जब उदय समन्त, महाराष्ट्र उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ने बृहस्पति, 18 फ़रवरी 2021 को घोषणा की कि सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय को क़तर के दोहा में उप‑केंद्र स्थापित करने की अनुमति मिल गई है, तो पूरे शैक्षणिक परिदृश्य में हलचल मच गई। यह घोषणा शिकायत निवारण मंचपुणे, महाराष्ट्र के दौरान हुई, जहाँ कई लंबित मुद्दों का निपटारा भी किया गया। इस कदम से विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीयकरण की लहर तेज़ होगी, यह स्पष्ट है।
अंतरराष्ट्रीयकरण की पृष्ठभूमि
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (SPPU) ने 2019 में क़तर सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। परंतु महामारी के कारण प्रगति रुक गई। अब, दो साल बाद, डॉ. विजय खरे, डायरेक्टर, अंतरराष्ट्रीय केंद्र ने बताया, “उप‑केंद्र शुरू करने के लिये पहले की सभी कूटनीतिक बातचीत अब वास्तविक कार्यशैली में बदल रही है।” इस तरह के कदम के पीछे विश्वविद्यालय की रणनीति स्पष्ट है: छात्रों को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाना, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग बढ़ाना, और अनुसंधान में नई राहें खोलना।
क़तर उपकेंद्र की मंजूरी और शर्तें
उदय समन्त ने स्पष्ट किया कि क़तर उपकेंद्र के लिए आवश्यक सभी परमिट अब राज्य सरकार ने दे दिए हैं। दोहा में स्थित इस केंद्र में SPPU का शैक्षणिक पाठ्यक्रम सीधे भारत से लागू होगा, जिससे क़तर के छात्रों को भारतीय शिक्षा का लाभ मिलेगा। इस समझौते में बताया गया है कि विश्वविद्यालय को प्रारंभिक रूप से पाँच नई डिग्री प्रोग्राम शुरू करने की अनुमति होगी, जिसमें व्यापार प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी प्रमुख होंगी।
परन्तु, इस परियोजना को जल्दी शुरू करने से पहले दो मुख्य शर्तें पूरी करनी होंगी: पहले, क़तर में आवश्यक शैक्षणिक लाइसेंस प्राप्त करना, और दूसरा, भारत‑क़तर के बीच छात्र वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाना। इस बारे में दोहा के क़तर शिक्षा मंत्रालय ने कहा, “हम SPPU के साथ मिलकर कार्य करेंगे, ताकि छात्रों को बिना किसी बाधा के शिक्षा मिल सके।”
घरेलू विस्तार: बालवेड़ी और नाशिक की योजना
क़तर उपकेंद्र के साथ-साथ, महाराष्ट्र सरकार ने घरेलू विस्तार को भी गति दी है। उसी मंच पर, समन्त ने बताया कि यशवंतराज चावण महाराष्ट्र ओपन यूनिवर्सिटी (YCMOU) का एक नया उप‑केंद्र पुणे के बालवेड़ी में बनाया जाएगा, जिसके लिये विशेष रूप से 15 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह केंद्र वृहद स्तर पर दूरस्थ शिक्षा और डिजिटल लर्निंग को सुदृढ़ करेगा।
इसके अतिरिक्त, चंद्रकांत पाटिल, महाराष्ट्र उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री ने अप्रैल 2025 में नाशिक के शिवनाई क्षेत्र में एक बड़े परिसर के निर्माण की घोषणा की। कुल 64 हेक्टेयर जमीन में से 43 हेक्टेयर पहले ही विश्वविद्यालय के नियंत्रण में है; बाकी हिस्से में encroachment को समाप्त करने के लिये कार्य चल रहा है। इस नए उप‑केंद्र में एमबीए के लिए किराये के परिसर से शुरू होकर, जल्द ही एक‑सालीय टेम्पल मैनेजमेंट सर्टिफ़िकेट कोर्स और बिएबीए कोर्स शुरू करने की योजना है।

प्रतिक्रिया और विशेषज्ञ विश्लेषण
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरेश गोसावी, विश्वविद्यालय के उपकुलपति ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय उप‑केंदरों की श्रृंखला हमारे छात्रों को वैश्विक मानकों से परिचित कराएगी, और साथ ही विदेशों से आए छात्रों को भी स्थानीय संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलेगा।” एक स्वतंत्र शिक्षा विश्लेषक, आरती वर्मा, ने टिप्पणी की, “यदि इस तरह के उप‑केंद्र सही ढंग से लागू होते हैं, तो राज्य की शैक्षणिक निर्यात क्षमता में 20‑25% बढ़ोतरी देखी जा सकती है।”
साथ ही, शिकायत निवारण मंच पर कुल 4,411 शिकायतें दर्ज थीं, जिनमें से 4,053 (लगभग 86%) का समाधान हो चुका था। शेष शिकायतों को शारीरिक रूप से निपटाने की योजना बनाई गई है, जिससे सभी पक्षों को संतुष्टि प्राप्त हो सके।
आगे की दिशा और संभावित प्रभाव
भविष्य में SPPU ने जॉर्जिया, दुबई, सऊदी अरब और कजाखस्तान में भी उप‑केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है, जैसा कि अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट में बताया गया। यह विस्तृत नेटवर्क न केवल शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय छात्रों को विदेशों में अनुसंधान व इंटर्नशिप के नए अवसर प्रदान करेगा।
क़तर उपकेंद्र की सफलता सीधे यह निर्धारित करेगी कि बाकी देशों में समान मॉडल को अपनाना कितना व्यावहारिक है। यदि दोहा में शुरुआती चरण सुगम रहेंगे, तो अगले दो वर्षों में कम से कम पाँच नए अंतरराष्ट्रीय साइट खुल सकती हैं, जिससे महाराष्ट्र की शिक्षा प्रणाली का वैश्विक प्रोडक्टिविटी बूम देखेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क़तर उप‑केंद्र कब तक खुलने की उम्मीद है?
सद्य स्थिति में, सभी लाइसेंस और वीज़ा प्रक्रियाएँ 2024 के अंत तक पूरी हो जाने की संभावना है, इसलिए आधिकारिक रूप से शुरुआती सत्र 2025 की शैक्षणिक वर्ष में शुरू हो सकता है।
बालवेड़ी में YCMOU उप‑केंद्र के तहत कौन‑से कोर्स पेश किए जाएंगे?
प्राथमिक रूप से डिजिटल लर्निंग, वाणिज्य और सामाजिक विज्ञान के अण्डरग्रेजुएट प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे, साथ ही प्रोफेशनल सर्टिफ़िकेट कोर्स भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
नाशिक में नई सुविधाओं का दीर्घकालिक उद्देश्य क्या है?
नाशिक का उप‑केंद्र स्थानीय विद्यार्थियों के लिये उपलब्धता बढ़ाने, साथ ही उद्योग‑कारीगरों के लिये अनुकूल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिये बनाया जा रहा है, जिससे रोजगार दर में सुधार हो सके।
अंतरराष्ट्रीय उप‑केंद्रों से SPPU की अनुसंधान क्षमता पर क्या असर पड़ेगा?
विदेशी साझेदारियों से संयुक्त प्रोजेक्ट्स, फंडिंग और प्रकाशनों में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे अगले पाँच वर्षों में विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय शोध उद्धरण में 30% तक की बढ़ोतरी संभव हो सकती है।
वर्तमान में लटकी हुई शिकायतों को कैसे निपटारा किया जाएगा?
शेष 14% शिकायतों को अगले दो महीनों में फ़िज़िकल मीटिंग्स के माध्यम से निपटाने का प्रस्ताव है, जिसमें प्रत्येक शिकायत पर व्यक्तिगत समाधान योजना तैयार की जाएगी।
Neeraj Tewari
9 अक्तूबर, 2025 - 13:16 अपराह्न
उदय समन्त की इस घोषणा को देखते हुए मन में ये सवाल उभरता है कि शिक्षा का वैश्वीकरण सिर्फ नाम की बात नहीं, बल्कि वास्तविक साक्षरता की लहर है। दोहा में उप‑केंद्र का होना हमारे छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बिठाने का अवसर देगा। साथ ही यह कदम भारत की शैक्षणिक निर्यात क्षमता को भी नई दिशा देगा। वास्तव में, यह एक दार्शनिक परिवर्तन है, जहाँ स्थानीय ज्ञान को वैश्विक मंच पर रखे जाने की संभावना है।
sunaina sapna
9 अक्तूबर, 2025 - 14:40 अपराह्न
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (SPPU) का क़तर उप‑केंद्र स्थापित होना एक रणनीतिक निर्णय है।
इस निर्णय से पहले दो साल का अंतराल था, जो महामारी के कारण उत्पन्न हुआ था।
अब जब लाइसेंस और वीज़ा प्रक्रियाएँ स्पष्ट हो रही हैं, तो कार्यान्वयन तेज़ी से हो सकता है।
उप‑केंद्र में प्रस्तावित पाँच डिग्री प्रोग्राम प्रवेश के लिए स्पष्ट शर्तें निर्धारित करनी होंगी।
व्यापार प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी को मूलभूत पाठ्यक्रमों के रूप में चुना गया है, जो आज के नौकरी बाजार की मांग के अनुरूप है।
भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए विदेश में कैंपस स्थापित करना उच्च शिक्षा की अंतरराष्ट्रीयकरण नीति का अभिन्न भाग है।
इस पहल से न केवल छात्रों को ग्लोबल एक्सपोज़र मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग भी सुदृढ़ होगा।
क़तर सरकार के साथ MoU पहले से ही हस्ताक्षरित था, इसलिए सहयोग की नींव मजबूत है।
दोहा में स्थित उप‑केंद्र के लिए आवश्यक शैक्षणिक लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया अब समाप्ति की दिशा में है।
भारत‑क़तर के बीच वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए दोनों पक्षों ने विशेष कार्य समूह बनाया है।
इस कार्य समूह ने संभावित बाधाओं की सूची तैयार की है और समाधान के लिए टाइम‑लाइन बनाई है।
छात्रों को बिना किसी बाधा के दोहा में पढ़ाई शुरू करने हेतु प्रवेश प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की योजना भी बनायी गयी है।
इस प्रकार की डिजिटल प्रक्रियाएँ छात्रों के लिए समय और लागत दोनों में बचत का कारण बनेंगी।
अंततः, सफलतापूर्वक कार्यान्वित होने पर यह उप‑केंद्र SPPU के अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण marker बन जाएगा।
इस अनुभव को आधार बनाकर विश्वविद्यालय भविष्य में जॉर्जिया, दुबई और सऊदी अरब जैसे अन्य देशों में समान मॉडल लागू कर सकेगा।
Ritesh Mehta
9 अक्तूबर, 2025 - 16:20 अपराह्न
विदेशी कैंपस खोलना राष्ट्रीय गर्व है लेकिन केवल नाम की बात नहीं होनी चाहिए। वास्तविक लाभ तभी मिलेंगे जब गुणवत्ता सुनिश्चित हो।