अगर आप भारत में किसी कंपनी के साथ काम करते हैं या रूसी बाजार में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो इस पेज पर आपको वही जानकारी मिलेगी जो रोज़मर्रा की खबरों में छिपी रहती है। यहाँ हम सरल भाषा में बताते हैं कि वर्तमान में दोनों देशों का व्यापार कैसे दिख रहा है और किन चीज़ों को ध्यान में रखना चाहिए।
2023‑24 के आंकड़ों के अनुसार भारत‑रूस दो‑तरफ़ा व्यापार लगभग $28 बिलियन तक पहुँच गया है। रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट में भारत आगे है, जबकि रूसी ओर से तेल, गैस और अणु उर्वरकों की सप्लाई मुख्य रही है। हालिया समाचारों में देखा गया कि दो‑तरफ़ा निर्यात‑आयात के बीच संतुलन धीरे‑धीरे सुधर रहा है, क्योंकि भारतीय कंपनियों ने रूसी फार्मास्यूटिकल बाजार में नए दवाओं का प्रवेश किया है।
साथ ही, कई बड़े अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए हैं – जैसे कि भारत की ऊर्जा कंपनी ने रूसी गैस के दीर्घकालिक खरीद समझौते को अंतिम रूप दिया, और रूस ने भारतीय कृषि उपकरण निर्माताओं को विशेष कर रियायतें देने का वादा किया। ये कदम दोनों देशों को आर्थिक सहयोग बढ़ाने में मदद करेंगे।
भविष्य की बात करें तो दो प्रमुख क्षेत्रों में बड़ा मौका दिख रहा है: ऊर्जा‑ट्रांसफ़ॉर्मेशन और हाई‑टेक सेवाएँ। रूस का नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र अभी शुरुआती चरण में है, इसलिए भारतीय कंपनियों को सौर पैनल, विंड टरबाइन या बैटरी टेक्नोलॉजी के सप्लायर बनने की संभावना मिल सकती है। वहीं, भारत के सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाएँ रूसी बैंकों व सरकारी एजेंसियों को डिजिटल समाधान देने में मददगार हो सकते हैं।
पर चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध, भुगतान प्रणाली में कठिनाइयाँ और लॉजिस्टिक बाधाएँ अक्सर व्यापार को धीमा कर देती हैं। इस कारण कई कंपनियां अब सीधे रूसी रूबल या वैकल्पिक डिजिटल पेमेंट सिस्टम अपनाने की कोशिश कर रही हैं। यदि आप इन चुनौतियों से निपटने के लिए सही रणनीति बनाते हैं, तो लाभ आपके कदम चूमेगा।
एक और बात ध्यान में रखें – नियम‑कानून लगातार बदलते रहते हैं। इसलिए नियमित रूप से सरकारी अधिसूचनाएँ, एक्सपोर्ट‑इम्पोर्ट पोर्टल और व्यापार दूतावास की अपडेट पढ़ना ज़रूरी है। इससे आप अप्रत्याशित जोखिमों को कम कर पाएंगे।
संक्षेप में, भारत‑रूस व्यापार एक उभरता हुआ मंच है जहाँ सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से आपके व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक ले जाया जा सकता है। इस पेज पर आप रोज़ की ताज़ा खबरें, विश्लेषण और व्यावहारिक टिप्स पा सकते हैं – बस पढ़ते रहें और अपनी व्यापार योजना को अपडेट रखें।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भुगतान और लॉजिस्टिक्स जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत और रूस के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। द्विपक्षीय व्यापार 66 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिसे 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक लाने का लक्ष्य है। राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार निपटान की आवश्यकता पर जोर दिया गया और विशेष रूपे वोस्त्रो खातों की प्रभावशीलता को रेखांकित किया गया।
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