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CBDT ने किया ITR filing 2025 का बड़ा विस्तार: ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं के लिये नई समयसीमा

CBDT ने किया ITR filing 2025 का बड़ा विस्तार: ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं के लिये नई समयसीमा

टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की नई तिथि

वित्त मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने FY 2024‑25 (AY 2025‑26) के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की सीमा को 30 सितम्बर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दिया। यह बदलाव उन सभी करदाताओं पर लागू होता है जिनको धारा 44AB के तहत ऑडिट करवाना अनिवार्य है। प्रोफेशनल संस्थाओं, विशेषकर चार्टर्ड अकाउंटेंट बॉडीज़ की कई शिकायतों को देखते हुए इस राहत को प्रदान किया गया।

नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि यह विस्तार केवल धारा 139(1) की व्याख्या‑2 के क्लॉज (a) में उल्लिखित अस्सीज़ी यानी करदाता समूह पर ही लागू होगा। इससे छोटे‑बड़े दोनों व्यवसायों को अपनी ऑडिट प्रक्रिया पूरी करने के लिये अतिरिक्त एक महीने का समय मिल गया।

ITR filing 2025 के संभावित बदलाव और वास्तविक प्रभाव

ITR filing 2025 के संभावित बदलाव और वास्तविक प्रभाव

ऑडिट रिपोर्ट की नई तिथि के बावजूद, अब तक ITR filing की आधिकारिक अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 ही बनी हुई है।ITR filing 2025 को लेकर कुछ प्रमुख कर विशेषज्ञ अलग‑अलग राय दे रहे हैं। खैतन & को के पार्टनर आशिष मेहता का कहना है कि जब तक CBDT कोई अलग नोटिफिकेशन जारी नहीं करता, ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं को अभी भी 31 अक्टूबर तक ही रिटर्न फाइल करना पड़ेगा। दूसरी ओर, एस.के. पाटोद्याल्प के एसोसिएट डायरेक्टर मिहीर टान्ना का तर्क है कि वित्त बीलेट 2020 के प्रावधान के अनुसार ऑडिट रिपोर्ट को ITR फाइलिंग की एक महीने पहले जमा करना अनिवार्य है, इसलिए रिटर्न की अंतिम तिथि को 30 नवंबर 2025 तक ले जाना चाहिए।

वर्तमान में FY 2024‑25 के लिए विभिन्न वर्गों की ITR डेडलाइन इस प्रकार हैं:

  • सैलरी वाले व्यक्तियों और non‑audit मामलों के लिए 15 सितम्बर 2025 (जुलाई से जुलाई से बढ़ाई गई)।
  • ऑडिट‑आवश्यक व्यवसायों के लिए 31 अक्टूबर 2025।
  • ट्रांसफ़र प्राइसिंग के मामलों में 30 नवंबर 2025।
  • लेट‑फाइल या संशोधित रिटर्न के लिये 31 दिसम्बर 2025 तक का समय है।

विशेषज्ञों की राय है कि CBDT जल्द ही एक अतिरिक्त अधिसूचना जारी कर इस अंतर को समाप्त कर देगा, जिससे ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं को भी 30 नवंबर तक का पर्याप्त फुर्सत मिलेगा। यह कदम न केवल समय की कमी को दूर करेगा, बल्कि देर से फाइल करने पर लगने वाले सेक्शन 234A का ब्याज और सेक्शन 234F के तहत संभावित ₹5,000 का जुर्माना भी बचाएगा।

Sukh Malik

Sukh Malik

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