भारत की अग्रणी महिला पहलवान विनेश फोगाट का संघर्ष तभी शुरू हो गया था जब उन्हें पेरिस ओलंपिक्स 2024 में महिला 50 किग्रा फ्रीस्टाइल फाइनल से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। विनेश केवल 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण विभिन्न विवादों में घिर गईं। इस नियमानुसार अयोग्यता ने न केवल उनके प्रति समर्थन की लहर दिखाई, बल्कि भारतीय खेल जगत को भी हिला दिया था।
विनेश फोगाट ने निर्णय के खिलाफ कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (CAS) में अपनी अपील दाखिल की थी। उन्होंने अपने अपील में क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गुज़्मान लोपेज़ के साथ संयुक्त रूप से रजत पदक की मांग की थी, जिन्होंने असल में विनेश से हार का सामना किया लेकिन उनकी अयोग्यता के बाद फाइनल में पहुंची थीं।
CAS की ओर से निर्णय की देरी ने विनेश की प्रतीक्षा को और लंबा कर दिया है। CAS के ऐड हॉक डिवीजन के अध्यक्ष ने एकल न्यायनिर्णायक माननीय डॉ. अन्नाबेल बेनेट को 16 अगस्त, 2024 तक निर्णय देने के लिए अतिरिक्त समय दिया है। इस देरी ने न केवल विनेश और उनके समर्थकों को निराश किया है, बल्कि उनके संघर्ष को और अधिक ध्यान में लाया है।
विनेश की इस कठिनाई भरी स्थिति में खेल जगत के अनेक दिग्गजों ने उनका समर्थन किया है। रेई हिगुची, जॉर्डन बुरोज, सचिन तेंदुलकर, अभिनव बिंद्रा, नीरज चोपड़ा, पीआर श्रीजेश, और विजेंदर सिंह जैसे खेल आइकन विनेश के साथ खड़े हुए हैं। इन सबका साथ विनेश के आत्मविश्वास और संकल्प को बनाये रखने में मदद कर रहा है।
विनेश की कानूनी टीम, जिसमें फ्रांसीसी वकीलों जोएल मोंलुई, एस्टेल इवानोवा, हबिने एस्टेल किम और चार्ल्स एम्सन के साथ वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदुष्पत सिंघानिया शामिल हैं, नि:शुल्क उनके मामले की पैरवी कर रहे हैं। इनकी सामूहिक कोशिशें विनेश के अभियान को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय खेलों में उचित प्रक्रिया और नियमानुसार न्याय की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। विनेश फोगाट के मामले का निर्णय आने वाले दिनों में बड़ा प्रभाव डाल सकता है, न केवल उनके करियर को बल्कि भारतीय खेल जगत की भविष्य में नियामक प्रक्रियाओं पर भी। 16 अगस्त, 2024 को CAS के निर्णय का इंतजार अब और भी बढ़ गया है।
विनेश फोगाट ने इस घटनाक्रम के बाद अपनी संन्यास की घोषणा कर दी थी, लेकिन उनके इस फैसले ने खेल में उनके योगदान और अनुकरणीय यात्रा को भी उजागर किया है। उनका यह मामला प्रेरणा स्रोत भी बन सकता है, जहां अनुचित निर्णयों के खिलाफ संघर्ष का महत्व समझा जा सकता है। भारतीय खेल समुदाय और विनेश के प्रशंसकों को अब 16 अगस्त को CAS के फैसले का बेसब्री से इंतजार है।