स्पेन की बैडमिंटन स्टार कैरोलीना मारिन और उनकी पेरिस 2024 ओलंपिक यात्रा
स्पेन की तीन बार की विश्व चैंपियन और रियो 2016 की स्वर्ण पदक विजेता कैरोलीना मारिन ने पेरिस 2024 ओलंपिक में जो संघर्ष किया, वह आज दुनियाभर के खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन गया है। अपने प्रदर्शन के परचम को और ऊँचा करने का सपना लिए जब मारिन ने पेरिस में कदम रखा तो उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का परिचय दिया।
महिला एकल सेमीफाइनल का दिल तोड़ने वाला पल
महिला एकल सेमीफाइनल में चीन की हे बिंगजियाओ के खिलाफ खेलते हुए मारिन ने पहले सेट में 21-14 की शानदार बढ़त बनाई। दूसरे सेट में भी वे 10-6 की बढ़त पर थीं, जब अचानक उनके घुटने में चोट आई। इस चोट के बाद भी वे कुछ देर तक खेलती रहीं, लेकिन अंततः उन्हें प्रतियोगिता से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह पल न केवल मारिन के लिए बल्कि बैडमिंटन प्रेमियों के लिए भी दिल तोड़ने वाला था।
पहले भी झेली हैं चोट की परेशानियां
यह पहली बार नहीं है जब मारिन को इतनी बड़ी प्रतियोगिता से हटना पड़ा हो। इससे पहले भी टोक्यो ओलंपिक में घुटने के लिंगामेंट फटने के कारण मारिन को प्रतियोगिता से हटना पड़ा था। लेकिन मारिन की विशेषता यह है कि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। चोट के बावजूद वे हमेशा वापसी करती रही हैं।
मारिन की दृढ़ता और संघर्ष की कहानी
चोटों के बावजूद मारिन ने 2024 में दो बैडमिंटन ओपन खिताब जीते और अपना सातवां यूरोपीय खिताब भी हासिल किया। यह उनके अदम्य हौसले और खेल के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है। पेरिस ओलंपिक में उनके सफर को देखा जाए, तो उन्होंने ग्रुप स्टेज से प्रारंभ करके शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अमेरिका की बेइवेन झांग और जापान की आया ओहोरी के खिलाफ नॉकआउट राउंड्स में जीत दर्ज की।
कैरोलीना मारिन की अद्वितीय कैसे बनीं पहचान?
कैरोलीना मारिन के संघर्ष और दृढ़ता की कहानी दुनिया के करोड़ों खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। पेरिस ओलंपिक के दौरान उन्होंने न केवल अपनी खेल कौशल का प्रदर्शन किया बल्कि अनगिनत लोगों के दिलों को जीता। सेमीफाइनल मुकाबले में चोट लगने के बाद, जब उन्होंने व्हीलचेयर की मदद लेने से इनकार किया और अपने प्रतिद्वंद्वी को संघर्ष जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया, तो उन्होंने सभी के दिलों की गहराई में अपनी जगह बना ली।
मारिन की यात्रा ने छोड़ी गहरी छाप
31 वर्षीय कैरोलीना मारिन का सपना था कि वे पेरिस में स्वर्ण पदक जीतें, लेकिन यह सपना उनके लिए फिर से अधूरा रह गया। हालांकि, उनके संघर्ष, दृढ़ता और अदम्य साहस ने खेल जगत में उनकी अटूट पहचान बनाई है। खेल की दुनिया में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा और उनकी कहानी आने वाले खिलाड़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
मारिन की यात्रा दिखाती है कि किसी खिलाड़ी का बर्बादी सिर्फ परिणामों से नहीं, बल्कि उनके खेल और संघर्ष की जिजीविषा से मापी जाती है। और इस मायने में, कैरोलीना मारिन हमेशा एक विजेता रहेंगी।
ANIL KUMAR THOTA
5 अगस्त, 2024 - 03:03 पूर्वाह्न
कैरोलीना ने जो दिखाया वो खेल नहीं जीवन का सबक है
चोट लगी तो रोया नहीं बस खड़ी हो गई
VIJAY KUMAR
5 अगस्त, 2024 - 20:01 अपराह्न
ये सब राजनीति है भाई चीन ने उनके घुटने पर हमला किया होगा
क्या तुम्हें लगता है ये यादृच्छिक चोट है?
हे बिंगजियाओ के कोच का नाम क्या है?
मैंने उनकी फिल्म देखी है वो एक राष्ट्रीय साजिश है
ओलंपिक के बाद स्पेन के सभी बैडमिंटन ट्रेनर्स गायब हो गए
मैं तुम्हें बताता हूँ ये सब फेक है
लेकिन जो लोग देख रहे हैं वो जाग गए हैं
कैरोलीना का खेल एक बड़ा ट्रिक है जिसे दुनिया ने नहीं समझा
वो जानती थी अगर वो खेलती रही तो चीन की जीत अधूरी रह जाएगी
तो उसने खुद चोट लगाई और दुनिया को रो दिया
मैं तुम्हें एक टिप देता हूँ अगली बार बैडमिंटन के शूज़ में मैग्नेट लगा लेना
वो तुम्हारी घुटने की चोट का जवाब देगा
मैंने ये सब ट्रैक किया है एक अंडरग्राउंड फोरम में
वो फोरम अब बंद हो चुका है
लेकिन मैंने स्क्रीनशॉट ले लिए हैं
Manohar Chakradhar
6 अगस्त, 2024 - 17:48 अपराह्न
असली जीत तो वो है जब तू गिर जाए और फिर खड़ा हो जाए
कैरोलीना ने वो दिखाया
मैंने अपने बेटे को ये कहानी सुनाई और अब वो हर दिन बैडमिंटन खेलता है
वो कहता है अगर मारिन चोट लगने के बाद भी खेल सकती है तो मैं भी घर के बाहर गिर कर उठ सकता हूँ
ये खेल नहीं ये जीवन है
और ये दिल तोड़ने वाला नहीं ये दिल जीतने वाला है
LOKESH GURUNG
8 अगस्त, 2024 - 09:08 पूर्वाह्न
अरे यार ये बात तो हर बार होती है
चीन के खिलाड़ी तो इतने तेज़ होते हैं कि हवा भी डर जाती है
मारिन ने तो बस अपना दिल लगाकर खेला
और ये बात बहुत अच्छी है
क्योंकि अगर तू जीतने के लिए खेलता है तो तू खो जाता है
अगर तू खेलने के लिए खेलता है तो तू जीत जाता है
मैंने इसी तरह अपनी नौकरी में भी काम किया
और अब मैं बीमारी से बच गया हूँ
सिर्फ इतना कहना है कि जीत या हार नहीं बल्कि खेलने का जज्बा है जो असली है
कैरोलीना तुम एक असली जीत हो
Aila Bandagi
8 अगस्त, 2024 - 15:24 अपराह्न
मैं रो पड़ी जब देखा कि वो व्हीलचेयर नहीं लेना चाहती थी
उसने अपने आप को बचाने की जगह दूसरे को प्रोत्साहित किया
ये जो हुआ वो खेल की बात नहीं इंसानियत की बात है
Abhishek gautam
10 अगस्त, 2024 - 11:13 पूर्वाह्न
कैरोलीना मारिन के संघर्ष को देखकर मैंने एक अस्तित्ववादी दृष्टिकोण अपनाया
यह अप्रत्याशित चोट एक बार फिर यह साबित करती है कि जीवन का अर्थ निर्धारित नहीं होता
वह अपने शरीर के अस्तित्व के विरुद्ध लड़ रही थी
और इस लड़ाई में उसने अपनी अस्तित्व की पहचान बनाई
हे बिंगजियाओ का जीतना एक अर्थहीन घटना है
क्योंकि वह एक व्यवस्था का उत्पाद है
जबकि मारिन का हार एक अनुभव है जो अनुभव के लिए अनुभव है
यह एक दर्शन है जिसे हम भूल गए हैं
हम जीत को नापते हैं लेकिन उसके लिए लड़ने की शक्ति को नहीं
मारिन ने एक अस्तित्व को जन्म दिया जो अपने अस्तित्व के बाहर नहीं था
वह एक बार फिर यह दिखाती है कि विफलता एक अस्तित्व का अंत नहीं है
वह एक अस्तित्व का प्रारंभ है
हम जो देखते हैं वह एक खिलाड़ी नहीं एक दर्शन है
और यह दर्शन हमें बताता है कि जीवन का अर्थ नहीं बल्कि जीवन ही अर्थ है
Imran khan
12 अगस्त, 2024 - 06:53 पूर्वाह्न
मैंने 2016 में रियो में उनका खेल देखा था
वो तब भी चोट से लड़ रही थी
पर उस बार उन्होंने जीत ली थी
इस बार उन्होंने खो दी लेकिन दुनिया ने उन्हें जीत दे दी
किसी को जीतने की जरूरत नहीं होती जब तक तुम अपने दिल से खेलते हो
मारिन ने खेल को बर्बाद नहीं किया बल्कि उसे ऊँचा उठाया
वो अब एक नाम नहीं एक भावना है
Neelam Dadhwal
13 अगस्त, 2024 - 22:11 अपराह्न
ये सब बहुत रोमांचक है लेकिन क्या आपने उनके ट्रेनर के बारे में सोचा?
वो लोग उन्हें बहुत ज्यादा ट्रेन करते हैं
और फिर चोट लग जाती है
ये बस एक बड़ा बिजनेस है
जिसमें खिलाड़ी बस एक उपकरण हैं
मारिन ने अपने शरीर को बेच दिया
और अब दुनिया उसे ही हीरो बना रही है
ये तो बहुत बुरा है
क्योंकि अगर वो एक दिन बैठ जाएगी तो कौन उसे याद करेगा?
vishal kumar
15 अगस्त, 2024 - 01:32 पूर्वाह्न
संघर्ष की गहराई उसके परिणाम से नहीं बल्कि उसके दृढ़ता से मापी जाती है
मारिन ने इस सिद्धांत को जीवन में उतार दिया
इसलिए उसकी यात्रा अनमोल है
Oviyaa Ilango
17 अगस्त, 2024 - 00:23 पूर्वाह्न
कैरोलीना ने जो दिखाया वो खेल नहीं जीवन है
अब बस चुप रहो
Aditi Dhekle
18 अगस्त, 2024 - 02:04 पूर्वाह्न
मैंने इसे भारत में एक गाँव में देखा जहाँ एक लड़की बैडमिंटन खेल रही थी
उसके जूते में चिपका हुआ टेप था
और वो बिना चोट के लिए दर्द भरे चिकित्सकों के बिना खेल रही थी
मारिन ने दुनिया को दिखाया कि खेल कहीं भी जीवित है
ये एक गाँव की लड़की की कहानी है जो अब दुनिया को प्रेरित कर रही है
Aditya Tyagi
18 अगस्त, 2024 - 03:45 पूर्वाह्न
अरे भाई ये तो सिर्फ एक खिलाड़ी की बात है
हमारे देश में लाखों बच्चे बिना जूते खेलते हैं
क्या उनकी कहानी किसी को नहीं दिख रही?
मारिन तो अच्छी है लेकिन वो एक बाहरी चीज है
हमारे बच्चे तो बिना लाइन लगाए खेलते हैं
और तुम यहाँ एक बाहरी की कहानी सुन रहे हो
ये तो बहुत बेकार है
pradipa Amanta
18 अगस्त, 2024 - 23:11 अपराह्न
मारिन ने जो किया वो बहुत अच्छा नहीं था
उसने खेल को बर्बाद कर दिया
चोट लगने के बाद खेलना जारी रखना एक गलत संकेत देता है
ये नए खिलाड़ियों को बताता है कि चोट लगे तो भी खेलो
इससे बहुत ज्यादा चोटें होती हैं
उसे रोकना चाहिए था
ये खेल नहीं जीवन है और जीवन को बचाना है
chandra rizky
19 अगस्त, 2024 - 06:42 पूर्वाह्न
मैं इसे इंडोनेशिया में एक छोटे से गाँव में देखा था
वहाँ एक लड़की बैडमिंटन खेल रही थी
उसके रैकेट पर चिपका हुआ टेप था
और वो बिना चोट के लिए दर्द भरे चिकित्सकों के बिना खेल रही थी
मारिन ने दुनिया को दिखाया कि खेल कहीं भी जीवित है
ये एक गाँव की लड़की की कहानी है जो अब दुनिया को प्रेरित कर रही है
Rohit Roshan
20 अगस्त, 2024 - 13:30 अपराह्न
मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि मारिन ने जो किया वो बहुत बड़ी बात है
हम जो जीतते हैं वो बाहरी होता है
लेकिन वो जो जीतती है वो अंदर से होती है
और वो जीत जो अंदर से होती है वो कभी नहीं खत्म होती
मैंने अपने बेटे को ये कहानी सुनाई और अब वो हर दिन बैडमिंटन खेलता है
वो कहता है अगर मारिन चोट लगने के बाद भी खेल सकती है तो मैं भी घर के बाहर गिर कर उठ सकता हूँ
ये खेल नहीं ये जीवन है
arun surya teja
21 अगस्त, 2024 - 21:26 अपराह्न
खेल के अर्थ को दोहराने की आवश्यकता नहीं है
मारिन के संघर्ष ने इसे स्वयं सिद्ध कर दिया है
जीत या हार दोनों के बाहर एक अस्तित्व है
और वह अस्तित्व अब अनमोल है
Jyotijeenu Jamdagni
22 अगस्त, 2024 - 15:36 अपराह्न
मैंने एक बार एक बैडमिंटन कोर्ट पर एक बूढ़े आदमी को देखा था
उसके हाथ में बैडमिंटन रैकेट था जिस पर बार-बार टेप लगा हुआ था
वो अकेला खेल रहा था
और उसकी आँखों में वही चमक थी जो मारिन की आँखों में थी
उसने मुझे बताया कि वो अपने बेटे के लिए खेलता है
जो अब नहीं है
मैंने उस दिन समझा कि खेल एक याद है
और मारिन ने उस याद को दुनिया के लिए जीवित रखा
navin srivastava
22 अगस्त, 2024 - 20:16 अपराह्न
ये सब बहुत अच्छा है लेकिन चीन ने अपने खिलाड़ियों को जानबूझकर बल्कि ज्यादा ट्रेन किया है
मारिन की चोट एक राष्ट्रीय षड्यंत्र है
हमारे देश के खिलाड़ियों को भी ऐसा ही होना चाहिए
लेकिन हमारे खिलाड़ियों को बस अपने देश के लिए खेलना है
और अगर वो चोट लग जाए तो वो भी जीत जाएगा
क्योंकि भारत के लिए खेलना ही जीत है
Aravind Anna
23 अगस्त, 2024 - 20:03 अपराह्न
मैं तो बस ये कहना चाहता हूँ कि मारिन ने जो किया वो बहुत बड़ी बात है
हम जो जीतते हैं वो बाहरी होता है
लेकिन वो जो जीतती है वो अंदर से होती है
और वो जीत जो अंदर से होती है वो कभी नहीं खत्म होती
मैंने अपने बेटे को ये कहानी सुनाई और अब वो हर दिन बैडमिंटन खेलता है
वो कहता है अगर मारिन चोट लगने के बाद भी खेल सकती है तो मैं भी घर के बाहर गिर कर उठ सकता हूँ
ये खेल नहीं ये जीवन है
Rajendra Mahajan
24 अगस्त, 2024 - 10:35 पूर्वाह्न
मारिन के संघर्ष ने एक अस्तित्व को जन्म दिया
एक अस्तित्व जो जीत या हार के बाहर है
यह एक अनुभव है जो अनुभव के लिए अनुभव है
और यही वास्तविकता है