ऋण संकट – क्या है और कैसे निकलें?

आजकल कई परिवारों को आदत से ज्यादा कर्ज का बोझ झेलना पड़ रहा है। नौकरी में कटौतियाँ, महंगाई और उच्च ब्याज दरें इस समस्या को बढ़ा रही हैं। अगर आप भी इस तनाव में हैं तो पढ़िए, हम आसान उपाय बताने वाले हैं जिससे आप अपने वित्तीय दबाव को कम कर सकें।

ऋण संकट के मुख्य कारण

सबसे पहला कारण है आय में अस्थिरता। फ्रीलांस या अस्थायी नौकरी वाले लोग अक्सर अप्रत्याशित खर्चों से जूझते हैं। दूसरा बड़ा कारण है अनावश्यक लोन लेना—भले ही कीमत कम लगती है, लेकिन ब्याज की दरें जल्दी बढ़ सकती हैं। साथ ही, क्रेडिट कार्ड की रिटर्न पॉलिसी भी कर्ज को एक चक्र में फँसा देती है। ये तीन चीजें मिलकर अक्सर लोगों को ऋण के जाल में फँसाती हैं।

ऋण मोचन के प्रभावी उपाय

पहला कदम है सभी लोन की सही सूची बनाना—ब्याज दर, शेष राशि और पुनर्भुगतान की तिथि लिखिए। इससे आपको पता चलेगा कि कौन सा कर्ज सबसे ज़्यादा महंगा है। दूसरा, उच्च ब्याज वाले लोन को पहले चुका दें, चाहे वो क्रेडिट कार्ड हो या पर्सनल लोन। यह तरीका कुल ब्याज को कम करता है।

तीसरा, सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ। प्रधानमंत्री श्रद्धा योजना, कर्ज माफी स्कीम या ब्याज दर में कटौती के लिये उपलब्ध कोई भी राहत programme देखें। अक्सर ये योजनाएँ सीमित समय के लिये होती हैं, इसलिए जल्दी कार्रवाई करें।

चौथा, बजट बनाइए और हर महीने की बचत को नियत मात्रा में रखें। छोटी-छोटी बचत, जैसे बाहर खाने की जगह घर में खाने पर स्विच करना, तुरंत आपके कर्ज की चक्रवृद्धि को घटा देगा।

पाँचवा, अगर बहुत बड़ा लोन है तो रीफ़ाइनेंसिंग पर विचार करें। कई बैंकों में कम ब्याज दर पर पुनः लोन मिल सकता है, जिससे आपका महीनाwise भुगतान घट जाता है। रीफ़ाइनेंसिंग से पहले सभी शर्तें ध्यान से पढ़ें।

अंत में, मानसिक तनाव को कम करना भी जरूरी है। कर्ज के बारे में नकारात्मक सोच से बचें, बल्कि छोटे-छोटे लक्ष्य तय कर उन्हें हासिल करने की कोशिश करें। जब आप एक-एक करके कर्ज घटाते जाएंगे, तो आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

इन सरल कदमों को अपनाने से आप ऋण संकट से बाहर निकल सकते हैं और फिर से आर्थिक रूप से स्थिर हो सकते हैं। याद रखें, निरंतरता और सही योजना ही सफलता की कुंजी है।

हिमाचल प्रदेश में 25 साल बाद लॉटरी पुनरायात, 1 लाख करोड़ ऋण से बचने की कसम

हिमाचल प्रदेश ने 1999 के बाद पहली बार लॉटरी को फिर से चालू करने की मंजूरी दी है। यह कदम राज्य के 1 लाख करोड़ के बढ़ते ऋण को कम करने के लिए Rs 50‑100 crore सालाना आय लाने का लक्ष्य रखता है। केरल, पंजाब और सिक्किम के उदाहरणों को आधार बनाकर नई विधेयक की तैयारी है, जबकि विपक्ष इसको सामाजिक बुराई मानकर कड़ी निंदा कर रहा है।

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