ओमर अब्दुल्ला बनेंगे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एक महत्वपूर्ण घोषणा में अपने बेटे ओमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री बनने की घोषणा की है। यह घोषणा 2014 के बाद पहली बार यहां हुए विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन द्वारा बहुमतीय सरकार बनाने के उपरांत की गई। उन्होंने इस फैसले को आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ जनादेश का परिणाम बताया। यह चुनाव एक दशक के लंबे अंतराल के बाद हुआ था, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने प्रमुखता से अपनी जगह बनाई।
ओमर के चुनावी जीत का केंद्र
ओमर अब्दुल्ला ने इस चुनाव में बडगाम और गांदेरबल सीटों से शानदार जीत हासिल की। भारी मार्जिन से दोनों सीटें जीतने के बाद ओमर ने जनता का दिल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह जीत दर्शाती है कि लोग जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक परिवर्तनों की उम्मीद कर रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। इस प्रकार, गठबंधन ने बहुमतीय 48 सीटें हासिल कर ली हैं।
आने वाली सरकार की चुनौतियां
आगामी सरकार की प्राथमिकताों में बेरोजगारी की समस्या, महंगाई और नशे के बढ़ते प्रकोप को कम करना शामिल होगा। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह आवश्यक है कि प्रदेश की जनसंख्या के हित में ठोस कदम उठाए जाएं। इस चुनाव परिणाम ने साफ संदेश दिया है कि जम्मू-कश्मीर की जनता अविकसित मुद्दों से ऊपर उठकर प्रगति की ओर देख रही है।
अन्य महत्वपूर्ण उम्मीदवारों की जीत
एलेक्शन में अन्य प्रमुख जीतने वालों में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा, पीडीपी के युवा अध्यक्ष वहीद पारा, और भाजपा नेता देवेंदर राणा शामिल हैं। पीडीपी जो 2014 में 28 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी, इस चुनाव में उसे मात्र 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
भविष्य की राह
फारूक अब्दुल्ला ने इस जीत को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवाद और जनहित की विजय करार दिया। गठबंधन सरकार का मकसद है कि लोग लंबे समय से महसूस कर रहे समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और एक मजबूत प्रशासनिक ढांचे का निर्माण किया जाए। यह योजना इस बात पर भी आधारित है कि कैसे न्यायपूर्ण आर्थिक नीतियों के माध्यम से प्रदेश के विकास को गति दी जाए।
Neelam Dadhwal
9 अक्तूबर, 2024 - 15:59 अपराह्न
ये सब नेताओं का खेल है जब तक जम्मू-कश्मीर में बच्चे पढ़ पाएंगे नहीं तो कोई भी वादा बस धुआं है। ओमर अब्दुल्ला का नाम सुनकर लगता है जैसे पुरानी फिल्म का रीमेक आ गया। अब तक की सरकारों ने क्या किया? सिर्फ तस्वीरें खिंचवाईं।
अब फिर से वही लोग वापस आ गए। क्या अब भी ये सोचते हैं कि लोग भूल गए हैं?
vishal kumar
10 अक्तूबर, 2024 - 05:04 पूर्वाह्न
संविधान के अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीतिक संरचना में गहरा परिवर्तन आया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस का चुनावी उत्थान एक ऐतिहासिक विरोध का प्रतीक है जो जनता के आत्मसात करने की क्षमता से जुड़ा है। यह एक अवसर है लेकिन यह एक जिम्मेदारी भी है। भविष्य की सफलता नीतियों की गुणवत्ता पर निर्भर करेगी न कि नाम पर।
Oviyaa Ilango
11 अक्तूबर, 2024 - 17:14 अपराह्न
ओमर अब्दुल्ला अब मुख्यमंत्री हैं बस। अब देखना होगा कि क्या करते हैं। नाम तो पहले से जानते हैं। अब नतीजे चाहिए।
Aditi Dhekle
13 अक्तूबर, 2024 - 02:47 पूर्वाह्न
इस चुनाव का सामाजिक-राजनीतिक इम्पैक्ट बहुत गहरा है। लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के रूप में यह एक पोस्ट-कॉलोनियल रिजेनरेशन का संकेत है। युवा विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशनल रिफॉर्म्स की डिमांड अब बहुत अधिक एक्सप्लिसिट हो चुकी है। अगर सरकार इन्हें नेटवर्क थ्योरी के अनुसार इंटीग्रेट नहीं करेगी तो यह जीत अस्थायी होगी।
Aditya Tyagi
15 अक्तूबर, 2024 - 00:34 पूर्वाह्न
सच बताऊं तो ये सब लोग एक ही परिवार के हैं और अब फिर से उन्होंने राज्य को वापस ले लिया। जब तक यहां के लोगों को नौकरी मिल रही हो तब तक ये सब बातें बस बातों का खेल है। असली जीत तो वो होगी जब कोई बेटा बिना पिता के चुना जाए।