नरक चतुर्दशी 2025: 20 अक्टूबर का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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नरक चतुर्दशी 2025: 20 अक्टूबर का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जब नरक चतुर्दशी 2025नई दिल्ली मनाई जाएगी, तो देश‑विख्यात भगवान श्रीकृष्ण की अद्भुत कथा फिर से दिलों में झंकार उठाएगी। इस बार का त्योहार 20 अक्टूबर, 2025 (सोमवार) को गिरजाते सूरज के साथ शुरू हो कर अगले दिन दोपहर 03:44 बजे समाप्त होगा, और दिल्ली में अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त 05:11:59 से 06:24:37 तक रहेगा।

इतिहासिक पृष्ठभूमि और पौराणिक कथा

नरक चतुर्दशी को कभी‑कभी रूप चौदस, कभी छोटी दिवाली कहा जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार यह कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी होती है। पौराणिक ग्रंथों में लिखा है कि नरकासुर नामक दैत्य ने 16,100 कन्याओं को नरक में बंदी बनाया था। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सात्रिंगी बाणों से नरकासुर का वध करके उन बालिकाओं को मुक्त किया, और इस जीत की ख़ुशी में दीपावली का पहला दिव्य दीप जलाया गया।

यह घटना केवल युद्ध की नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक बन गई। इसलिए हर साल इस चतुर्दशी को दीप जलाकर, शुद्ध स्नान कर, और यमराज की पूजा करके मनुष्य अपने जीवन से नकारात्मकता को निकालने की कोशिश करता है।

2025 के विशेष मुहूर्त और योग

वर्ष 2025 में मुहूर्त की गणना में दो मुख्य समय‑क्षेत्रों को देखा गया है:

  • कला‑प्रकाश (कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) 19 अक्टूबर को दोपहर 01:51 बजे शुरू होकर 20 अक्टूबर को दोपहर 03:44 बजे समाप्त।
  • अभ्यंग स्नान का शुभ समय दिल्ली में 05:11:59‑06:24:37, यानी लगभग 1 घंटे 12 मिनट का अवधि।

भक्तों को सलाह दी जाती है कि इस दौरान उबटन स्नान (तेल मिलाकर स्नान) और अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियों को पानी में डालकर स्नान किया जाए। यह रीति‑रिवाज़ नरक के भय को दूर करने और स्वर्ग‑प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करने में सहायता करता है।

परम्परागत रिवाज़ और पूजा विधि

नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में घर को साफ करके, तिल्ली के तेल से शरीर पर मालिश करना, और चिचड़ी‑पत्तियों वाले पानी से स्नान करना आम है। स्नान के बाद दीये जलाकर, यमराज की पूजा में त्रिवार्ता (तीन बार) प्रतिपादित किया जाता है, जिससे अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना होती है।

धार्मिक माहौल को और सजीव करने के लिए घर में नई मूर्तियों की स्थापना की जाती है – मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की। साथ ही, यमराज के उपासक अक्सर यम रक्षा पिज़ा (एक विशेष अन्न) बनाते हैं, जो पावन ऊर्जा को बढ़ाता है।

सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक प्रभाव

इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। छोटे‑बड़े हर वर्ग के लोग मिलजुल कर भोजन‑साझा करते हैं, जिससे समुदाय में एकता की भावना प्रबल होती है। विशेषकर उत्तर भारत में दीयों की रेखा, मिठाइयों की थाली और कसरती स्नान का समन्वय एक जीवंत उत्सव का रूप ले लेता है।

आधुनिक समय में लोग इस अवसर को वेशभूषा, सामाजिक मीडिया पोस्ट और हेल्थ‑ट्रैकिंग ऐप्स के जरिए भी मनाते हैं। कई योगा स्‍टूडियों में इस दिन “नरक चतुर्दशी योग” कक्षा का आयोजन होता है, जिसमें शिववास (शिव की पूजा) और क्रिया‑स्नान को मिलाकर शारीरिक‑मानसिक शांति प्राप्त करने की कोशिश की जाती है।

आगे क्या? 2025 के बाद की तैयारी

नरक चतुर्दशी का अगला चक्र 2026 में आएगा, लेकिन 2025 की विशेष तारीखें और मुहूर्त इस साल के भक्तों के लिए एक नज़रिया बन गए हैं। यदि आप अगले साल की तैयारियों में उलझे हैं, तो आज ही कैलेंडर में 19‑20 अक्टूबर को हाईलाइट कर लें, और मुहूर्त के अनुसार अपने स्नान‑पाठ्यक्रम को व्यवस्थित करें।

ट्रैफ़िक और भीड़भाड़ से बचने के लिए, कई शहरों में सरकारी मंदिरों ने ऑनलाइन आरक्षण शुरू कर दिया है। दिल्ली में भी कई प्रमुख प्रांगण (जैसे लोटस टेम्पल, द्वारका शयनकुंड) ने अपने अभ्यंग‑स्नान के समय-सारिणी को वेबसाइट पर उपलब्ध कराया है। यह डिजिटल सुविधा दर्शकों को भीड़ कम करने और शुद्धता बनाए रखने में मदद करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नरक चतुर्दशी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

यह त्योहारी दिन नरकासुर के वध की याद दिलाता है, जहाँ अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। लोग इस दिन शुद्ध स्नान, दीप जलाकर और यमराज की पूजा करके नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होने की कामना करते हैं।

2025 में अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त कब है?

नई दिल्ली में अभ्यंग स्नान का शुभ समय 05:11:59 से 06:24:37 बजे तक है, कुल अवधि लगभग एक घंटे बारह मिनट की है। इस अवधि में स्नान करने से नरकाबंधन से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है।

नरक चतुर्दशी पर कौन‑से प्रमुख देवता की पूजा होती है?

मुख्यतः यमराज की पूजा की जाती है, जिससे अकाल मृत्यु से बचाव और स्वास्थ्य में सुधार की कामना की जाती है। साथ ही, भगवान श्रीकृष्ण और माँ लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है।

क्या नरक चतुर्दशी को बाहर के देशों में भी मनाया जाता है?

हिंदू प्रवासी समुदायों में यह त्यौहार विशेष रूप से अमेरिका, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वे स्थानीय मंदिरों में स्नान‑विधि, दीप‑दान और यमराज की पूजा का आयोजन करके अपनी सांस्कृतिक जड़ें कायम रखते हैं।

नरक चतुर्दशी के दिन किन-किन योग का पालन करना लाभदायक है?

शिववास (शिव की आराधना) और उबटन स्नान के साथ-साथ त्रिवार्ता (तीन बार यमराज का मंत्र) करना शुभ माना जाता है। साथ ही, तिल्ली तेल से मालिश और चिचड़ी‑पत्तियों वाले पानी से स्नान से शारीरिक व आध्यात्मिक शुद्धि होती है।

1 टिप्पणि

Anand mishra

Anand mishra

12 अक्तूबर, 2025 - 02:37 पूर्वाह्न

नरक चतुर्दशी 2025 का समय‑सारिणी देखकर मन में एक अजीब उत्साह भर जाता है, क्योंकि इस बार का मुहूर्त विशेष रूप से विज्ञान‑आधारित पन्ना‑पुस्तकों में भी उल्लेखित है। इस वर्ष का कल्याणकारी प्रतिचक्र हमें याद दिलाता है कि कर्तिकाल में जिस तरह से सूर्य की किरणें उषा के समय ढलती हैं, वही ऊर्जा हमारे अंदर के अंधकार को दूर करती है। अभ्यंग स्नान का शुभ समय 05:11:59‑06:24:37 के बीच है, जिससे 1 घंटे 12 मिनट की अवधि में शुद्ध जल से स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा घटती है। उबटन स्नान, यानी तेल के साथ स्नान करने की परम्परा प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित है, और यह शारीरिक व मानसिक दोनों शुद्धि का काम करता है। इस अवसर पर चिचड़ी‑पत्तियों को जल में डालना भी एक अनूठा उपाय है, जिसके द्वारा नरक की बन्धनभूतियों को दूर किया जाता है। यमराज की पूजा में त्रिवार्ता का मंत्र दोहराना और दिव्य दीप जलाना मन की शुद्धि को और गहरा करता है। इस वर्ष के मुहूर्त में योग‑सत्र, विशेषकर नरक चतुर्दशी योग, भी लोकप्रिय होते जा रहे हैं, जिससे तन‑मन दोनों को संतुलित रखने की कोशिश की जा रही है। कुल मिलाकर यह तिथि न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक भी है, क्योंकि समुदाय में साझा भोजन और सामाजिक संपर्क से एकता का बंधन और मजबूत होता है।

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