पिछले हफ्ते वायनाड़ में तेज़ बारिश के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ। कई घर टूट गए, सड़कें बंद हो गईं और लोग फँस गए। अगर आप इस क्षेत्र से जुड़े हैं या यात्रा की योजना बना रहे हैं तो नीचे दी गई जानकारी मददगार होगी।
वायनाड़ में लगातार दो हफ़्तों तक भारी वर्षा रही, जिससे मिट्टी बहुत नमी भरी हो गई। पहाड़ी ढलानों पर कटाव तेज़ हो गया और अंततः जमीन ने अपना संतुलन खो दिया। कई गांवों में बिजली गुल, टेलीफोन लाइन टूटे और जल आपूर्ति बंद हो गई। स्थानीय लोग बचाव टीम के आने तक इंतज़ार करते रहे, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सड़कों की बाधा के कारण मदद पहुँचना मुश्किल रहा।
भूस्खलन ने खेती पर भी बड़ा असर डाला। धान के खेत बँट गए और किसानों को फसल नुकसान का सामना करना पड़ा। अस्पतालों में चोटिल लोगों की भरमार रही, लेकिन डॉक्टरों ने तुरंत प्राथमिक उपचार शुरू किया। सरकारी एजेंसियों ने राहत सामग्री जैसे खाना, पानी और दवाइयाँ भेजी, पर वितरण में देरी भी हुई।
भूस्खलन जैसी आपदाओं से बचने के लिए कुछ आसान उपाय हैं:
सरकार ने आपदा प्रबंधन टीम को तुरंत तैनात किया है। नदियों की धारा नियंत्रित करने के लिये बैरियर लगाए जा रहे हैं और बचाए गए लोगों को अस्थायी शिविर में रखा गया है। यदि आप प्रभावित क्षेत्र में हैं तो स्थानीय पुलिस या डिपार्टमेंट ऑफ़ डिसास्टर मैनेजमेंट से संपर्क करें, वे आपको सुरक्षित स्थान पर ले जाएंगे।
भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना कठिन हो सकता है, लेकिन तैयारी और जागरूकता से नुकसान कम किया जा सकता है। अपने परिवार के साथ एक आपदा योजना बनाएं: मिलन बिंदु तय करें, आवश्यक दवाइयाँ और टॉर्च तैयार रखें। छोटे‑बड़े पड़ोसियों की मदद करना भी समुदाय को मजबूत बनाता है।
वायनाड़ का भूस्खलन हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। लेकिन सही जानकारी, समय पर कार्रवाई और सहयोग से हम इस तरह की आपदाओं को संभाल सकते हैं। अगर आपके पास कोई सुझाव या मदद की पेशकश हो तो टिप्पणी में लिखें या सीधे स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।
मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल ने वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और विष्वशांति फाउंडेशन से 3 करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा की। उन्होंने स्थानीय और बचाव कार्यकर्ताओं से मिलकर व्यापक योगदान की आवश्यकता पर बल दिया।
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