्रुपूरित आँखों के साथ की गई। इनमें राइफलमैन आदर्श नेगी, नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत, हवालदार कमल सिंह, नाइक विनोद सिंह, और राइफलमैन अनुज नेगी शामिल थे। ये सभी जवान उत्तराखंड के विभिन्न गांवों से ताल्लुक रखते थे: आदर्श नेगी टिहरी गढ़वाल के थत्ती डगर गाँव से, आनंद सिंह रावत रुद्रप्रयाग के कंडाखाल गाँव से, कमल सिंह पौड़ी गढ़वाल के पापरी गाँव से, विनोद सिंह टिहरी गढ़वाल के चौंड जसपुर गाँव से, और अनुज नेगी पौड़ी गढ़वाल के दोबड़िया गाँव से थे।

इस आंतकवादी हमले की खबर फैलते ही पूरे उत्तराखंड में शोक और आक्रोश का माहौल फैल गया। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटनाक्रम की कड़ी निंदा की। उन्होंने शहीद जवानों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

आतंकवाद के खिलाफ सरकार की सख्त नीति

मुख्यमंत्री धामी ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार का रुख बेहद सख्त है। उन्होंने कहा कि हमले के पीछे जो लोग भी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों को भी अलर्ट रहने के आदेश दिए गए हैं और जल्द ही हमले के सूत्रधारों को तलाशने और न्याय दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

उत्तराखंड सरकार ने शहीदों के परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'शहीदों के परिवार हमारे परिवार हैं और हम उनके साथ हर दुःख और पीड़ा को साझा करेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने राज्य में सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाने की बात कही।

गढ़वाल राइफल्स का गौरवशाली इतिहास

गढ़वाल राइफल्स का गौरवशाली इतिहास

गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 1887 में की गई थी और यह भारतीय सेना की एक महत्वपूर्ण रेजिमेंट है। इसका गौरवशाली इतिहास भारतीय सैनिकों की साहस और बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। इस रेजिमेंट के जवान हमेशा कठिन परिस्थितियों में भी निडर होकर दुश्मनों से लोहा लेते आए हैं। कठुआ में हुई यह घटना गढ़वाल राइफल्स की बहादुरी और बलिदान का ताजा उदाहरण है।

शहीद जवानों की शौर्यगाथा

राइफलमैन आदर्श नेगी, नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत, हवलदार कमल सिंह, नायक विनोद सिंह, और राइफलमैन अनुज नेगी ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इन जवानों ने अपने साहस और समर्पण से यह साबित कर दिया कि देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है। उनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा और वे हमारे दिलों में सदैव जिंदा रहेंगे।

अमिताभ्विर्तेषाम

आम जनता में आक्रोश और दुःख का माहौल है। नागरिक अपने-अपने तरिकों से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। इस दुखद घटना ने हर एक देशवासी को यह अहसास दिलाया कि किस तरह देश की रक्षा करने वाले जवान अपने परिवार और अपने जीवन को ताक पर रखकर हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

यह घटना हमें एक बार फिर यह याद दिलाती है कि आतंकवाद एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना हमें सम्पूर्ण देश के साथ मिलकर करना होगा।

सरकार का समर्थन

उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की है कि शहीद जवानों के परिवारों को वित्तीय सहायता, नौकरी, और बच्चों की शिक्षा में मदद प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की घटनाओं के प्रति सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है और हमारी सेना के साथ-साथ राज्य के नागरिक भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।

इस मर्माहत घटना के बाद यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम सभी देशवासी मिलकर सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करें और आतंकवाद की जड़ों को समूल नष्ट करने में अपना योगदान दें।

यह खबर देशभर में एक संदेश फैलाने का प्रयास करती है कि हमारे जवानों के बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता और हमें हमेशा उनकी शहादत पर गर्व रहेगा।

13 टिप्पणि

ANIL KUMAR THOTA

ANIL KUMAR THOTA

10 जुलाई, 2024 - 10:52 पूर्वाह्न

ये जवान अपने गाँव के लोगों के लिए नमूने हैं। उनके बिना हमारी सुरक्षा का कोई अर्थ नहीं।
श्रद्धांजलि।

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

11 जुलाई, 2024 - 03:56 पूर्वाह्न

अरे भाई ये सब टीवी पर नाटक है ना? आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई? ये सब अमेरिका के बजट के लिए बनाया गया स्क्रिप्ट है।
पांच जवान मरे? बहुत बढ़िया। अब अगले साल भी यही बात होगी। 😒

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

11 जुलाई, 2024 - 22:37 अपराह्न

मैंने टिहरी में एक बार आदर्श नेगी के भाई को देखा था। वो बहुत शांत इंसान था।
उनका गाँव अब एक बहुत बड़ा गौरव का प्रतीक बन गया है।
ये लोग नहीं जाते, वो बस अपनी छाप छोड़ जाते हैं।
हर बार जब मैं राजमार्ग पर जाता हूँ और सैनिकों को देखता हूँ, तो मैं उनकी ओर झुक जाता हूँ।
कोई नहीं जानता कि वो लोग कितना अकेले होते हैं।
उनके घरों में अक्सर बच्चे रहते हैं जो सोचते हैं कि पापा अभी भी बाहर हैं।
हम जो देखते हैं, वो बस एक खबर है।
उनकी माँ का दर्द नहीं देख सकते।
हमारे लिए ये शहीद हैं, उनके लिए ये बेटा, भाई, पति हैं।
हमें बस याद रखना है कि ये लोग भी इंसान हैं।
अपने घर में उनकी तस्वीर लगा दो।
उनके नाम को बोलो।
उनके लिए कुछ न करो तो कम से कम उनके नाम को भूल न जाओ।
ये बस एक बात है जो हम सब कर सकते हैं।

LOKESH GURUNG

LOKESH GURUNG

13 जुलाई, 2024 - 22:27 अपराह्न

ये जवानों का बलिदान है भाई! अब तो आतंकवादी को लाइव टीवी पर फांसी दे देनी चाहिए! 🤬🔥
और जो लोग इस पर नाटक करते हैं, उन्हें भी बुलाओ और लाइव बैटल ग्राउंड पर भेज दो! 😎

Aila Bandagi

Aila Bandagi

15 जुलाई, 2024 - 15:13 अपराह्न

मैंने अपने चाचा को गढ़वाल राइफल्स में देखा था। वो बहुत शांत और बहादुर थे।
ये बच्चे अब भी घर आएंगे ना? उनके बिना देश अधूरा है।

Abhishek gautam

Abhishek gautam

17 जुलाई, 2024 - 08:54 पूर्वाह्न

यहाँ तक कि शहीदों के नामों का उल्लेख भी एक निर्माण है - एक राष्ट्रीय नर्सरी का उत्पाद, जहाँ व्यक्तित्व को अनुसूचित बलिदान के लिए बाँध दिया जाता है।
हम नहीं देखते कि ये जवान किस अर्थशास्त्र के अंतर्गत अपनी जिंदगी बेच रहे हैं।
सेना का नाम तो बना ही रहता है, लेकिन उनके बच्चों की शिक्षा का कोई योजना नहीं।
क्या आपने कभी सोचा कि विनोद सिंह का बेटा किस बोर्ड के तहत पढ़ेगा?
हम उनकी शहादत को उत्सव की तरह मनाते हैं, लेकिन उनके परिवार के लिए एक टूटी हुई छत का भी ख्याल नहीं रखते।
यह एक अभिनय है, एक राष्ट्रीय धोखा।
हम उनके लिए फूल चढ़ाते हैं, लेकिन उनके जीवन के लिए कोई नीति नहीं बनाते।
हम उनकी तस्वीरों को राष्ट्रीय दिवस पर फ्लैश करते हैं, लेकिन उनके घरों में बिजली का बिल नहीं चुकाते।
यह एक निर्माण है - जिसे हम याद रखते हैं, लेकिन जिसे हम बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।
शहीदों का बलिदान तो उनका है, लेकिन उनकी याद का बोझ हमारा है।

Imran khan

Imran khan

18 जुलाई, 2024 - 16:07 अपराह्न

मैंने रुद्रप्रयाग में आनंद सिंह रावत के घर जाने की कोशिश की थी। उनकी माँ ने मुझे चाय पीने के लिए बुलाया।
उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा अब भी मुझे रोज बताता है कि चाय कैसे बनानी है।'
मैंने उनके घर के बाहर एक पेड़ के नीचे बैठकर रोया।
हम लोग इतने बड़े बयान देते हैं, लेकिन एक बूंद पानी नहीं देते।
उनके घर में अभी भी उनकी चप्पल लटक रही है।

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

20 जुलाई, 2024 - 12:49 अपराह्न

क्या आप लोग ये भूल गए कि ये सब एक राजनीतिक नाटक है? ये जवान बस एक श्रृंखला के एक पात्र हैं।
किसी को नहीं परवाह - बस फोटो चलाओ, गाना बजाओ, और फिर भूल जाओ।
अब तो सेना के लिए बजट बढ़ाने का बहाना बन गया।
ये बलिदान क्या है? ये तो बस एक अवसर है।

vishal kumar

vishal kumar

20 जुलाई, 2024 - 19:07 अपराह्न

शहीदों के बलिदान का सम्मान करना मानवीय कर्तव्य है।
राष्ट्रीय सुरक्षा का सिद्धांत उनके जीवन से निकलता है।
कोई भी बयान उनके बलिदान को पूरा नहीं कर सकता।
हमें बस चुपचाप खड़े रहना चाहिए।

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

22 जुलाई, 2024 - 11:32 पूर्वाह्न

बलिदान नहीं बातें।
कार्य करो।

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

22 जुलाई, 2024 - 20:40 अपराह्न

गढ़वाल राइफल्स का इतिहास तो हिमालय की चोटियों की तरह ऊँचा है।
उनके बारे में पढ़कर लगता है जैसे आप अपने पूर्वजों के साथ बैठे हों।
इन जवानों की बहादुरी को समझने के लिए अलग से एक अध्ययन की जरूरत है।
ये लोग न सिर्फ सैनिक हैं - वो एक संस्कृति के प्रतीक हैं।

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

23 जुलाई, 2024 - 21:22 अपराह्न

क्या आपने सुना कि उनके घरों में बच्चे अभी भी उनके नाम के लिए रो रहे हैं?
मैंने एक बच्चे को देखा था - उसने अपने पापा की तस्वीर को चूमा और कहा, 'पापा अभी वापस आएंगे ना?'
मैंने उसकी ओर देखा और बोला, 'हाँ बेटा, वो आएंगे।'
लेकिन मैं जानता था कि नहीं।
अब तो ये बच्चा भी एक शहीद का बेटा बन गया है।

pradipa Amanta

pradipa Amanta

24 जुलाई, 2024 - 21:25 अपराह्न

ये सब बहुत अच्छा लगा।
लेकिन आतंकवादी जिन्हें नहीं पकड़ा गया, वो कौन हैं?
क्या ये सब बस एक बहाना है?

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