राहुल गांधी का रायबरेली को रखने का निर्णय
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने अपने ऐतिहासिक परिवारिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए रायबरेली सीट को रखने का फैसला किया है। रायबरेली सीट पर कांग्रेस का हमेशा से ही मजबूत आधार रहा है और यह सीट गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती है। 1977, 1996, और 1998 के चुनावों को छोड़कर कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार जीत दर्ज की है।
राहुल गांधी ने रायबरेली सीट को लगभग 400,000 वोटों के अंतर से जीता, जो उनके प्रभाव और लोकप्रियता का प्रमाण है। यह जीत भाजपा के लिए एक बड़ा झटका थी, जिसने उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत की उम्मीद की थी। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया और राज्य में एक मजबूत विपक्ष का गठन किया।
प्रियंका गांधी वाड्रा का वायनाड उपचुनाव में उतारना
राहुल गांधी के रायबरेली सीट को रखने के फैसले के बाद उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड सीट पर उपचुनाव में उतरेंगी। यह निर्णय कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है, जिससे पार्टी की इस क्षेत्र में उपस्थिति और मजबूत होगी। वायनाड सीट पर कांग्रेस का मजबूत आधार है और इसे पार्टी ने 2008 में इसके निर्माण के बाद से हर बार जीता है।
प्रियंका गांधी के राजनीतिक करियर में यह बड़ा कदम होगा, जिससे उनके समर्थकों में उत्साह और उर्जा का संचार होगा। वायनाड के उपचुनाव में प्रियंका की उपस्थिति कांग्रेस को मजबूत करने और उनके भविष्य की राजनीति को दिशा देने में मदद करेगी।
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन
2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर 99 सीटें जीतीं, जो पार्टी के लिए एक बड़ा उछाल था। 2019 के चुनावों में कांग्रेस केवल 52 सीटें जीत पाई थी। यह प्रदर्शन पार्टी के लिए एक नई दिशा और नई उम्मीदों का संकेत है।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और इस गठबंधन ने भाजपा के मंसूबों पर ग्रहण लगा दिया। भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर 240 सीटें जीतीं जबक उत्तर प्रदेश में उसे केवल 33 सीटें मिलीं।
राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी का 'पीडीए' रणनीति
राहुल गांधी की लोकप्रियता और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की 'पीडीए' रणनीति (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) विपक्ष की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस रणनीति ने भाजपा की आधारवर्ग की वोटबैंक में सेंध लगाई और उन्हें कमजोर किया।
भविष्य की राजनीति में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन का यह अनुभव उपयोगी साबित हो सकता है। इससे विपक्ष के धमाकेदार प्रदर्शन की संभावना बढ़ जाती है और राष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा मिल सकती है।
प्रियंका गांधी की नई भूमिका
प्रियंका गांधी का वायनाड में चुनावी मैदान में उतरना गांधी परिवार के लिए एक और सफलता की कहानी हो सकती है। सोनिया गांधी पहले से ही राज्यसभा की सांसद हैं, और अब तीन गांधी परिवार के सदस्य संसद में होंगे।
प्रियंका गांधी की नई भूमिका से पार्टी और मजबूत होगी और उनका अनुभव और नेतृत्व कांग्रेस को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा।
वायनाड का रणनीतिक महत्व
वायनाड का क्षेत्री महत्व भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमाओं से लगता है। इससे कांग्रेस को इन क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
प्रियंका के चुनाव लड़ने से पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी और उनके समर्थकों में एक नया जोश पैदा होगा।
कुल मिलाकर, राहुल गांधी का रायबरेली को चुनना और प्रियंका गांधी का वायनाड में लड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ा सामरिक कदम है, जिससे पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में स्थिति और मजबूत हो सकती है।
Narendra chourasia
19 जून, 2024 - 05:08 पूर्वाह्न
ये सब नाटक है! राहुल गांधी ने रायबरेली क्यों रखा? क्योंकि वो वहां से जीतने का एकमात्र तरीका है! और प्रियंका को वायनाड में डालने का मतलब? उनकी निर्वाचित लोकप्रियता का इस्तेमाल करना! ये सब गांधी परिवार का राजनीतिक व्यापार है! जनता को भ्रम में डालना है! और ये गठबंधन? बस एक नकली शक्ति का नाटक!
pradipa Amanta
21 जून, 2024 - 00:26 पूर्वाह्न
इतना बड़ा निर्णय लेने के बाद भी कांग्रेस ने कुछ नहीं सीखा जब तक वो गांधी नाम का ब्रांड चलाएंगे तब तक वो नहीं बदलेंगे
chandra rizky
21 जून, 2024 - 08:42 पूर्वाह्न
अच्छा तो राहुल गांधी ने रायबरेली रखा और प्रियंका वायनाड गए... ये तो बहुत अच्छा हुआ! दोनों अलग-अलग राज्यों में जाकर लोगों को जोड़ रहे हैं। भारत की विविधता को देखकर लगता है कि ये रणनीति वाकई सही है। जहां उत्तर प्रदेश में समाजवादी गठबंधन है, वहीं दक्षिण में प्रियंका का आगमन नई ऊर्जा ला रहा है। 🙏
Rohit Roshan
21 जून, 2024 - 20:40 अपराह्न
ये देखो ना कि राहुल गांधी ने रायबरेली नहीं छोड़ा और प्रियंका ने वायनाड चुना... ये तो बहुत समझदारी से किया गया! एक तरफ ऐतिहासिक आधार बना रखा, दूसरी तरफ नया राज्य जीतने का मौका निकाला। ये गठबंधन भी अच्छा है, अब देखना होगा कि ये दक्षिण में कैसे असर डालता है। उम्मीद है ये रणनीति काम करेगी 😊
arun surya teja
22 जून, 2024 - 23:43 अपराह्न
राहुल गांधी का रायबरेली चुनना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके साथ प्रियंका गांधी वाड्रा का वायनाड में उतरना एक रणनीतिक निर्णय है जो दक्षिण भारत के लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ने का प्रयास कर रहा है। यह दोनों निर्णय एक दूसरे को पूरक हैं और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकता को मजबूत करते हैं।
Jyotijeenu Jamdagni
24 जून, 2024 - 19:10 अपराह्न
राहुल का रायबरेली और प्रियंका का वायनाड... ये तो बिल्कुल गांधी परिवार का फुल स्टैक रणनीति है। एक तरफ इतिहास का बोझ, दूसरी तरफ भविष्य की उम्मीद। और ये गठबंधन? बस एक नहीं, दो राज्यों के बीच एक बातचीत शुरू हो रही है। अब ये देखना है कि क्या ये वाकई वोटों को बदल सकता है या फिर बस एक बड़ा ब्रांडिंग गेम है। कांग्रेस अब जानती है कि बस नाम से नहीं, बल्कि नीतियों से जीतना है।
navin srivastava
25 जून, 2024 - 16:10 अपराह्न
गांधी परिवार को फिर से चुनाव में लाने का ये एक और जाल है जिसमे जनता को भ्रमित किया जा रहा है और भाजपा को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है ये सब बेकार है भारत को नेता चाहिए ना राजवंश
Aravind Anna
26 जून, 2024 - 11:26 पूर्वाह्न
ये तो बहुत बढ़िया है! राहुल ने रायबरेली रखा तो अच्छा हुआ क्योंकि वो वहां के लोगों के दिलों में हैं। और प्रियंका वायनाड में? बस ये देखो कि दक्षिण में कैसे लोग उनका स्वागत करते हैं! ये गठबंधन असली ताकत है! अब देखो जब ये दोनों एक साथ दक्षिण और उत्तर को जोड़ देंगे तो क्या होगा? भाजपा के लिए बड़ा दर्द होगा! 💪
Rajendra Mahajan
28 जून, 2024 - 03:08 पूर्वाह्न
इस रणनीति में कुछ गहराई है। रायबरेली का निर्णय ऐतिहासिक विरासत का सम्मान है, और वायनाड का चुनाव भविष्य की ओर एक कदम है। यह दोनों को जोड़ने की कोशिश कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये बस नाम का राजनीति है या वास्तविक सामाजिक बदलाव की ओर जा रहा है? क्या वोटर्स अब बस नाम नहीं, बल्कि नीतियों को देख रहे हैं? ये बात अभी तक अनसुलझी है।
ANIL KUMAR THOTA
28 जून, 2024 - 23:35 अपराह्न
राहुल गांधी ने रायबरेली रखा और प्रियंका वायनाड गए ये ठीक है अब देखते हैं लोग क्या कहते हैं
VIJAY KUMAR
30 जून, 2024 - 16:48 अपराह्न
अरे भाई... ये सब तो बस एक बड़ा नाटक है! राहुल ने रायबरेली क्यों रखा? क्योंकि वो वहां से जीत नहीं सकता तो बस नाम लगा दिया! प्रियंका को वायनाड में डाला? ये तो दक्षिण में भाजपा के खिलाफ एक जाल है! और ये गठबंधन? बस एक अस्थायी शादी है जो चुनाव खत्म होते ही टूट जाएगी! ये सब बस टीवी पर चलने वाला ड्रामा है... जिसमें लोगों को भ्रम में डाला जा रहा है 😒🎭 #GandhiDrama #FakeOpposition