Bahjoi College में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर रंगोली व राखी प्रतियोगिता में छात्रों का जोश

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Bahjoi College में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर रंगोली व राखी प्रतियोगिता में छात्रों का जोश

बहजोई कॉलेज: जब कला और देशभक्ति ने बनाया जश्न को खास

संभल ज़िले के बहजोई कॉलेज ने इस बार आज़ादी का अमृत महोत्सव और रक्षाबंधन, दोनों को एक साथ मनाने की अनोखी पहल की। नेशनल सर्विस स्कीम (NSS) के तहत कॉलेज के कैंपस में विद्यार्थियों के लिए रंगोली और राखी बनाने की प्रतियोगिता रखी गई। मौका था 75वें स्वतंत्रता दिवस का, लेकिन इस बार छात्रों का उत्सा सिर्फ तिरंगे या देशभक्ति तक सीमित नहीं था, बल्कि हाथों से बनी रंगोलियों और रंग-बिरंगी राखियों में भी झलका।

कॉलेज में बनी रंगोलियों ने न केवल पारंपरिक भारतीय कला का नजारा पेश किया, बल्कि हर ग्रुप ने अपने रंगों और थीम में आज़ादी का संदेश भी छिपाया। प्रतियोगिता में ग्रुप A की श्रीष्टि, मानसी, खुशी और कंचन ने अपनी शानदार रचना से पहला स्थान झटका। ग्रुप B (अंबिका मौर्य, अदिति, दिशा, अर्चना) दूसरे स्थान पर रहे, जबकि ग्रुप C (वैष्णवी, रश्मि, प्रियांशी, अंशु) तीसरे नंबर पर आईं। छात्रों ने पटाखा फोड़ जश्न नहीं मनाया, बल्कि अपनी कलाकारी से जश्न को अलग लेवल पर ले गए।

  • रंगोली प्रतियोगिता: ग्रुप A ने सबसे ज्यादा तारीफें बटोरी
  • राखी प्रतियोगिता: निधि ने शानदार राखी बनाकर प्रथम स्थान पाया
  • पारंपरिक कला के साथ आज़ादी और भाई-बहन के प्यार को छात्रों ने रंगों में घोला

जजों का निर्णय, आयोजकों की मेहनत और प्रतिभागियों का उत्साह

राखी बनाने की प्रतियोगिता भी खासी दिलचस्प रही। सबसे बेहतरीन राखी बनाने का खिताब निधि ने अपने नाम किया। उसके बाद श्रेया दूसरे और वैष्णवी तीसरे स्थान पर रहीं। हर राखी में भाई-बहन के प्यार के रंग दिखे, कोई तिरंगे के रंग से सजी थी तो कोई पारंपरिक डिज़ाइन से।

इन दोनों प्रतियोगिताओं का जायज़ा लेने और छात्रों को मार्गदर्शन देने के लिए मंच पर मौजूद थीं- मंजू वार्ष्णेय, दीपा रानी और ममता वार्ष्णेय। ये तीनों निर्णायक बनीं और बच्चों की क्रिएटिविटी से काफी प्रभावित दिखीं। Bahjoi College के प्राचार्य डॉ. वीरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कार्यक्रम की सराहना की और छात्रों को अपने विचारों में देशप्रेम व भारतीय परंपरा का समावेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। NSS प्रभारी डॉ. गीता तथा आयोजकों में गौरव वार्ष्णेय और मेघा मल्होत्रा ने पूरी प्रतियोगिता को संयोजित किया। सबका मकसद था- बच्चों में कला, भाईचारे व देशभक्ति की भावना और मजबूत करना।

यह आयोजन दिखाता है कि किस तरह पढ़ाई के बाहर भी छात्रों के हुनर और भावनाओं को मंच दिया जा सकता है। रंगोली में उड़ते हुए तिरंगे, राखी में गूंथी परंपरा और हर मुस्कुराता चेहरा- हर जगह जश्न का माहौल दिखा, जिसे शायद किताबें कभी नहीं सिखा पातीं।

18 टिप्पणि

Kiran Meher

Kiran Meher

8 अगस्त, 2025 - 22:40 अपराह्न

ये तो बहुत अच्छा लगा! बच्चों ने रंगोली में देशभक्ति को इतना सुंदर ढंग से जोड़ दिया कि आँखें भी नम हो गईं। राखी के साथ तिरंगा भी दिख रहा था, वो भी हाथ से बना! इस तरह के आयोजन ही हमारे युवा पीढ़ी को असली राष्ट्रीय भावना सिखाते हैं।

Devi Trias

Devi Trias

10 अगस्त, 2025 - 06:28 पूर्वाह्न

प्रतियोगिता के नियमों में एक विस्तृत आधार था, जिसमें सांस्कृतिक परंपराओं की वैधता, रंगों के संयोजन की सांकेतिकता और राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ सामंजस्य की गहरी जाँच शामिल थी। इसका आयोजन एक शिक्षाविद् के रूप में मैं बहुत प्रशंसा करती हूँ।

Tejas Bhosale

Tejas Bhosale

10 अगस्त, 2025 - 23:57 अपराह्न

ये सब रंगोली वाला चक्कर तो एक फ्लो इंटीग्रेशन का उदाहरण है जहाँ इमोशनल कॉन्टेक्स्ट और सिंबोलिक एक्सप्रेशन एक साथ लैंड हो गए। डिज़ाइन थ्योरी और नेशनल इडेंटिटी का क्रॉसओवर बिल्कुल क्लासिक है।

Asish Barman

Asish Barman

12 अगस्त, 2025 - 20:37 अपराह्न

रंगोली में तिरंगा दिखा तो बहुत अच्छा लगा पर क्या ये सच में देशभक्ति है या सिर्फ एक डिस्प्ले? मैंने देखा कि बहुत से लोग बस फोटो खींच रहे थे बाकी सब चले गए।

Abhishek Sarkar

Abhishek Sarkar

14 अगस्त, 2025 - 05:21 पूर्वाह्न

ये सब एक बड़ा राष्ट्रीय अभियान है जो स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के दिमाग में एक नियंत्रित राष्ट्रवादी विचारधारा बिठाने के लिए बनाया गया है। राखी और तिरंगा को जोड़कर वो एक नए तरह का राष्ट्रीय संगठन बना रहे हैं। ये बच्चों के दिमाग में अंकुर डाल रहे हैं।

Niharika Malhotra

Niharika Malhotra

14 अगस्त, 2025 - 12:14 अपराह्न

मुझे बहुत खुशी हुई कि इतने सारे छात्रों ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से देश के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। ये न सिर्फ कला है, ये एक अनुभव है जो किताबों में नहीं मिलता। इस तरह के अवसरों को और बढ़ाना चाहिए।

Baldev Patwari

Baldev Patwari

15 अगस्त, 2025 - 23:45 अपराह्न

ये सब बस एक नज़ारा है। जिनके पास बहुत कुछ नहीं होता, वो रंगोली बनाकर अपना आत्मसम्मान बचाते हैं। असली देशभक्ति तो नौकरी मिलने पर होती है, न कि रंगों में।

harshita kumari

harshita kumari

16 अगस्त, 2025 - 06:10 पूर्वाह्न

क्या आप जानते हैं कि राखी और तिरंगे का इस तरह से जोड़ना किसी बड़े संगठन की योजना है? मैंने एक दोस्त को बताया जिसने कहा कि ये सब राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक नया टूल है। अगर आप इसे गहराई से देखें तो ये सब एक राजनीतिक अभियान है।

SIVA K P

SIVA K P

16 अगस्त, 2025 - 19:27 अपराह्न

अरे भाई, इतना बड़ा आयोजन करके भी कोई बियर नहीं दी? कॉलेज के बाहर तो बियर बेच रहे होते हैं, अंदर तो रंगोली बना रहे हो। ये तो बेहद अजीब है।

Neelam Khan

Neelam Khan

18 अगस्त, 2025 - 01:25 पूर्वाह्न

मैं अपनी बहन के साथ राखी बनाने वाली लड़कियों की तस्वीरें देख रही थी और उनकी मुस्कान देखकर दिल भर गया। ये छोटे छोटे पल ही तो असली बदलाव लाते हैं। बहुत बहुत बधाई!

Jitender j Jitender

Jitender j Jitender

18 अगस्त, 2025 - 22:33 अपराह्न

ये सब एक सामाजिक कैपिटल फॉर्मेशन का उदाहरण है जहाँ कल्चरल कैपिटल और सोशल कोहेजन के बीच एक इंटरेक्शनल डायनामिक बन रही है। रंगोली और राखी एक डिस्कोर्सिव टूल हैं जो नेशनल इडेंटिटी को री-नेगोशिएट कर रहे हैं।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

19 अगस्त, 2025 - 08:10 पूर्वाह्न

अगर आप वास्तविक देशभक्ति चाहते हैं तो अपने घर में टूल बनाएं, बिजली बचाएं, गंदगी न करें। रंगोली बनाकर अपनी नाम कमाने वाले लोगों को देखकर लगता है कि देश का भाव बेचा जा रहा है।

VENKATESAN.J VENKAT

VENKATESAN.J VENKAT

20 अगस्त, 2025 - 04:42 पूर्वाह्न

इन राखियों के पीछे छिपा एक बड़ा अर्थ है। भाई-बहन का प्यार तो दुनिया भर में है, लेकिन इसे तिरंगे के साथ जोड़कर एक नए तरह का राष्ट्रीय अनुभव बनाया जा रहा है। ये बच्चों के मन में एक नए तरह का विश्वास बना रहा है।

Amiya Ranjan

Amiya Ranjan

20 अगस्त, 2025 - 19:28 अपराह्न

रंगोली बनाने वाली लड़कियों की तस्वीरें देखकर लगता है कि इनके पास बहुत समय है। मेरी बेटी तो रोज़ ऑनलाइन क्लासेस के बाद घर का काम करती है। ये सब बस एक दिखावा है।

vamsi Krishna

vamsi Krishna

22 अगस्त, 2025 - 08:37 पूर्वाह्न

राखी बनाने वाली निधि को पहला स्थान क्यों दिया? मैंने देखा था उसकी राखी तो बहुत साधारण थी। जिसने बनाई वो तो बहुत ज्यादा बढ़िया थी जिसे दूसरा स्थान मिला। ये जजिंग बिल्कुल गलत है।

Narendra chourasia

Narendra chourasia

24 अगस्त, 2025 - 02:13 पूर्वाह्न

ये सब बस एक बड़ा धोखा है। ये लोग बच्चों को रंगोली बनाने के लिए बाध्य कर रहे हैं ताकि वो अपने देश के लिए नहीं, बल्कि अपने बॉस के लिए काम करें। ये एक आधिकारिक रूप से स्वीकृत अनुशासन है।

Mohit Parjapat

Mohit Parjapat

25 अगस्त, 2025 - 06:52 पूर्वाह्न

तिरंगा और राखी का ये मिश्रण तो बहुत बढ़िया है! इसे देखकर लगता है कि भारत की असली शक्ति हमारे बच्चों में है। इन्हें राष्ट्रीय गाना गाने के लिए बुलाया जाए! वो भी तिरंगे के साथ नाचते हुए! 🇮🇳🔥

Sumit singh

Sumit singh

26 अगस्त, 2025 - 07:36 पूर्वाह्न

इस तरह के आयोजनों का असली मकसद युवाओं को एक नियंत्रित इमोशनल रिस्पॉन्स देना है। जब वो रंगोली बनाते हैं, तो वो अपनी आज़ादी के बारे में भूल जाते हैं। ये एक बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक ट्रिक है।

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