मिचेल स्टार्क की अद्भुत गेंदबाजी
मिचेल स्टार्क ने टेस्ट क्रिकेट में एक बार फिर अपनी बेहतरीन गेंदबाजी का परिचय देते हुए एक अद्वितीय उपलब्धि हांसिल की। एडिलेड में भारत के खिलाफ खेले गए दूसरा टेस्ट मैच में, उन्होंने भारत की मजबूत बल्लेबाजी लाइनअप के सामने जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए छह अहम विकेट लिए। ये उनके करियर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। उनकी सकारात्मक गेंदबाजी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया की टीम ने भारतीय टीम को महज़ 180 रनों पर समेट दिया।
स्टार्क ने अपनी चुनौतीपूर्ण बॉलिंग से भारतीय टीम के प्रमुख बल्लेबाजों को परेशान कर दिया। केएल राहुल, विराट कोहली, और यशस्वी जायसवाल जैसे प्रमुख बल्लेबाज उनकी गेंदों का शिकार बने। खास तौर पर यशस्वी को उन्होंने पहली ही गेंद पर पवेलियन लौटने के लिए मजबूर किया, जिससे उनकी आक्रामक गेंदबाजी का अंदाजा लगाया जा सकता है। हर बार जब स्टार्क गेंदबाजी करने उतरे, तो उन्होंने इसे एक उच्च स्तर पर उठाते हुए विरोधी टीम को समीक्षा करने पर मजबूर किया।
यह शानदार प्रदर्शन न केवल इस मैच की बात थी, बल्कि उन्होंने पूरे डे-नाइट क्रिकेट टेस्ट क्रिकेट में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। चार बार उन्होंने इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में पांच विकेट लिए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ये स्टार्क की निरंतरता और कौशल का प्रमाण है कि कैसे वे अपनी भूमिका को समझते हैं और उसे अंजाम तक पहुंचाते हैं।
ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की सेन
ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी यूनिट में स्टार्क के अलावा भी कई महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस मैच में खुद को साबित किया। पैट कमिंस और स्कॉट बोलैंड की हमेशा की तरह घातक गेंदबाजी ने भी भारत के बल्लेबाजों पर दबाव बनाए रखा। उन्होंने नई गेंद और गुलाबी गेंद दोनों का बेहतरीन इस्तेमाल किया, विशेषकर दूसरे सत्र में जहां उनका प्रदर्शन निर्णायक साबित हुआ।
गुलाबी गेंद से खेलते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने अपने अनुभव और गति का पूरी तरह इस्तेमाल किया। उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को कोई मौका नहीं दिया और लगातार विकटें चटकाते रहे। उनके सामने भारतीय बल्लेबाज संकोच में आ गए और उन्होंने अपना लय खो दिया।
भारत की चुनौतियाँ और मौका
भारतीय टीम के लिए यह मैच नई चुनौतियों से भरा हुआ था। हालांकि, निराशाजनक स्थिति में भी नितीश रेड्डी ने थोड़ा साहस दिखाते हुए 42 रनों की तेज पारी खेली। उनका यह प्रयास थोड़ा राहत प्रदान करने वाला था लेकिन उन्होंने जो लय पकड़ी थी, उसे बाकी बल्लेबाज जारी नहीं रख सके।
इसके बावजूद, भारतीय टीम के पास अभी भी मौका है कि वे अगले दिन बेहतर खेले और गेंद से कुछ करिश्मा करने की कोशिश करें। जब तक उनके लिए पिच पर संघर्ष है, वे कभी भी वापसी कर सकते हैं। यह उनके लिए एक सबक है कि वे किस तरह से इस प्रतिष्ठित श्रृंखला में खुद को संभाल सकते हैं।
ऑस्ट्रेलियाई पारी की शुरुआत पर एक नज़र
पहले दिन के खेल के अंत तक ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 86 रन पर 1 विकेट खो दिए थे। उनके शीर्ष क्रम ने अच्छी शुरुआत की और नाथन मैकस्वीनी और मार्नस लाबुशेन अभी भी क्रीज़ पर थे, जिसने टीम को आत्मविश्वास से भरा रखा। उनकी निगाह आगामी दिन में और अधिक रन बनाकर बढ़त सुनिश्चित करने में होगी।
यह टेस्ट मैच दोनों टीमों के लिए अनेकों बार दिशाएं बदलने वाला साबित हो सकता है। स्टार्क का प्रदर्शन ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए एक अच्छी खबर लेकर आया है, लेकिन भारत के पास भी खुद को साबित करने का समय है। यह देखना रोचक होगा कि अगले मैचों में दोनों टीमों की रणनीतियाँ कैसे बदलती हैं और कौन सा टीम इस रोमांचक सीरीज़ में आगे निकलता है।
Manohar Chakradhar
8 दिसंबर, 2024 - 03:29 पूर्वाह्न
ये स्टार्क तो असली बॉलर है भाई! गुलाबी गेंद से भी ऐसा जलवा कर दिया कि भारतीय बल्लेबाज़ लगे जैसे नए दिन में उठे हों। मैंने तो टीवी पर देखकर चिल्ला दिया, ये तो बाल्टी में पानी डाल देने वाला है।
LOKESH GURUNG
9 दिसंबर, 2024 - 10:18 पूर्वाह्न
बस बस बस! 🤬 स्टार्क ने तो विराट कोहली को भी पहली गेंद पर बुलाया, ये क्या बात है? 🤯 भारत के बल्लेबाज़ तो अब टेस्ट में भी टी20 खेलने लगे हैं। कमिंस और बोलैंड ने भी बर्बरी कर दी, ये ऑस्ट्रेलिया टीम तो बस डरावनी है।
Aila Bandagi
10 दिसंबर, 2024 - 16:02 अपराह्न
मैंने तो बस देखा कि यशस्वी ने जो बल्ला उठाया, उसके बाद से ही लगा जैसे गेंद उड़ गई। स्टार्क का जो गेंदबाजी का अंदाज़ है, वो तो दिल को छू जाता है। बहुत अच्छा खेल था!
Abhishek gautam
12 दिसंबर, 2024 - 15:04 अपराह्न
यहाँ जो हुआ, वो केवल एक खेल का परिणाम नहीं है - यह एक सांस्कृतिक अपराध है। हमने जिस तरह की बल्लेबाजी की नीति को विकसित किया है, उसका विरोध यहाँ एक नए रूप में आया है। स्टार्क की गेंदें बस गेंदें नहीं हैं, वो अपने देश के आत्मविश्वास की भाषा हैं। हमारे बल्लेबाज़ तो अभी भी जीवन के अर्थ की खोज में हैं, जबकि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ उसी अर्थ को बल्ले से नहीं, बल्कि गेंद से लिख रहे हैं। यह टेस्ट क्रिकेट नहीं, यह एक दर्शन है।
Imran khan
13 दिसंबर, 2024 - 13:04 अपराह्न
नितीश रेड्डी का 42 रन तो बहुत अच्छा था - बस इतना ज्यादा नहीं बना पाया। लेकिन देखो, ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज़ों की ताकत उनकी गति में नहीं, उनकी लगातार गेंदबाजी के दबाव में है। एक भी गेंद आराम से नहीं दी। अगले दिन भारत को बस एक बात समझनी होगी - बल्ला नहीं, दिमाग खेलना है।
Neelam Dadhwal
15 दिसंबर, 2024 - 09:37 पूर्वाह्न
ये जो भारतीय बल्लेबाज़ हैं, वो तो बस टेस्ट क्रिकेट के लिए नहीं, बल्कि अपने अहंकार के लिए खेल रहे हैं। एक बार फिर विराट कोहली ने अपना राजा बनने का नाटक किया - और फिर बाहर हो गए। ये टीम तो बस रोती रहेगी, जब तक उनके दिमाग में भी गेंद नहीं आ जाती।
vishal kumar
17 दिसंबर, 2024 - 00:21 पूर्वाह्न
गेंदबाजी का विजय नहीं रनों का विजय है। ऑस्ट्रेलिया ने जो गेंदें फेंकीं वो नियमित थीं। भारत की बल्लेबाजी अनियमित थी। यह विश्लेषण की बात है न कि भावना की।
Oviyaa Ilango
17 दिसंबर, 2024 - 08:35 पूर्वाह्न
स्टार्क ने जो किया वो बस गेंदबाजी नहीं थी। ये तो एक निर्माण था। भारत को अभी भी अपनी शिक्षा पूरी नहीं की।