अगर आप भारत की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो राज्य सभा की खबरें आपके लिए जरूरी हैं। यहाँ हम उन प्रमुख घटनाओं को सरल शब्दों में बताते हैं जो अभी संसद के ऊपरी सदन में चल रही हैं। चाहे वह नई विधेयक पर बहस हो या सदस्यीय बदलाव, हर बात का असर देश‑भर में महसूस किया जाता है।
अब तक की सबसे बड़ी चर्चा सरकार के बजट प्रस्ताव पर हुई थी, लेकिन इस बार कई सांसदों ने कर नीति को लेकर तीखी आवाज़ें उठाई हैं। कुछ सदस्य वित्तीय असमानता को घटाने के लिए कर स्लैब में बदलाव चाहते हैं, जबकि अन्य विकास परियोजनाओं के लिये अतिरिक्त धनराशि की मांग कर रहे हैं। इस बहस में विपक्षी दल भी अपनी रणनीति दिखा रहा है, जिससे सत्र का माहौल तनावपूर्ण रहता है।
एक और गर्म मुद्दा था विदेशी निवेश पर नया नियम। कई उद्योगपति समूहों ने यह कहा कि नई नीति से निवेशकों को भरोसा मिलेगा, लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसे मौजूदा कानून में उलटफेर मानते हैं। इसपर दोनों पक्षों के सांसदों ने विस्तृत तर्क‑वितर्क किया, जिससे पारदर्शी चर्चा का माहौल बना रहा।
राज्य सभा में हाल ही में दो नई सदस्याओं की नियुक्ति भी हुई है। एक युवा वैज्ञानिक को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से लाया गया, जबकि दूसरे को सामाजिक न्याय के क्षेत्र में काम करने वाले गैर‑सरकारी संगठन से चुना गया। यह विविधता संसद की प्रतिनिधित्व शक्ति को बढ़ाती है और विभिन्न क्षेत्रों की आवाज़ें सुनी जा सकती हैं।
आगामी महीनों में राज्य सभा के कई प्रमुख बिलों पर मतदान होना तय है। यदि सरकार का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो आर्थिक विकास की गति तेज़ होगी, लेकिन साथ ही सामाजिक असमानता को लेकर नई चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप इन बहसों को फॉलो करें और समझें कि कौन‑से निर्णय आपके जीवन पर असर डालेंगे।
राज्य सभा के सदस्य अक्सर अपने राज्यों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर लाते हैं। इस वजह से किसी भी राज्य में हुई बड़ी घटना या विकास योजना का सीधा प्रभाव संसद में देखा जा सकता है। जब आप स्थानीय समाचार पढ़ते हैं, तो उससे जुड़े राजनैतिक पहलुओं को देखना आपको एक सूचित मतदाता बनाता है।
अंत में यह कहना चाहेंगे कि राजनीति केवल बड़े नेताओं की नहीं, बल्कि आम जनता के सवालों और जवाबों से चलती है। राज्य सभा का काम यही है—विचारों को परखना और संतुलित निर्णय लेना। इसलिए जब भी नया समाचार आए, उसे ध्यान से पढ़ें और अपनी राय बनाएं। इस पेज पर हम लगातार अपडेट लाते रहेंगे ताकि आप हमेशा सही जानकारी के साथ जुड़े रहें।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को राज्यसभा में गहन बहस के बाद 128-95 वोटों से पारित किया गया। लोकसभा में इसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। विधेयक में वक्फ संगठनों के योगदान में कटौती, उच्च कमाई वाले निकायों के लिए ऑडिट और समावेशिता के लिए गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करना शामिल है। विपक्ष ने इसे विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया।
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