इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने अगले तीन दिनों में भारत के कई हिस्सों में तीव्र वर्षा का पूर्वानुमान दिया है। रेड और ऑरेंज अलर्ट के साथ महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल, तेलंगाना और कोस्टल आंध्र प्रदेश को विशेष जोखिम zone के रूप में चिन्हित किया गया है। इस मौसम प्रणाली में तेज़ बौछारों के साथ साथ तूफान और बिजली गिरने की संभावनाएँ भी उच्च स्तर पर हैं।
विशेष रूप से महाराष्ट्र को सबसे अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। राज्य के मध्य, कंकण और विदरबा क्षेत्रों में 27 से 29 सितंबर तक भारी से लेकर अत्यधिक बारिश की संभावनाएँ जताई गई हैं। मुंबई, ठाणे, रायगढ़ और पलघर को रविवार के लिये रेड अलर्ट जारी किया गया है, जबकि ये चेतावनी सोमवार की सुबह तक जारी रहेगी।
महाराष्ट्र में कई जिलों में पहले से ही जलस्तर बढ़ रहा है। मुंबई में इस महीने के अभी तक 445 mm की वर्षा दर्ज की गई है, जो औसत 380 mm से काफी अधिक है। कोलाबा स्टेशन ने अकेले 54 mm और संताक्रुज़ ने 12 mm बरसात दर्ज की है। इन आंकड़ों को देखते हुए राज्य सरकार ने राजस्व एवं वन विभाग के माध्यम से विस्तृत सलाह जारी की है।
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) को सक्रिय करके सभी विभागों को समन्वयित किया जा रहा है। जनता को चेतावनी दी गई है कि ऊँचे जल की स्थिति में पेड़ के नीचे शरण न लें, पानी भरने वाले रास्तों या पुलों को पार न करें और अनावश्यक यात्रा से बचें। जलजमाव वाले इलाकों में स्थानीय राहत शेल्टर का उपयोग करने की सलाह भी दी गई है।
IMD ने विशेष रूप से निम्न क्षेत्रों में जलभराव, त्वरित बाढ़ (फ्लैश फ्लड) और सड़कों, रेल एवं हवाई मार्गों में बाधाओं की संभावना जताई है। इन स्थितियों में बिजली और टेलीकॉम सेवाओं में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।
महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना, कोस्टल आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी 27 सितंबर को भारी बारिश की भविष्यवाणी है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी जगह-स्थान पर गंभीर वर्षा के संकेत मिल रहे हैं, जिससे स्थानीय प्रशासन को अतिरिक्त तैयारियों की जरूरत पड़ेगी।
सरकार ने अफ़वाहों के प्रसार को रोकने की भी चेतावनी दी है। जल आपदा के मामलों में सही सूचना और समय पर कार्रवाई ही नुकसान को कम कर सकती है, इसलिए भरोसेमंद स्रोतों से ही जानकारी लेनी चाहिए।
इन चेतावनियों के मद्देनज़र, नागरिकों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने घरों को सुरक्षित रखें, जल निकासी के रास्ते साफ़ रखें और यदि आवश्यक हो तो निकटतम राहत शिविरों में स्थानांतरित हों। भारी बारिश से उत्पन्न संभावित जोखिमों को कम करने के लिये स्थानीय प्रशासन और जनता दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे।