पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन: जानें मृत्यु का कारण, ईस्टर में उनकी भागीदारी और अंतिम संस्कार में किए गए बदलाव

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पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन: जानें मृत्यु का कारण, ईस्टर में उनकी भागीदारी और अंतिम संस्कार में किए गए बदलाव

पोप फ्रांसिस का अवसान: चर्च की आधुनिकता के प्रतीक की विदाई

21 अप्रैल, 2025 की सुबह वेटिकन के सांत मार्ता निवास से ऐसी खबर आई जिसने दुनियाभर के 1.3 अरब कैथोलिकों को झकझोर दिया। पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बरगोलियो था, 88 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। यह खबर जितनी शोकपूर्ण थी, उतनी ही चर्च में उनके द्वारा लाए गए बदलावों की चर्चा को भी ताजा कर गई।

पोप फ्रांसिस को एक महीना पहले सांस संबंधी संक्रमण के कारण रोम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों की देखरेख और इलाज के बावजूद, यह संक्रमण निमोनिया में बदल गया। बीते सप्ताह के भीतर उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया, जिसके चलते वे कोमा में चले गए और फिर उनका दिल आखिरकार जवाब दे गया।

ईस्टर के ठीक बाद, अचानक आई मौत

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सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि अपनी बिगड़ती तबियत के बावजूद, वे 20 अप्रैल को ईस्टर के खास आयोजनों में शामिल हुए थे। लोगों के बीच उनका संदेश हर बार की तरह कुछ नया, कुछ अलग था। शायद ही किसी ने सोचा था कि ये उनके सार्वजनिक जीवन के आखिरी पल होंगे।

उनके निधन के बाद, वेटिकन के परंपरागत रीतिरिवाज का पालन करते हुए कैमरलेंगो, कार्डिनल केविन फैरेल ने उनका नाम तीन बार पुकारा और फिर उनके अपार्टमेंट्स को सील किया। यह एक ऐसा अनुष्ठान है, जो सदियों से हर पोप की मृत्यु के बाद निभाया जाता है।

पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में चर्च के कई पुराने रिवाजों में बदलाव किए, जिनमें अंतिम संस्कार के नियम भी शामिल थे। उन्होंने इस प्रक्रिया को सरल, दिखावे से मुक्त व आम लोगों के जैसा बनाने पर जोर दिया। अब, उनके निर्देशानुसार, उन्हें वेटिकन के बाहर दफनाया जाएगा। इससे पहले अधिकांश पोप्स को सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर ही दफनाया जाता था।

  • पोप के निधन की पुष्टि के लिए खास अनुष्ठान
  • आधुनिक और सादगीपूर्ण अंतिम संस्कार की नीति
  • अगले पोप के चुनाव के लिए कार्डिनल्स की बैठक

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि चर्च की बागडोर किसके हाथ में जाएगी। परंपरा के मुताबिक, कार्डिनल्स की परिषद नए पोप का चुनाव करेगी। इस चुनाव को 'कोंक्लेव' कहा जाता है, जो पूरी दुनिया की नजरों में होता है।

पूरी दुनिया से शोक-संदेश वेटिकन पहुंचे हैं। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने खासतौर पर उनकी समावेशिता, समानता और पर्यावरण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उनके मुताबिक पोप फ्रांसिस का जीवन सिर्फ चर्च ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए बदलाव की प्रेरणा था।

2013 में पोप बनने के बाद से, फ्रांसिस ने खुद को न सिर्फ धार्मिक बल्कि सामाजिक बदलावों के प्रवर्तक के तौर पर पेश किया। महिला अधिकार, गरीबों का समर्थन, पर्यावरण संरक्षण—इन तमाम मुद्दों पर उन्होंने चर्च की पारंपरिक सोच को चुनौती दी। उनके फैसलों ने न सिर्फ चर्च के भीतर, बल्कि बाहर भी बड़ी बहसें खड़ी कीं।

पोप फ्रांसिस की विदाई के साथ एक युग हमेशा के लिए खत्म हो गया है। उन्होंने चर्च में जो ताजगी और स्पष्टता लाई, उसके चलते उनकी जगह भरना आसान नहीं होगा। लेकिन चर्च का इतिहास हमेशा बदलाव के लिए तैयार रहा है—और अब एक बार फिर नया दौर शुरू होने जा रहा है।

7 टिप्पणि

Aila Bandagi

Aila Bandagi

22 अप्रैल, 2025 - 09:18 पूर्वाह्न

पोप जी ने जो सादगी और इंसानियत दिखाई, वो आजकल के धर्म के लिए एक उदाहरण है। उनकी याद जिंदा रहेगी।
हमें भी अपने घर में छोटे-छोटे बदलाव लाने चाहिए।

Abhishek gautam

Abhishek gautam

23 अप्रैल, 2025 - 13:07 अपराह्न

इस तरह की मृत्यु को बस एक धार्मिक घटना नहीं कह सकते, ये तो एक विश्वस्तरीय अस्तित्व का अंत है। उन्होंने जिस विचारधारा को बनाया, वो अब नए पोप के लिए एक असंभव विरासत बन गई है। उन्होंने चर्च को एक लोकतांत्रिक संस्था में बदल दिया, जो अब अपनी पहचान खो रहा है। लोग तो उनके बाद एक नए आदर्श की तलाश में हैं, लेकिन क्या कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इतनी गहराई से दर्द को समझे? क्या कोई ऐसा होगा जो गरीब के लिए आंखें बंद करके भी बोल सके? ये सवाल अब नए चुनाव के बाद भी बने रहेंगे।

Imran khan

Imran khan

24 अप्रैल, 2025 - 15:01 अपराह्न

मैंने उनकी ईस्टर की बातचीत सुनी थी। उनकी आवाज़ में एक अजीब सी शांति थी।
शायद वो जानते थे कि ये आखिरी बार है।
इतनी बड़ी आत्मा के बाद चर्च को एक नया रास्ता ढूंढना होगा।
मुझे लगता है वो चाहते थे कि चर्च बंद न हो, बल्कि खुल जाए।

Neelam Dadhwal

Neelam Dadhwal

26 अप्रैल, 2025 - 07:09 पूर्वाह्न

ये सब नाटक है। जब वो खुद अपने चर्च के नियम तोड़ रहे थे, तो अब उनकी मृत्यु के बाद लोग उन्हें महान बना रहे हैं।
उन्होंने धर्म को राजनीति में बदल दिया।
अब ये सब बहाना है।

vishal kumar

vishal kumar

27 अप्रैल, 2025 - 20:38 अपराह्न

पोप फ्रांसिस के निधन के साथ एक युग समाप्त हुआ।
उनकी विचारधारा ने परंपरा को चुनौती दी।
अब चर्च को संतुलन बनाना होगा।
इसका अर्थ है आगे की दिशा का निर्धारण।

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

29 अप्रैल, 2025 - 13:01 अपराह्न

अंतिम संस्कार बाहर होगा ये बहुत बड़ा बदलाव है
अब देखना होगा कौन आगे बढ़ेगा

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

29 अप्रैल, 2025 - 22:50 अपराह्न

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन के अंतर्गत एक सामाजिक-धार्मिक परिवर्तन की अवधारणा ने एक नए अध्याय की शुरुआत की है।
उनकी नीतियों में एक पोस्ट-कॉलोनियल धर्मी अभिव्यक्ति का अंतर्निहित स्वर था जो वैश्विक उपभोक्ता संस्कृति के साथ समायोजित हो गया।
अब इस नए संरचनात्मक ढांचे में कार्डिनल्स की अपेक्षित अनुकूलन क्षमता का निर्धारण नए पोप के चुनाव की दिशा में एक गहरा प्रभाव डालेगा।
यह एक अनुकूलन का युग है जहां परंपरा और आधुनिकता के बीच एक नए सामंजस्य की आवश्यकता है।

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