मनमोहन सिंह – राजनीति, आर्थिक सुधार और भारत की दिशा

जब हम मनमोहन सिंह, भारत के 13वें प्रधानमंत्री, अर्थशास्त्री और जमीनी राजनीति के अनुभवी नेता की बात करते हैं, तो उनका सफर दो दशकों की आर्थिक और सामाजिक बदलावों से जुड़ा है। साथ ही यूपीए, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन, जो 2004‑2014 तक सत्ता में रहा और आर्थिक liberalisation, 1991 के बाद भारत की मुक्त बाजार नीति इनकी कहानी को समझने में मदद करते हैं। यह त्रिपूट (मनमोहन सिंह ↔ यूपीए ↔ आर्थिक liberalisation) दर्शाता है कि नीतियों का आपसी जुड़ाव कैसे राष्ट्रीय विकास को दिशा देता है।

मनमोहन सिंह के बारे में जानना कई कारणों से ज़रूरी है—वह सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारशील आर्थिक रणनीतिकार भी थे। शुरुआती करियर में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, जैसे IMF और विश्व बैंक, के साथ काम किया, जिससे उन्हें वैश्विक आर्थिक तंत्र की गहरी समझ मिली। इस ज्ञान ने बाद में भारतीय बजट और राजकोषीय नीति को नई दिशा दी, जहाँ उन्होंने धारा 100‑प्रति‑सेंटरल टैक्स जैसी पहल को अपनाया, जिससे फिस्कल डिफ़िसिट को घटाया गया।

प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके प्रमुख कामों में ग्रामीण बुनियादी ढाँचा, सड़कों और रेल मार्गों का विस्तृत नेटवर्क बनाना शामिल था। राष्ट्रीय राजमार्ग योजना (NHAI) और स्वायत्त रेल परिवहन पहल ने मौसम‑सौंदर्य से लेकर आर्थिक उत्पादन तक कई क्षेत्रों में सुधार लाए। इसी दौरान उन्होंने "डिजिटल इंडिया" जैसी तकनीकी पहल को बढ़ावा दिया, जिससे ग्रामीण इलाकों में तेज़ इंटरनेट पहुँच संभव हो सका और स्टार्ट‑अप इकोसिस्टेम को ठोस नींव मिली।

समाज‑समर्थन में उनका फोकस स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी रहा। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) को सुदृढ़ किया, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट आई। शिक्षण के क्षेत्र में उन्होंने नई पाठ्यक्रम संशोधन, कौशल विकास पाठ्यक्रम और सर्वविद्यमान विद्यालयों में कंप्यूटर लैब लगाने की योजना को लागू किया। इन प्रयासों ने युवा वर्ग को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए और ग्रामीण‑शहरी असमानता को घटाया।

बिल्कुल सब कुछ सहज नहीं रहा; मध्य-नौकरी बाजार में मंदी, भ्रष्टाचार के कई केस और एनसीआरआर के बाद की चुनौतियाँ उनके कार्यकाल में आईं। लेकिन उन्होंने इन कठिनाइयों को पार करने के लिए पारदर्शी निगरानी बोर्ड, सुलभ सूचना पोर्टल और सार्वजनिक उत्तरदायित्व प्रणाली स्थापित की। इससे जनता को सरकारी कामकाज की स्पष्ट झलक मिली और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास बढ़ा।

आज भी उनके समय की आर्थिक नीतियाँ, जैसे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को आसान बनाना और सेवा क्षेत्र को खोलना, भारत के निर्यात‑उन्मुख मॉडल में आधार बनाते हैं। कई युवा उद्यमी उनका नाम सुनते ही अपने व्यवसाय की शुरुआत के लिए प्रेरणा लेते हैं। साथ ही, उनका शांतिपूर्ण विदेशी नीति, विशेषकर पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय समझौतों ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत किया।

नीचे आपको इस टैग के तहत एकत्रित लेखों की सूची मिलती है, जहाँ आप मनमोहन सिंह की विभिन्न पहल, उनके शासनकाल के प्रमुख निर्णय और उनके प्रभाव को गहराई से पढ़ सकते हैं। इन लेखों में आर्थिक आंकड़े, सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक रणनीति के विशिष्ट उदाहरण हैं—जिन्हें पढ़कर आप समझेंगे कि कैसे एक नेता देश की दिशा को पुनः लिख सकता है।

मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी: कैम्ब्रिज के प्रति सम्मान और व्यक्तिगत मूल्यों का प्रतीक

प्रकाशित 2006 के समारोह में डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी पसंदीदा रंग की पगड़ी का कारण बताया – यह कैम्ब्रिज में बिताए दिनों की याद है। नीला रंग शिख धर्म में शांति और बुद्धि का प्रतीक है, और उनकी पगड़ी ने नेतृत्व, स्थिरता और विनम्रता को दर्शाया। इस लेख में पगड़ी के इतिहास, शैक्षणिक जुड़ाव और राजनीतिक प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण है।

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