वॉरेन बफेट ने एप्पल के शेयरों का बड़ा हिस्सा बेचा, $76 बिलियन की कमाई

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वॉरेन बफेट ने एप्पल के शेयरों का बड़ा हिस्सा बेचा, $76 बिलियन की कमाई

93 वर्षीय वॉरेन बफेट, जो कि एक प्रसिद्ध अरबपति निवेशक हैं और बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन हैं, ने हाल ही में अपने एप्पल के शेयरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बेच दिया है। इस बिक्री से उन्होंने $76 बिलियन की शानदार कमाई की है। यह खुलासा हालिया SEC फाइलिंग में हुआ है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि बर्कशायर हैथवे ने अपने एप्पल होल्डिंग्स को $160 बिलियन से घटाकर $84.2 बिलियन कर लिया है।

अचंभित करने वाली बात यह है कि बफेट, जिन्होंने पहले कभी तकनीकी शेयरों में निवेश नहीं किया था, ने 2016 में एप्पल के शेयर खरीदने शुरू किए थे। 2017 तक, वह एप्पल के शेयरों में $28 बिलियन से अधिक का निवेश कर चुके थे। इस बिक्री के समय, एप्पल के शेयर की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुँच चुकी है, जिससे एप्पल विश्व की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई है, जिसका मार्केट कैप $3.3 ट्रिलियन है।

बफेट का वित्तीय रणनीति

बफेट का यह निर्णय उनके वित्तीय लचीलापन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। वर्तमान में, बर्कशायर हैथवे की नकद आरक्षित राशि $277 बिलियन के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुकी है। इस कदम के पीछे अन्य एक कारण बफेट का उच्च पूंजीगत लाभ करों की संभावना को लेकर चिंता हो सकती है, जिसका प्रभाव उनके कुछ हालिया लाभों को मॉनिटाइज करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

बफेट ने पहले ही एप्पल के नेतृत्व और कंपनी के मजबूत प्रदर्शन की प्रशंसा की है। हालाँकि, उनका मुख्य उद्देश्य हमेशा से बर्कशायर हैथवे के शेयरधारकों के लिए अधिकतम रिटर्न प्राप्त करना रहा है।

आर्थिक माहौल और चिंता

आर्थिक माहौल और चिंता

बर्कशायर हैथवे ने मौजूदा आर्थिक माहौल में सावधानी बनाए रखी है। वे अन्य निवेशों में भी यह ध्यान रखते हैं कि उनका पोर्टफोलियो अच्छी तरह मैनेज हो। कोविड-19 महामारी और अन्य आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच, ऐसी सतर्कता आवश्यक है। बर्कशायर हैथवे की यह प्रमुख बिक्री अधिक संरक्षणवादी दृष्टिकोण का संकेत देती है।

और भी, बफेट का यह कदम तब आया है जब वे यह महसूस कर रहे हैं कि भविष्य में अधिक कठिन आर्थिक चुनौतियां हो सकती हैं। उनकी टीम और वे खुद भी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कंपनी किसी भी संभावित वित्तीय संकट का सामना करने के लिए तैयार हो।

एप्पल के शेयरों पर प्रभाव

वॉरेन बफेट द्वारा किए गए इस बड़े कदम का एप्पल के शेयर बाजार पर विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है। हालांकि एप्पल विश्व की सबसे मूल्यवान कंपनी है, लेकिन ऐसे बड़े निवेशक द्वारा अपना शेयर बेचना अन्य छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि एप्पल के शेयर की कीमतें इस कदम के बाद कैसे प्रतिक्रिया देंगी। निवेशकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है, लेकिन यह भी संभव है कि एप्पल अपनी मजबूत पोज़िशन बनाए रखेगी और बिक्री के बावजूद शेयर की कीमतें स्थिर रहेंगी।

बर्कशायर हैथवे और वॉरेन बफेट के लिए, यह निर्णय एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम हो सकता है जिससे वे अधिक वित्तीय लचीलापन और भविष्य के लिए खुद को तैयार कर सकें। चाहे एप्पल हो या कोई अन्य निवेश, बफेट का प्रमुख उद्देश्य हमेशा अपने निवेशकों के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित करना रहा है।

12 टिप्पणि

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

5 अगस्त, 2024 - 23:44 अपराह्न

बफेट ने एप्पल को तभी चुना जब सबने तकनीकी स्टॉक्स को नज़रअंदाज़ किया था। अब जब ये दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गई है, तो उन्होंने लाभ निकाल लिया। ये निवेश का असली कला है - न तो भावनाओं में, न ही ट्रेंड में।
एप्पल का इकोसिस्टम अभी भी अजेय है। बस बफेट ने अपनी रणनीति के अनुसार एक ट्रांज़िशन पॉइंट ले लिया।

vishal kumar

vishal kumar

6 अगस्त, 2024 - 05:42 पूर्वाह्न

वित्तीय लचीलापन नहीं तो क्या। एक ऐसे व्यक्ति जिसने अपने जीवनकाल में दो बार दुनिया के सबसे बड़े बाजार विस्फोटों को जीतकर देखा है, उसके लिए नकदी एक शक्ति है।
कोई बाजार अस्थिरता आए तो बर्कशायर के पास दस बिलियन डॉलर की खरीदारी की ताकत है।
एप्पल अच्छा था, लेकिन नकदी अमर है।

pradipa Amanta

pradipa Amanta

7 अगस्त, 2024 - 01:55 पूर्वाह्न

अभी तक का सबसे बड़ा गलत फैसला। एप्पल अभी भी बढ़ेगा। बफेट अब उम्र से डर गए हैं।
कोई नया निवेशक अगर एप्पल खरीदना चाहे तो अभी भी बहुत देर नहीं हुई।

Rohit Roshan

Rohit Roshan

7 अगस्त, 2024 - 19:36 अपराह्न

बफेट के लिए एप्पल एक बिजनेस था, न कि एक ब्रांड।
उन्होंने देखा कि ये कंपनी हर साल बिना किसी नए प्रोडक्ट के भी करोड़ों कमा रही है।
अब जब ग्रोथ धीमी हो रही है, तो लाभ निकालना समझदारी है 😊
मैं भी अपने छोटे पोर्टफोलियो में एप्पल रखूंगा, लेकिन बफेट जैसे बड़े खिलाड़ी के लिए ये अलग खेल है।

Rajendra Mahajan

Rajendra Mahajan

8 अगस्त, 2024 - 05:46 पूर्वाह्न

बफेट ने एप्पल को इसलिए चुना क्योंकि उन्होंने देखा कि ये कंपनी अपने ग्राहकों के लिए एक जरूरत बन गई है।
आज भी एक आम भारतीय युवा फोन बदलता है नहीं, बल्कि अपग्रेड करता है।
उनकी बिक्री ने ये नहीं दर्शाया कि एप्पल कमजोर है, बल्कि ये कि बफेट ने अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया।
नकदी एक बचाव है, न कि एक डर।
कोई भी निवेशक जो बाजार के भावों में उतार-चढ़ाव देखकर फैसला करे, वो गलत रास्ते पर है।
बफेट ने अपने नियमों का पालन किया।
ये वित्तीय नैतिकता है।
हम सब जो लाभ की चाह में दौड़ते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि लंबी दौड़ में जीतने वाला वही होता है जो अपनी राह नहीं बदलता।
एप्पल के शेयर अभी भी एक शानदार निवेश हैं।
लेकिन बफेट के लिए अब वो अपने लिए अधिकतम नहीं हैं।
उनका निर्णय एक शिक्षा है - निवेश करना नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य के अनुसार निर्णय लेना है।

chandra rizky

chandra rizky

8 अगस्त, 2024 - 16:33 अपराह्न

मैंने तो बफेट के बारे में सुना था, लेकिन इतना बड़ा निर्णय लेना देखकर लगा जैसे कोई बड़ा बाप अपने बेटे को अपने घर से निकाल रहा हो 😊
लेकिन जब तक बर्कशायर की नकदी बढ़ रही है, तब तक दुनिया का कोई भी बाजार उनके लिए खुला है।
एप्पल अच्छा है, लेकिन नकदी तो जादू है 💪

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

10 अगस्त, 2024 - 04:10 पूर्वाह्न

ये सब बकवास है। बफेट ने बस एप्पल के शेयर बेच दिए, लेकिन अभी भी उसके पास 84 बिलियन हैं।
क्या तुम लोग इतने भोले हो कि सोचते हो ये अंत है?
अगर तुम्हारा बेटा अपनी गाड़ी बेचकर नया बाइक खरीदे तो क्या वो गरीब हो गया?
ये तो बस बैलेंसिंग है।

Jyotijeenu Jamdagni

Jyotijeenu Jamdagni

11 अगस्त, 2024 - 14:49 अपराह्न

बफेट ने एप्पल को बस एक चाय की दुकान समझा था - हर दिन लोग आते, पैसे देते, चाय पीते, और फिर फिर से आते।
अब जब दुकान पर भीड़ कम हो रही है, तो वो अपना कैश निकाल रहा है।
लेकिन अगर दुकान बंद हो गई तो उसके पास अभी भी दस दुकानें हैं।
एप्पल अब एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक एसेट है।
बफेट ने उसे एक ट्रेंड के रूप में नहीं, बल्कि एक फंडामेंटल के रूप में देखा।
अब वो अपने फंड को नए रंग देने की तैयारी में है।
कल शायद वो भारत के किसी टेक स्टार्टअप में उतरें।
मैं तो बस देख रहा हूँ।

arun surya teja

arun surya teja

11 अगस्त, 2024 - 18:04 अपराह्न

यह निर्णय वित्तीय विवेक का उच्चतम उदाहरण है।
एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपने जीवन में कभी भी अत्यधिक आशावाद या निराशावाद का बहाना नहीं बनाया।
एप्पल के शेयर अभी भी बेहतरीन हैं, लेकिन बर्कशायर के लिए अब यह अनुपात अधिकतम नहीं रहा।
यह एक विज्ञान है, न कि भावना।
हमें इसी तरह के निर्णयों की आदत डालनी चाहिए।

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

13 अगस्त, 2024 - 12:51 अपराह्न

एप्पल अब एक ब्रांड नहीं बल्कि एक निवेश का नाम है।
बफेट ने इसे अपने अनुसार बेच दिया।
बाकी तुम जो भी सोचते हो वो बेकार है।

navin srivastava

navin srivastava

15 अगस्त, 2024 - 10:36 पूर्वाह्न

ये सब बाहरी बातें हैं। बफेट को एप्पल के शेयर बेचने की जरूरत क्यों थी? क्योंकि वो अमेरिका के टैक्स सिस्टम के खिलाफ हैं।
भारत में तो हम अपने लोगों को देखो - जो लोग बेच रहे हैं, वो सब अमेरिकी कंपनियों के शेयर बेच रहे हैं।
क्या हम भी अपने देश की कंपनियों में निवेश करना शुरू नहीं कर सकते?
ये सब बाहरी बातें हैं।
हमें अपने देश की तरफ देखना चाहिए।

Aravind Anna

Aravind Anna

15 अगस्त, 2024 - 17:56 अपराह्न

बफेट ने एप्पल को बेचा तो क्या हुआ? वो तो अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक है।
अगर तुम उसकी नकदी को देखो तो ये बताता है कि वो अभी भी बहुत कुछ खरीद सकता है।
एप्पल के शेयर अभी भी बहुत अच्छे हैं, लेकिन बफेट के लिए ये अब एक ट्रांजिशन है।
अगर तुम इसे डर के रूप में देख रहे हो तो तुम निवेश के बारे में नहीं जानते।
ये तो एक रणनीति है।
मैं अभी भी एप्पल खरीद रहा हूँ।
क्योंकि जब तक एप्पल एक इंसान की जिंदगी का हिस्सा है, तब तक ये शेयर बढ़ेगा।
बफेट ने अपना हिस्सा निकाल लिया।
हम अपना निवेश जारी रखें।

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