प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना का दायरा बढ़ाकर 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बताया कि अब सभी वरिष्ठ नागरिक, भले ही उनकी आय कोई भी हो, इस योजना के तहत मुफ्त स्वास्थ्य उपचार प्राप्त कर सकते हैं। इस कदम का उद्देश्य उन बुजुर्ग नागरिकों को मदद पहुंचाना है जो किसी कारणवश स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।
यह कदम प्रधानमंत्री के चुनावी वादे का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने घोषणा की थी कि वह वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ सुनिश्चित करेंगे। योजना के विस्तारित रूप में 'आयुष्मान वया वंदना' कार्ड जारी किये जाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बुजुर्ग नागरिक को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में दिल्ली और पश्चिम बंगाल सरकारों की कड़ी आलोचना की, जो इस योजना को लागू करने से परहेज करती आई हैं। उन्होंने इन सरकारों पर राजनीतिक हितों के चलते योजना को न लागू करने का आरोप लगाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि इन राज्यों के वरिष्ठ नागरिक इस योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने भारतीय चिकित्सा प्रणाली की महत्ता को भी रेखांकित किया और आयुर्वेद दिवस के मौके पर धन्वंतरी, जो कि हिन्दू चिकित्सा के देवता हैं, की जयंती के अवसर पर भारी संख्या में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं की कुल लागत करीब ₹12,850 करोड़ बताई जा रही है। प्रधानमंत्री के अनुसार, ये परियोजनाएं देश की स्वास्थ्य प्रणाली को और सुदृढ़ बनाएंगी।
बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां बढ़ जाती हैं, और ऐसे में आयुष्मान भारत योजना का विस्तार उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है जिनके साधन सीमित हैं। इसके साथ ही, योजना में परिवर्तन और विस्तार से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इसे देशभर में व्यापक रूप से लागू किया जाएगा।
इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि राज्य सरकारें इसे व्यापक स्तर पर समर्थन दें और इसे अपनी सीमाओं में लागू करें। स्वास्थ्य एक मूलभूत अधिकार है, और सरकार का यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। केवल आर्थिक रूप से समृद्ध लोग ही नहीं बल्कि सभी तबके के लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सकें, यही इस योजना का असली लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि इस योजना के तहत अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की पूरी सूची तैयार की गई है, जहां पर ये सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इन्हें डिजिटली रूप से भी उस प्रणाली में शामिल किया गया है ताकि लोगों को सुविधाजनक तरीके से जानकारी प्राप्त हो सके।
सरकार का यह कदम निश्चित रूप से देश के वृद्धजनों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, और उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित कराना सरकार की प्राथमिकता में शामिल हो गया है।
Rohit Roshan
31 अक्तूबर, 2024 - 06:01 पूर्वाह्न
बहुत अच्छा कदम है! अब बुजुर्गों को डॉक्टर के पास जाने के लिए पैसे के लिए चिंता नहीं करनी पड़ेगी 😊
arun surya teja
1 नवंबर, 2024 - 01:08 पूर्वाह्न
यह नीति भारतीय समाज के मूल्यों के अनुरूप है, जहाँ वृद्धजनों का सम्मान परंपरागत रूप से माना जाता है। इसके व्यापक कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों की सहभागिता आवश्यक है।
Jyotijeenu Jamdagni
1 नवंबर, 2024 - 01:32 पूर्वाह्न
भाई, ये आयुष्मान वया वंदना कार्ड तो बहुत जबरदस्त आइडिया है! अब बुजुर्गों को बस एक कार्ड दिखाना है और बाकी सब फ्री! कल ही मेरे दादाजी ने कहा था, 'बेटा, अब मैं दवाइयाँ नहीं छोड़ूँगा, बल्कि डॉक्टर को छोड़ूँगा!' 😂
navin srivastava
2 नवंबर, 2024 - 12:45 अपराह्न
अब तो सिर्फ बुजुर्गों के लिए ही नहीं, अब बाकी सबके लिए भी फ्री इलाज का दावा आएगा... ये सब बस वोट बाँटने की चाल है। अगर ये सच में अच्छा है तो तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी लागू क्यों नहीं हुआ? वो लोग तो बस अपनी राजनीति के लिए बुजुर्गों को भूखा रखते हैं।
Aravind Anna
4 नवंबर, 2024 - 00:45 पूर्वाह्न
ये योजना बस एक बड़ा जादू नहीं है, ये तो एक जीवन बदलने वाला बदलाव है! जब मैंने पहली बार अपने चाचा को ये कार्ड दिखाया तो उनकी आँखों में आँसू आ गए। ये देश की असली ताकत है जब वो अपने बुजुर्गों को भूलता है। अब ये भूल नहीं होगी।
Rajendra Mahajan
4 नवंबर, 2024 - 13:30 अपराह्न
यहाँ एक गहरा दार्शनिक प्रश्न उठता है - क्या स्वास्थ्य एक अधिकार है या एक वरदान? यदि यह अधिकार है तो क्यों इसे केवल आयु के आधार पर सीमित किया जा रहा है? क्या 65 साल के बाद ही जीवन की कीमत बढ़ जाती है? यह एक अनुचित विभाजन है।
ANIL KUMAR THOTA
5 नवंबर, 2024 - 16:59 अपराह्न
अच्छा हुआ अब बुजुर्गों को फ्री इलाज मिलेगा बहुत अच्छी बात है
VIJAY KUMAR
7 नवंबर, 2024 - 06:34 पूर्वाह्न
आयुष्मान वया वंदना... बस नाम बदल दिया तो लोग भूल जाएंगे कि ये वो ही योजना है जिसका नाम बदलकर अब इसे 'आयुष्मान भारत 2.0' बोल रहे हैं 😏 और जो राज्य इसे नहीं लागू कर रहे... वो शायद अपने बुजुर्गों को अस्पतालों में अकेला छोड़ देते हैं ताकि वो आंखें बंद कर दें और वो बैंक बैलेंस भी बंद हो जाए। 🕯️💀
Manohar Chakradhar
8 नवंबर, 2024 - 23:12 अपराह्न
मैंने अपने गाँव में एक बुजुर्ग महिला को देखा जिसने कहा - 'बेटा, मैंने 40 साल तक अपने बच्चों के लिए खाना छोड़ा, अब मेरे लिए दवाई फ्री है?' उसकी आँखों में एक ऐसी चमक थी जो बहुत कम लोगों को देखने को मिलती है। ये योजना सिर्फ दवाइयाँ नहीं देती, ये इंसानियत देती है।
LOKESH GURUNG
10 नवंबर, 2024 - 14:04 अपराह्न
अरे भाई ये तो बस शुरुआत है! अब तो इसे अपने घर के बुजुर्गों के लिए रजिस्टर करवाओ और फिर बताओ कि कितने अस्पतालों में ये कार्ड काम करता है। मैंने तो 12 अस्पताल चेक किए, बस 3 में ही ये कार्ड चलता है। बाकी वाले बोलते हैं - 'ये नया कार्ड है ना, हम तो पुराने सिस्टम में हैं!' 🤦♂️
Aila Bandagi
12 नवंबर, 2024 - 10:28 पूर्वाह्न
मेरी नानी ने कहा अब वो दर्द के बारे में चिंता नहीं करेगी। मैं बहुत खुश हूँ।
Abhishek gautam
13 नवंबर, 2024 - 18:23 अपराह्न
इस योजना के पीछे का दार्शनिक आधार बेहद गहरा है - यह एक सामाजिक अपराध के खिलाफ एक विरोध है, जिसे हम 'वृद्ध निराश्रितता' कहते हैं। जब एक समाज अपने बुजुर्गों को अपने नियमों से बाहर कर देता है, तो वह अपने आत्म-सम्मान को भी खो देता है। यह योजना एक अनुशासन है, जो हमें याद दिलाती है कि जिसने तुम्हें जन्म दिया, वह तुम्हारे लिए भी एक अस्तित्व है।
Imran khan
14 नवंबर, 2024 - 13:28 अपराह्न
असली चुनौती ये है कि ये कार्ड राज्यों में कैसे एकीकृत होता है। मेरे एक दोस्त के पास ये कार्ड है, लेकिन अस्पताल ने कहा कि उनका सिस्टम अभी अपडेट नहीं हुआ। डिजिटल लिंकिंग की जरूरत है, न कि सिर्फ कागजी कार्ड। अगर एक बुजुर्ग को दस बार अस्पताल घूमना पड़े तो ये योजना असफल है।
Neelam Dadhwal
16 नवंबर, 2024 - 04:16 पूर्वाह्न
अरे भाई, ये सब बस एक नाटक है! जब तक राज्यों में डॉक्टर नहीं होंगे, तब तक ये कार्ड किसके काम आएगा? जहाँ अस्पतालों में बिस्तर नहीं, दवाइयाँ नहीं, और नर्स नहीं... वहाँ कार्ड बनाने का क्या फायदा? ये तो सिर्फ चुनावी वादे की एक बड़ी बातचीत है। जिन्होंने बुजुर्गों को नजरअंदाज किया, वो अब इसे 'समाज का कर्तव्य' बता रहे हैं।
vishal kumar
17 नवंबर, 2024 - 02:08 पूर्वाह्न
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार एक सामाजिक दायित्व है, जिसकी नीतिगत आधारशिला न्याय, निरंतरता और व्यवस्थित वित्तपोषण पर टिकी है। आयुष्मान भारत का विस्तार एक आवश्यक चरण है, लेकिन इसकी सफलता का मापदंड उपलब्धता, गुणवत्ता और समावेशी लागूकरण होगा।