प्रधानमंत्री मोदी ने किया नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन

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प्रधानमंत्री मोदी ने किया नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का भव्य उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने एक पटिका का अनावरण किया और एक पौधा भी लगाया, जो पर्यावरण और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम राज्य और देश दोनों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है।

इस अवसर पर कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व भी उपस्थित थे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भी इस समारोह में शामिल हुए। इसके अलावा, 17 देशों के राजदूत भी इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बने, जो भारत की शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत में उनके प्रति सम्मान और सहयोग को दर्शाता है।

नालंदा का पुरातन गौरव

नालंदा विश्वविद्यालय का प्राचीन इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन से पहले प्राचीन नालंदा के खंडहरों का दौरा भी किया, जो UNESCO विश्व धरोहर स्थल हैं।

पुरातत्व विभाग की निरीक्षण अधिकारी गौतमी भट्टाचार्य ने उन्हें इन प्राचीन खंडहरों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। यह स्थल स्तुपों, मंदिरों, विहारों और महत्वपूर्ण कलाकृतियों से समृद्ध है। नालंदा को भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है, जिसने सदियों से छात्रों और विद्वानों को आकर्षित किया है।

नए परिसर की महत्वता

नए परिसर की महत्वता

नया नालंदा विश्वविद्यालय परिसर आधुनिक सुविधाओं और उत्कृष्ट अकादमिक संसाधनों से सुसज्जित है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस नए परिसर के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह परिसर युवा पीढ़ी की शैक्षिक आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करेगा। इसके उद्घाटन के साथ ही यह उम्मीद की जा रही है कि यह संस्थान दुनिया भर के छात्रों के लिए शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनेगा।

नये परिसर का मुख्य उद्देश्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नये शोध, अध्ययन और ज्ञान के पोषण को बढ़ावा देना है। यह केवल एक शैक्षिक संस्थान नहीं है, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक भी है। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का संगम मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, 'नालंदा शिक्षा का नहीं, बल्कि ज्ञान का मंदिर है। यह विश्वविद्यालय हमारे इतिहास और संस्कृति का गवाह है और इसे पुनः स्थापित करना हमारे लिए गर्व की बात है। नए परिसर से हम अपने युवा छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।'

समारोह की अन्य झलकियां

उद्घाटन समारोह के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय संस्कृति की विविधता और खुबसूरती को प्रदर्शित किया गया। छात्रों और आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों ने इन्हें बड़े चाव से देखा। इसका मुख्य आकर्षण पारंपरिक नृत्य, संगीत और कला प्रदर्शनियां रही।

इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि यह नया परिसर न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा विश्वविद्यालय की हरसंभव मदद करेगी ताकि यह विश्वविद्यालय अपनी प्रतिष्ठा को और ऊँचाईयों तक पहुंचा सके।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस अवसर पर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय जैसे संस्थान भारत को विश्व मानचित्र पर एक अग्रणी शैक्षिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

संस्कृति और विज्ञान का संगम

संस्कृति और विज्ञान का संगम

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन न केवल शिक्षा, बल्कि भारतीय संस्कृति और विज्ञान के संगम का प्रतीक भी है। यह आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा का मिश्रण है, जहां छात्र सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए आधुनिकता की ओर बढ़ सकेंगे।

विश्वविद्यालय के प्रशासन ने कई नवीनतम कोर्सेज और अनुसंधान अवसरों की घोषणा भी की है, जो इसे एक अद्वितीय शैक्षिक केंद्र बनाएंगे। इसके साथ ही, नए परिसर में लाइब्रेरी, अनुसंधान केंद्र, और आवासीय सुविधाएं भी हैं जो छात्रों को समग्र विकास में मदद करेंगी।

इस प्रकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह भविष्य में शिक्षा और ज्ञान के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देगा और नालंदा की प्राचीन महानता को फिर से जीवित करेगा।

11 टिप्पणि

Neelam Khan

Neelam Khan

20 जून, 2024 - 22:12 अपराह्न

ये तो बहुत अच्छी बात है! नालंदा फिर से जीवित हो रहा है। युवाओं को ऐसे स्थानों पर पढ़ने का मौका मिले तो देश का भविष्य तो बहुत रोशन होगा।
पुरानी विरासत और आधुनिक शिक्षा का ये मिश्रण बहुत सुंदर है।

Jitendra Singh

Jitendra Singh

22 जून, 2024 - 21:32 अपराह्न

इस तरह के प्रोजेक्ट्स का नाम लेकर भी नहीं चलेगा। जब तक हमारे गांवों में स्कूलों में टीचर नहीं हैं, तब तक नालंदा का नया परिसर बस एक शो-केस है। ज्ञान का मंदिर? ये तो बस एक बड़ा बिल्डिंग है जिसमें कुछ छात्र घूम रहे हैं।

VENKATESAN.J VENKAT

VENKATESAN.J VENKAT

23 जून, 2024 - 16:06 अपराह्न

क्या आपने कभी सोचा है कि जब नालंदा का प्राचीन विश्वविद्यालय था, तो यहां आए विद्वानों को कोई गूगल नहीं था? वो लोग अपनी बुद्धि से ज्ञान बनाते थे। आज के युवा तो एक वीडियो देखकर एक्सपर्ट बन जाते हैं। ये नया परिसर तो बस एक बड़ा लाइब्रेरी का बर्तन है जिसमें खाली बातें भरी हुई हैं।

Amiya Ranjan

Amiya Ranjan

25 जून, 2024 - 13:23 अपराह्न

इस तरह के उद्घाटनों से कुछ नहीं होता। बस फोटो लेने के लिए बड़े बड़े लोग आते हैं। जब तक शिक्षा का खर्चा घट नहीं जाता, तब तक ये सब नाटक है।

vamsi Krishna

vamsi Krishna

27 जून, 2024 - 05:03 पूर्वाह्न

nalandaa ki kya baat hai.. school me bhi padhne ka man nahi karta.. ye sab sirf media ke liye hai..

Mohit Parjapat

Mohit Parjapat

27 जून, 2024 - 09:03 पूर्वाह्न

भारत की शिक्षा का नया गौरव! नालंदा फिर से दुनिया के लिए ज्ञान का बिंदु बन रहा है! ये वो जगह है जहां चीन, तिब्बत, जापान के विद्वान आते थे! आज फिर वो आ रहे हैं! ये देश का असली अहंकार है! 🇮🇳🔥

vishal kumar

vishal kumar

28 जून, 2024 - 11:58 पूर्वाह्न

ज्ञान भवन का निर्माण नहीं ज्ञान का पुनर्जागरण है। इतिहास को याद करना आवश्यक है। लेकिन उसे जीवित करना अधिक आवश्यक है।

Oviyaa Ilango

Oviyaa Ilango

30 जून, 2024 - 05:22 पूर्वाह्न

इतिहास की वापसी अच्छी बात है लेकिन शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य अभी भी अप्राप्त है

Aditi Dhekle

Aditi Dhekle

30 जून, 2024 - 19:53 अपराह्न

अवश्य यह एक पोस्ट-कॉलोनियल एपिस्टेमोलॉजिकल रिस्टेटलमेंट है। नालंदा के पुनर्जीवन से पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का रेस्टोरेशन हो रहा है। इसका अर्थ है कि एक नए अकादमिक राष्ट्रवाद का उदय हो रहा है जो वैश्विक शिक्षा आर्किटेक्चर को रिकॉन्फिगर कर रहा है।

Aditya Tyagi

Aditya Tyagi

1 जुलाई, 2024 - 22:54 अपराह्न

मुझे याद है जब मैं नालंदा के पास से गुजरा था तो वहां के लोग बहुत गरीब थे। अब ये बड़े बड़े इमारतें बन गईं लेकिन आसपास के लोगों को कुछ नहीं मिला। ये सब बस दिखावा है।

Neelam Khan

Neelam Khan

3 जुलाई, 2024 - 11:58 पूर्वाह्न

मैं तो सोचती हूं कि अगर हम नालंदा के इतिहास को समझें तो ये बस इमारत नहीं है। ये एक विचार है। जो विचार दुनिया को बदल गया था। अब ये विचार फिर से शुरू हो रहा है। अगर हम इसे समझें तो ये एक बहुत बड़ा अवसर है।

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