आप स्टॉक या डेरिवेटिव मार्केट देखते हैं तो कभी‑कभी ऐसा लगता है कि कुछ लोग आपके ऑर्डर से पहले ही ट्रेड कर रहे हैं। वही है फ़्रंट‑रनिंग, एक ऐसी प्रैक्टिस जहाँ कोई इंसाइड जानकारी या जल्दी‑पहुँच वाले डेटा का इस्तेमाल करके दूसरों के लेन‑देनों से पहले अपना फायदा उठाता है। इस लेख में हम इसे आसान शब्दों में समझेंगे और बताएंगे कि कैसे बचा जाए।
आमतौर पर ट्रेडर्स ब्रोकर या बड़े संस्थानों से ऑर्डर भेजते हैं। अगर किसी को यह पता चल जाये कि बड़ी मात्रा में खरीद या बिक्री का ऑर्डर आने वाला है, तो वह तुरंत अपने खाते में वही शेयर ले सकता है। जैसे ही मूल ऑर्डर मार्केट में जाता है और कीमत बदलती है, फ़्रंट‑रनर पहले से खरीदे हुए शेयर बेच कर मुनाफा कमाता है। इस प्रक्रिया में आम ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उनका एंट्री प्राइस या एक्सिट प्राइस बदला जा चुका होता है।
ब्रोकरेज फ़्रंट‑रनिंग: ब्रोकर अपने क्लाइंट की ऑर्डर को खुद पहले ट्रेड करता है, फिर क्लाइंट का ऑर्डर भेजता है।
हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रे़डिंग (HFT): कंप्यूटर्स मिलिसेकंड में डेटा पढ़ते हैं और बड़े संस्थानों की बड़ी लेन‑देनों को फॉलो करके तुरंत ट्रेड करते हैं।
इनसाइडर फ़्रंट‑रनिंग: कंपनी के अंदरूनी लोग किसी आगामी ख़बर या प्रोडक्ट लॉन्च से पहले ही शेयर खरीदते/बेचते हैं।
हर प्रकार में मूल विचार एक ही है – जानकारी का असमान वितरण और समय का फायदा उठाना। इससे मार्केट की पारदर्शिता घटती है और आम निवेशकों के भरोसे को नुकसान पहुँचा सकता है।
1. ब्रोकर का चुनाव सोच‑समझ कर करें: बड़े, विश्वसनीय ब्रोकर अक्सर कड़े नियमों का पालन करते हैं और ऐसे व्यवहार की निगरानी रखते हैं।
2. ऑर्डर टाइप बदलें: मार्केट ऑर्डर की बजाय लिमिट ऑर्डर रखें ताकि कीमत आपके नियंत्रण में रहे।
3. ट्रेडिंग टाइम पर ध्यान दें: तेज़ी से चलने वाले सत्र (जैसे ओपनिंग और क्लोजिंग) में बड़े ऑर्डर अक्सर फ़्रंट‑रनिंग का लक्ष्य बनते हैं, इसलिए छोटे हिस्सों में ट्रेड करें।
4. पब्लिक डेटा पर भरोसा रखें: किसी भी अफ़वाह या अनसॉलिडेटेड न्यूज़ पर तुरंत ट्रेड न करें; पहले विश्वसनीय स्रोत से पुष्टि कर लें।
5. नियमों की जानकारी रखें: भारत में SEBI ने फ़्रंट‑रनिंग को सख्त दंड के तहत रखा है, इसलिए ब्रोकर या फर्म का नियामक अनुपालन जांचना जरूरी है।
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप खुद को अनावश्यक नुकसान से बचा सकते हैं और मार्केट में अधिक भरोसेमंद ट्रेडिंग कर सकते हैं। याद रखें, बाजार का बड़ा हिस्सा आपका अपना हो सकता है अगर आप सूझ‑बूझ के साथ काम करें।
फ़्रंट‑रनिंग सिर्फ बड़े संस्थानों या तकनीकी विशेषज्ञों की समस्या नहीं, बल्कि हर छोटे निवेशक को इस जोखिम से सतर्क रहना चाहिए। जब तक सभी खिलाड़ी समान जानकारी और अवसर पर ट्रेड करेंगे, तब तक मार्केट स्वस्थ रहेगा। इसलिए खबरें पढ़ते रहें, सही ब्रोकर चुनें और अपने ऑर्डर के टाइमिंग का ध्यान रखें।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने क्वांट म्यूचुअल फंड, जिसका स्वामित्व संदीप टंडन के पास है, पर फ्रंट-रनिंग गतिविधियों के संदेह में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की। यह कार्रवाइयां मुंबई मुख्यालय और हैदराबाद में एक संदिग्ध लाभकारी स्वामित्व पते पर की गईं।
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