वक्फ संशोधन विधेयक 2025: राज्यसभा में गरमागरम बहस के बाद मंजूरी

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वक्फ संशोधन विधेयक 2025: राज्यसभा में गरमागरम बहस के बाद मंजूरी

राज्यसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक 2025

राज्यसभा ने लंबे समय तक चली गर्मागर्म बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को 4 अप्रैल 2025 को 128 के पक्ष में और 95 के खिलाफ वोटों से पारित कर दिया। लोकसभा ने पहले ही इसे 288 के पक्ष में और 232 के खिलाफ वोटों के साथ मंजूरी दे दी थी। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया कि कैसे विधेयक वक्फ प्रबंधन को सुदृढ़ करेगा, संपत्ति प्रबंधन को सुव्यवस्थित करेगा, और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान और विपक्ष की आलोचना

इस विधेयक में वक्फ बोर्ड का अनिवार्य योगदान 7% से घटाकर 5% कर दिया गया है। उन संस्थानों के लिए जिनकी आय ₹1 लाख से अधिक है, ऑडिट अनिवार्य किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, संपत्ति प्रबंधन के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल की स्थापना की जाएगी। 2013 से पहले की नियमावली को बहाल करते हुए प्रैक्टिस करने वाले मुसलमानों को वक्फ के लिए संपत्तियों को समर्पित करने की अनुमति दी गई है। महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की गारंटी वक्फ घोषणा से पहले दी जाएगी, विशेष रूप से विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए।

इसके अलावा, समाविशीलता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा। उन सरकारी संपत्तियों का जिन पर वक्फ का दावा किया जाता है, जांच की जाएगी। विपक्षी पार्टी, जिनमें कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और आप शामिल हैं, ने विधेयक की आलोचना करते हुए इसे विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया। उन्होंने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

राज्यसभा ने मुख्य विधय के साथ-साथ मूसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को भी पारित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अल्पसंख्यकों के लिए एक 'ऐतिहासिक क्षण' बताया, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष पर मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ शासन को आधुनिक बनाना और हाशिए पर गिरी हुई समूहों के अधिकारों की रक्षा करना है।

6 टिप्पणि

Manohar Chakradhar

Manohar Chakradhar

4 अप्रैल, 2025 - 21:20 अपराह्न

ये विधेयक सच में एक बड़ा कदम है। जिन वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल सिर्फ नाम के लिए हो रहा था, अब उनकी जांच होगी। बस इतना ध्यान रखना है कि ब्यूरोक्रेसी बढ़े नहीं।

VIJAY KUMAR

VIJAY KUMAR

4 अप्रैल, 2025 - 23:42 अपराह्न

अरे भाई ये सब बकवास है 🤡 अल्पसंख्यकों को बेवकूफ बनाने का नया तरीका। 5% क्यों? 7% से कम कर दिया? अब वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम भी? ये तो धर्म को राजनीति के लिए बेच रहे हैं! 🤫💣 #ConspiracyTheory

LOKESH GURUNG

LOKESH GURUNG

5 अप्रैल, 2025 - 22:58 अपराह्न

भाई ये तो बहुत अच्छा हुआ! 🙌 ऑडिट अनिवार्य हो गया, पोर्टल बन रहा है, महिलाओं के हक़ की गारंटी दी जा रही है। अब जो लोग बस नाम के लिए वक्फ बनाते थे, उनका खेल खत्म हो गया। जय हिन्द! 🇮🇳

Aila Bandagi

Aila Bandagi

6 अप्रैल, 2025 - 02:07 पूर्वाह्न

महिलाओं के लिए ये बहुत अच्छा है। विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को अब कोई नहीं धकेल सकता। धन्यवाद सरकार। ❤️

Abhishek gautam

Abhishek gautam

7 अप्रैल, 2025 - 03:53 पूर्वाह्न

इस विधेयक के पीछे का दर्शन अत्यंत जटिल है। यह एक नए राष्ट्रीय सामाजिक संविदा की नींव है, जिसमें धार्मिक संपत्ति का अर्थ ही बदल गया है। वक्फ का अवधारणा अब केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सार्वजनिक न्याय का एक उपकरण बन गया है। लेकिन इसके लिए एक नए नैतिक ढांचे की आवश्यकता है - जहां राज्य की हस्तक्षेप की सीमा स्पष्ट हो। अगर ये बस एक राजनीतिक नाटक है, तो हम सब इसके शिकार बन जाएंगे। जिन लोगों को लगता है कि ये सिर्फ 'वक्फ' का मामला है, वे इतिहास के गहरे परतों को नहीं जानते।

Imran khan

Imran khan

7 अप्रैल, 2025 - 10:18 पूर्वाह्न

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का फैसला सही है। लेकिन ये जांच वाला पोर्टल अगर ट्रांसपेरेंट रहा, तो ये असली बदलाव लाएगा। बस इतना ध्यान रखें कि इसका इस्तेमाल नियंत्रण के लिए न हो।

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