स्टॉक स्प्लिट: क्या है और आपके निवेश को कैसे बदलता है

अगर आपने शेयर बाजार की खबरें पढ़ी हैं तो शायद "स्टॉक स्प्लिट" शब्द कई बार देखा होगा. लेकिन असल में इसका मतलब क्या है? आसान शब्दों में कहें तो कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को छोटे हिस्सों में बांट देती है, ताकि हर शेयर की कीमत कम हो जाए लेकिन आपके पास कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाए.

स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?

कंपनियां कई कारणों से स्प्लिट करती हैं. सबसे बड़ा कारण है शेयर की कीमत बहुत हाई हो जाना, जिससे छोटे निवेशकों के लिए खरीदना मुश्किल हो जाता है. जब कीमत घटती है तो अधिक लोग शेयर खरीदते हैं, लिक्विडिटी बढ़ती है और ट्रेडिंग एक्टिविटी सुधरती है. इसके अलावा, स्प्लिट से कंपनी को प्रॉफाइल में सकारात्मक माहौल बनाना आसान हो जाता है, क्योंकि निवेशकों को लगता है कि कंपनी आगे बढ़ रही है.

स्प्लिट के दो मुख्य प्रकार

फॉरवर्ड स्प्लिट में कंपनी हर एक मौजूदा शेयर को दो या उससे ज्यादा हिस्सों में बाँट देती है. उदाहरण के तौर पर, 2-के-1 स्प्लिट का मतलब है कि एक शेयर को दो हिस्से में बदल दिया जाएगा. दूसरी तरफ रिवर्स स्प्लिट में कई शेयर मिलाकर एक बड़ा शेयर बना दिया जाता है, जिससे शेयर की कीमत बढ़ती है. रिवर्स स्प्लिट अक्सर तब उपयोग होती है जब कंपनी की कीमत बहुत नीची हो और उसे न्यूनतम लिस्टिंग मानकों को पूरा करना हो.

स्प्लिट का असर आपके पोर्टफोलियो पर कैसे पड़ता है? आसान शब्दों में, आपका कुल निवेश वैल्यू नहीं बदलती, सिर्फ शेयरों की संख्या और प्रति शेयर कीमत बदलती है. अगर आपके पास 100 शेयर थे, 10 रुपये पर, तो 2-के-1 स्प्लिट के बाद आपके पास 200 शेयर होंगे, पर कीमत 5 रुपये होगी, कुल वैल्यू अभी भी 1000 रुपये ही रहेगा.

ध्यान देने योग्य बात यह है कि स्प्लिट का तुरंत कोई टैक्स इम्पैक्ट नहीं होता. टैक्स तभी लागू होता है जब आप शेयर बेचते हैं और उससे कैपिटल गैन्स या लॉस बनता है. इसलिए स्प्लिट को लेकर टैक्स प्लानिंग की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन इसे ट्रैक करना जरूरी है ताकि आप सही समय पर ट्रेड कर सकें.

स्प्लिट की खबरें कैसे पकड़े? अधिकांश इनवेस्टमेंट पोर्टल्स, कंपनी के आधिकारिक प्रेस रिलीज़ और स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइटों पर तुरंत अपलोड हो जाती हैं. आप अपने ब्रोकरेज ऐप में अलर्ट सेट कर सकते हैं, जिससे जैसे ही कोई कंपनी स्प्लिट की घोषणा करे, आपको नोटिफिकेशन मिल जाए.

क्या हर कंपनी स्प्लिट करती है? बिल्कुल नहीं. कुछ कंपनियां अपने शेयर प्राइस को हाई रखकर प्रीमियम वैल्यू को दर्शाती हैं, जैसे कुछ बड़े टेक या बायो कंपनियां. वहीं कुछ कंपनियां नियमित स्प्लिट की योजना बनाती हैं, जैसे हर साल या हर दो साल में, ताकि शेयरहोल्डर्स को लिक्विडिटी मिलती रहे.

स्प्लिट से जुड़ी एक आम गलती यह है कि बहुत सारे लोग इसे शेयर की वैल्यू बढ़ने का सबूत मान लेते हैं. असल में स्प्लिट सिर्फ एक मैकेनिकल प्रक्रिया है, जिससे कीमत कम होती है पर कंपनी के फंडामेंटल्स नहीं बदलते. इसलिए निवेश करने से पहले कंपनी की कमाई, प्रॉडक्ट्स और मार्केट पोजीशन देखें, सिर्फ स्प्लिट पर नहीं.

संक्षेप में, स्टॉक स्प्लिट एक साधारण उपकरण है जो शेयरों को छोटे हिस्सों में बाँट कर अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है. यह आपके निवेश के मूल मूल्य को नहीं बदलता, लेकिन ट्रेडिंग को आसान बनाता है. अगर आप शेयर बाजार में नया कदम रख रहे हैं तो स्प्लिट को समझना जरूरी है, ताकि आप सही समय पर शेयर खरीद या बेच सकें और अपने पोर्टफोलियो को सुदृढ़ बना सकें.

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