जब हम भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु के द्वादश अवतारों में से एक, प्रेम, ज्ञान और कर्तव्य का प्रतीक. Also known as गोपीनाथ को देखते हैं, तो उनकी भूमिका जीवन के हर पहलू में झलकती है। उनका जन्म मदुराई में हुआ, लेकिन उनका प्रभाव बृहद्देश तक फैला। उन्होंने पहाडी गाथाओं से लेकर राजनीतिक मामलों तक सबको एक ही सिद्धांत – ‘धर्म‘ – के इर्द‑गिर्द जोड़ा। यहाँ आप पढ़ेंगे कि कैसे उनका मंत्र भगवान श्रीकृष्ण आज भी लाखों लोगों के दिल में जीवित है।
उनकी सबसे प्रसिद्ध शिक्षा भगवद गीता, एक दिव्य ग्रंथ जहाँ कृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य और आत्मा के रहस्य सिखाए में मिलती है। गीता का प्रत्येक अध्याय जीवन के विभिन्न चुनौतियों का समाधान पेश करता है, जैसे संघर्ष, असफलता और नैतिक दुविधा। इस ग्रंथ में कृष्ण ने कहा, “कर्म करो, फल की चिंता मत करो” – जो आज के युवा उद्यमियों और छात्रों को भी प्रेरित करता है। गीता को समझना आसान नहीं, पर इसे रोज़मर्रा की बातें बनाकर अपनाना संभव है।
भगवान श्रीकृष्ण हृषीकेश, विष्णु के शाश्वत रूप, जिसके द्वार एक झुंझुमा शिविर की तरह है, और जो सभी समस्याओं का समाधान होता है के नाम से भी जाने जाते हैं। हृषीकेश रूप में वे दैवीय शांति और ऊर्जा का स्रोत बनते हैं, जहाँ हर समस्या का समाधान उनके “झनकार” में सिमटा रहता है। इन दो नामों के बीच का संबंध यह दर्शाता है कि श्रीकृष्ण साधारण मानव नहीं, बल्कि ब्रह्मा के सर्वव्यापी शक्ति के अवतार हैं। इसी क्रम में कृष्ण लीला, किशोरावस्था से लेकर महाभारत तक के सभी घटनाक्रम, जिसमें उनके लीलात्मक कार्य और शिक्षाएँ शामिल हैं उन्हें एक जटिल परन्तु आकर्षक व्यक्तित्व बनाते हैं; बचपन की गोपियों के साथ खेल, माखन चोरी, कुरुक्षेत्र की लड़ाई – सबकी एक ही बुनियाद ‘धर्म’ है।
इन तीन प्रमुख पहलुओं – भगवद गीता, हृषीकेश, और कृष्ण लीला – को समझने से हमें यह स्पष्ट होता है कि भगवान श्रीकृष्ण सिर्फ पौराणिक कथा नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन मार्गदर्शन भी हैं। आगे आप इस टैग पेज पर विभिन्न लेख, समाचार और विश्लेषण पाएँगे जो इन सभी आयामों को विस्तारित करते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में हों, इतिहास की गहराई जानना चाहते हों, या दैनिक जीवन में उनके उपदेश लागू करना चाहते हों, यहाँ की सामग्री आपको वही ठोस जानकारी देगी जिसकी आप期待 रखते हैं।
नरक चतुर्दशी 2025 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, दिल्ली में अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त 05:11‑06:24 है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के नरकासुर वध की स्मृति और यमराज की पूजा से जुड़ा है।
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