जब किसी को जाना पड़ता है तो परिवार, दोस्त और समाज सब मिलकर कुछ खास रिवाज निभाते हैं। यही रिवाज़ ‘अंतिम सांस्कार’ कहलाते हैं। इस टैग पेज पर हम वही बातों को आसान भाषा में बता रहे हैं – क्या करना चाहिए, कौन‑से नियम हैं और हाल की खबरें क्या कहती हैं। अगर आप अभी भी समझ नहीं पा रहे कि आगे क्या कदम उठाएँ, तो नीचे पढ़िए, सब साफ़ हो जाएगा।
सबसे पहला काम है मृत्यु की पुष्टि और रिपोर्ट तैयार करना। सरकारी दस्तावेज़ों में यह जरूरी होता है, इसलिए अस्पताल या पुलिस से प्रमाणपत्र लेना न भूलें। फिर परिवार को शव धुलाई, कफ़निंग और अंत्यक्रिया का तय‑तारीख तय करनी होती है। अक्सर लोग इस दौरान दाह संस्कार या जलानुसार चयन करते हैं – दोनों की प्रक्रिया अलग‑अलग है पर मुख्य बात यह है कि सभी आवश्यक औषधियों व वस्तुओं की व्यवस्था पहले से कर लेनी चाहिए।
दूसरा चरण है रीत‑रिवाज़ों का पालन। कई क्षेत्रों में अंतिम संस्कार के बाद 13 दिनों तक शोक अवधि रखी जाती है, जबकि कुछ जगहें केवल 3‑5 दिन मानती हैं। इस दौरान परिवार को सामाजिक कार्यक्रम से दूर रहना चाहिए और खाने‑पीने की सावधानी बरतनी चाहिए।
पिछले महीने एक छोटे शहर में अचानक हुई मौत के बाद, स्थानीय प्रशासन ने बिना उचित अनुमति के जलानुसार अंत्यसंस्कार करने वाले कई परिवारों को नोटिस जारी किया। यह केस इस बात पर प्रकाश डालता है कि आज‑कल सरकारी नियमों की जानकारी न होना बड़ा जोखिम बन सकता है। दूसरी तरफ़, एक बड़े शहर में COVID‑19 से जुड़े मृतकों के लिए ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम शुरू हुआ, जिससे लोग घर बैठे ही अंतिम संस्कार की तारीख तय कर सकते हैं।
इन घटनाओं से सीख मिलती है कि नियमों को समझना और सही समय पर मदद लेना बहुत जरूरी है। कई NGOs ने भी इस क्षेत्र में सहायता प्रदान करने के लिए मुफ्त काउंसलिंग और दस्तावेज़ीकरण सेवा शुरू की है, जिससे गरीब परिवारों का बोझ कम हो रहा है।
अगर आप या आपका कोई परिचित अभी ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, तो सबसे पहले स्थानीय पंजीकृत फ्यूरर (फायर विभाग) या नगर निगम के अंत्यसंस्कार विभाग से संपर्क करें। वे आपको आवश्यक फ़ॉर्म, शुल्क और समय‑सीमा की पूरी जानकारी देंगे। साथ ही, अगर आप धार्मिक रिवाज़ों का पालन चाहते हैं, तो अपने पुजारी या समुदाय के बड़े बुज़ुर्ग से सलाह ले सकते हैं – अक्सर उनका अनुभव आपके काम को आसान बना देता है।
अंतिम सांस्कार एक कठिन समय हो सकता है, पर सही जानकारी और सहयोग से इसे सहज बनाया जा सकता है। इस पेज पर हम लगातार नई खबरें, उपयोगी टिप्स और विशेषज्ञों की राय जोड़ते रहेंगे, ताकि आप कभी भी अंजान न रहें। पढ़ते रहें, सीखते रहें और जरूरत पड़ने पर तुरंत कदम उठाएँ।
पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया। ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर के चलते उनकी मृत्यु हुई। वे हाल ही में अस्पताल से लौटे थे और ईस्टर आयोजन में भी हिस्सा लिया था। उनके निधन की पुष्टि परंपरागत ढंग से वेटिकन में हुई। अंतिम संस्कार में उनके द्वारा लाए गए बदलाव लागू किए जाएंगे।
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