आपने कभी सुना है कि डॉक्टर या अस्पताल ने मरीज से पैसे ले लिए लेकिन इलाज नहीं किया? ऐसी ही कई घटनाओं को हम मेडिकल कर्मी कहते हैं। इस टैग पेज पर आपको ऐसे केस की ताज़ा ख़बरें, जांच के अपडेट और बचाव के तरीकों का सार मिलेगा। चलिए, एक-एक करके समझते हैं कि ये अपराध कैसे होते हैं और आप क्या कर सकते हैं।
मेडिकल कर्मी में कई रूप देखे जाते हैं – जैसे फर्जी दवाओं का वितरण, अनावश्यक जांच करवाना, डॉक्टरों द्वारा मरीज को बेवजह ऑपरेशन करना और अस्पताल में बिलिंग धोखा। हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में हर साल लाखों रुपये ऐसे केसों से गायब होते हैं। अक्सर इन मामलों में पीड़ित लोग जानकारी नहीं रखते या डरते हैं कि शिकायत करने पर इलाज बंद हो जाएगा।
एक उदाहरण लें: कुछ क्लिनिक में डॉक्टर महंगे इमेजिंग टेस्ट करवाते हैं जबकि मरीज की स्थिति के लिये वह बिल्कुल ज़रूरी नहीं होते। इससे न सिर्फ पैसों का नुकसान होता है बल्कि रोगी को अनावश्यक तनाव भी झेलना पड़ता है। ऐसे केस अक्सर स्थानीय मेडिकल परिषद या उपभोक्ता फोरम में दर्ज होते हैं, लेकिन कई बार खबरें बड़े पोर्टल पर ही आती हैं।
सबसे पहले तो अपने इलाज से जुड़ी सभी दस्तावेज़ सुरक्षित रखें – रसीदें, प्रिस्क्रिप्शन, टेस्ट रिपोर्ट आदि। यदि आपको कोई दवा या प्रक्रिया अनजाने में सुझाई जाए, तो दूसरे डॉक्टर की राय लेनी चाहिए। इंटरनेट पर कई भरोसेमंद हेल्थ फ़ोरम हैं जहाँ आप समान केसों के बारे में पढ़ सकते हैं और सलाह माँग सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि कोई फर्जी या अत्यधिक बिलिंग हो रही है, तो तुरंत अस्पताल प्रशासन से बात करें और लिखित शिकायत दर्ज करवाएं। यदि समाधान नहीं मिलता तो उपभोक्ता न्यायालय या राज्य मेडिकल परिषद के पास अपील कर सकते हैं। कई बार पुलिस भी ऐसे मामलों में मदद करती है, खासकर जब धोखाधड़ी स्पष्ट हो।
एक और उपयोगी टिप – इलाज से पहले अनुमानित खर्च का लिखित प्रपत्र माँगें। इससे बाद में बिल में छुपे हुए चार्ज नहीं रहेंगे। याद रखें, आपका स्वास्थ्य सबसे कीमती है, इसलिए किसी भी अनुचित मांग पर सवाल उठाना आपका अधिकार है।
हम इस पेज पर लगातार नई मेडिकल कर्मी कहानियों को अपडेट करेंगे। अगर आप कोई घटना देख रहे हैं या अपने अनुभव साझा करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट सेक्शन में लिखें। इससे अन्य लोगों को जागरूकता मिलेगी और भविष्य में ऐसे अपराधों की रोकथाम होगी।
संक्षेप में, मेडिकल कर्मी से बचाव के लिए सूचित रहें, दस्तावेज़ रखें और जरूरत पड़ने पर कानूनी कदम उठाएँ। स्वस्थ रहिए, सुरक्षित रहिए!
सोमवार को पुणे पुलिस ने ससून जनरल हॉस्पिटल के तीन मेडिकल स्टाफ को खून के नमूने में हेराफेरी और सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपी डॉक्टर अजय तवारे, फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख, डॉक्टर श्रीहरि हलनोर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, और अस्पताल कर्मचारी अतुल घाटकमले हैं।
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