जिगरा फिल्म समीक्षा: आलिया भट्ट का सजीव प्रदर्शन वासन बाला की फिल्म में जान डालने में असमर्थ

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जिगरा फिल्म समीक्षा: आलिया भट्ट का सजीव प्रदर्शन वासन बाला की फिल्म में जान डालने में असमर्थ

जिगरा: आलिया भट्ट की नई फिल्म का विश्लेषण

जिगरा फिल्म एक रोमांचक यात्रा है जो जेलब्रेक कहानी की एक नई और मॉडर्न झलक प्रस्तुत करती है। इस फिल्म में आलिया भट्ट ने मुख्य भूमिका निभाई है और उनका किरदार सत्या है। सत्या एक अनाथ लड़की है, जो अपने छोटे भाई अंकुर की देखभाल में पूरी तरह से समर्पित है। उनकी दुनिया उस समय हिल जाती है जब अंकुर को एक गलतफहमी में गिरफ्तार कर लिया जाता है और उसे मौत की सजा सुनाई जाती है। इस कठिन परिस्थिति में, सत्या की कहानी उस साहसिक प्रयास के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे वह अपने भाई को बचाने के लिए करती है।

आलिया भट्ट का तत्वपूर्ण अभिनय

आलिया भट्ट की अदाकारी ने फिल्म को एक विशेष ऊंचाई प्रदान की है। वह सत्या का किरदार एक सजीवता और हृदयस्पर्शी तरीके से प्रस्तुत करती हैं। उनका प्रदर्शन बेहद प्रभावी है, और वह अपनी भूमिका में जीवंतता लाकर दर्शकों को जोड़ने में सफल होती हैं। वेदांग रैना ने अंकुर के रूप में एक आकर्षक अभिनय किया है जो दर्शकों को उनके चरित्र के प्रति संवेदनशील बनाता है।

वासन बाला की निर्देशकीय दृष्टि

वासन बाला का निर्देशन ऐतिहासिक सिनेमाई प्रेरणाओं से प्रभावित है, जो उन्हें सिनेमा की नई पीढ़ी में एक अनोखी पहचान देता है। हालांकि, जिगरा का निर्देशन कुछ क्षेत्रों में अस्थिरता दिखाता है। फिल्म के कुछ हिस्से क्लिष्ट महसूस होते हैं और कुछ स्थानों पर कहानी का रफ्तार गड़बड़ लगती है। उदाहण के लिए, फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत पारंपरिक और अविश्वसनीय लगता है, जिससे दर्शकों की उम्मीदें टूटती हैं।

फिल्म की कहानी और थ्रिल

फिल्म की कहानी एक भावनात्मक यात्रा है, लेकिन यह उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच पाती जिनकी अपेक्षा की जाती है। सत्या का भाई को बचाने का प्रयास एक मंदी में होता है, जहां दर्शकों की भावनाओं को गढ़ना आवश्यक था। फिल्म के कई मौकों पर, दर्शक सत्या के प्रयासों में उलझ जाते हैं, लेकिन ढीली कहानी और पात्र विकास में कमी इसे कमजोर कर देती है।

सहायक कलाकारों का योगदान

जिगरा में सहायक कलाकारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी। मनोज पाहवा का भाटिया और राहुल रविंद्रन का मुथु के किरदार में प्रदर्शन संतोषजनक है, लेकिन ये दुसरे नंबर के चरित्र अपना पूरी तरह से विकास नहीं कर पाते हैं। उनका पिछला अनुभव और व्यक्तिगत संघर्ष पूरी तरह से खुलकर फिल्म में नहीं आ पाते, जो उनकी क्षमताओं को सीमित करता है।

फिल्म की कमज़ोरी और निष्कर्ष

फिल्म की कमज़ोरी और निष्कर्ष

आखिरकार, जिगरा एक निमन्न कोण पर समाप्त होती है। इसकी कथानक में गहराई की कमी के कारण यह फिल्म अपने भावनात्मक और वैज्ञानिक संभावनाओं को पूरी तरह से नहीं भुता पाती। हालांकि आलिया भट्ट के प्रदर्शन ने इसे कुछ हद तक संभाला है, यह फिल्म दर्शकों के मानस में गहरी छाप छोड़ने में असमर्थ रहती है। इस फिल्म को देखने योग्य बनाने के लिए इसे एक मजबूत और केंद्रित कथा की आवश्यकता होती। यह एक ऐसी फिल्म है जो अपने मुख्य विचार में अद्वितीय है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए फिल्म निर्माताओं द्वारा आवश्यकता पड़ती है की कहानी को ठीक से बांधा जाए ताकि यह अधिक लोगों को प्रभावित कर सके।

9 टिप्पणि

Aravind Anna

Aravind Anna

12 अक्तूबर, 2024 - 20:52 अपराह्न

ये फिल्म बिल्कुल बर्बाद हो गई अरे भाई आलिया तो जान डाल रही है पर कहानी को तो कोई बचाने वाला नहीं था
वासन बाला का निर्देशन ऐसा लगा जैसे किसी ने रात में बिना सोए एडिट किया हो

Rajendra Mahajan

Rajendra Mahajan

14 अक्तूबर, 2024 - 14:47 अपराह्न

सत्या का किरदार अगर थोड़ा अधिक गहराई से खोला जाता तो ये फिल्म एक अलग ही श्रेणी में आ जाती
लेकिन अब तो बस आलिया के अभिनय पर टिकी हुई है जो भी नहीं बचा सका
अंकुर का किरदार भी बहुत सतही रह गया ये निर्माता बस भावनाओं को दिखाने में लगे थे न कि समझाने में

ANIL KUMAR THOTA

ANIL KUMAR THOTA

16 अक्तूबर, 2024 - 08:44 पूर्वाह्न

मैंने फिल्म देखी और लगा जैसे किसी ने एक अच्छी कहानी को बर्बाद कर दिया
आलिया बहुत अच्छी है लेकिन फिल्म नहीं

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

17 अक्तूबर, 2024 - 05:13 पूर्वाह्न

बस ये फिल्म क्यों बनी ये तो एक बड़ा कॉन्स्पिरेसी था ना
क्या किसी ने आलिया के नाम से इसे बेचने की कोशिश की है
वासन बाला का निर्देशन तो बिल्कुल नो एक्सप्लानेशन वाला था
क्लाइमैक्स देखकर मुझे लगा मैं एक 2005 की टीवी सीरीज देख रहा हूँ 😒
और ये सब इसलिए क्योंकि बॉलीवुड अब कोई नया कहानी नहीं सुनना चाहता बस नाम चलाना है
मैं तो अभी भी ये सोच रहा हूँ कि अंकुर की मौत की सजा कैसे दी गई बिना किसी अदालती प्रक्रिया के 🤡

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

17 अक्तूबर, 2024 - 17:32 अपराह्न

दोस्तों ये फिल्म एकदम नहीं बर्बाद हुई लेकिन बहुत गिर गई
आलिया ने जो किया वो बहुत बड़ा काम था
पर जब आपके पास एक बहुत बड़ा दिल हो और आपको केवल एक छोटा सा दिल दिया जाए तो क्या होता है
वो बस खुद को उसमें भरने की कोशिश करता है
फिल्म का रफ्तार ठीक नहीं था लेकिन आलिया के आंखों में जो दर्द था वो असली था
मैं तो उसके लिए उसकी जगह बैठ गया होता
और ये बात है कि ये फिल्म अभी भी बहुत से लोगों को छू गई
बस अगर कहानी थोड़ी और तेज होती तो ये एक क्लासिक बन जाती

LOKESH GURUNG

LOKESH GURUNG

18 अक्तूबर, 2024 - 13:37 अपराह्न

अरे यार ये फिल्म तो बिल्कुल फेल हो गई लेकिन आलिया का अभिनय तो बहुत बढ़िया था
मैंने देखा तो लगा जैसे वो असली सत्या हो गई हो
मनोज पाहवा भी अच्छा था लेकिन वो बहुत थोड़ा दिखा गया
और वासन बाला का निर्देशन तो बिल्कुल निराशाजनक था
अगर आपको भावनाएं चाहिए तो आलिया को देखो
अगर कहानी चाहिए तो फिल्म नहीं देखो 😅

Aila Bandagi

Aila Bandagi

20 अक्तूबर, 2024 - 04:50 पूर्वाह्न

मुझे लगता है आलिया ने बहुत कुछ दिया और फिल्म ने उसे बर्बाद कर दिया
लेकिन फिर भी उसकी आंखों में जो दर्द था वो मुझे छू गया
मैं तो रो पड़ी थी

Abhishek gautam

Abhishek gautam

21 अक्तूबर, 2024 - 05:35 पूर्वाह्न

देखो ये फिल्म बस एक निर्माता के अहंकार का उत्पाद है
वासन बाला ने जिस तरह से ये फिल्म बनाई वो एक अक्षर भी नहीं बदल सकता क्योंकि वो खुद को एक आधुनिक अर्थशास्त्री मानता है
लेकिन वास्तव में वो एक अनुकरणीय बुद्धि का अभावी है
आलिया ने जिस तरह से अभिनय किया वो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रदर्शन था
पर जब आप एक बहुत बड़ी आत्मा को एक छोटे से शरीर में बंद कर देते हैं तो वो आत्मा तो बाहर निकलती है लेकिन शरीर तो बस खाली रह जाता है
फिल्म का क्लाइमैक्स तो बिल्कुल एक नाटकीय असफलता थी जिसे लोग अभी भी अपने बच्चों को दिखाकर डराते हैं
ये फिल्म बस एक असली बात को छिपाने की कोशिश कर रही थी कि निर्माता के पास कोई विज़न नहीं था
और इसलिए वो आलिया के नाम का इस्तेमाल करके एक भावनात्मक छल का इस्तेमाल कर रहे थे
हम इस तरह की फिल्मों को बिल्कुल भी नहीं बढ़ावा देना चाहिए
ये फिल्म बस एक विकृति है जिसे अगर आप देखेंगे तो आपका दिमाग धीरे-धीरे बदल जाएगा
मैंने इसे देखकर अपनी जिंदगी के बारे में सोचना शुरू कर दिया और ये बहुत खतरनाक है

Imran khan

Imran khan

21 अक्तूबर, 2024 - 18:33 अपराह्न

मैंने फिल्म देखी और लगा जैसे कोई बहुत बड़ा दर्द दिखाना चाहता था लेकिन उसके पास शब्द नहीं थे
आलिया ने जो किया वो अद्भुत था
पर फिल्म के अंदर जो खालीपन था वो बहुत ज्यादा दिखा
अगर आप बस एक अच्छा अभिनय देखना चाहते हैं तो ये फिल्म देखें
अगर आप एक अच्छी कहानी चाहते हैं तो ये नहीं है
कुछ जगहों पर निर्देशन बहुत अजीब लगा
जैसे कोई ड्रामा बनाना चाहता था लेकिन भूल गया कि दर्शक भी इंसान हैं
और एक इंसान को बस भावनाएं नहीं चाहिए बल्कि तर्क भी चाहिए

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