क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक भारत में ही था? नालंदा विश्वविद्यालय, जो बिहार के नालंदा जिले में स्थित है, यही गौरव रखता है। 5वीं सदी ईस्वी में स्थापित यह संस्थान बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना और पूरे एशिया से छात्र यहाँ पढ़ने आते थे। अब हम आपको इस महान शैक्षणिक स्थल की कहानी, उसकी वर्तमान स्थिति और ताज़ा ख़बरें एक ही जगह पर देंगे।
इतिहासकारों के अनुसार नालंदा कोरविन्ध में 425 ईस्वी में राजानु कश्यप ने स्थापित किया था। शुरुआती दिनों में यह सिर्फ बौद्ध शिक्षण केंद्र था, परन्तु समय के साथ यहाँ विज्ञान, गणित, तत्त्वशास्त्र और भाषा‑विज्ञान जैसी शाखाएँ भी जोड़ दी गईं। इस विश्वविद्यालय में 10 000 से अधिक छात्र और 200 से अधिक शिक्षक काम करते थे। कई महान विद्वानों ने नालंदा को अपने ज्ञान का स्रोत माना, जैसे बौद्ध धर्म के प्रवक्ता अंशुमानिक और गणितज्ञ भास्कराचार्य।
समय‑समय पर विभिन्न आक्रमणों की वजह से यह संस्थान क्षति झेला, लेकिन 12वीं सदी में पुनः स्थापित हुआ। फिर भी 1193 में मोहम्मद घोरी के हमले ने इसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। तब से नालंदा का मूल रूप समाप्त हो गया, परंतु उसकी विरासत आज तक जीवित है।
वर्तमान में बिहार सरकार ने नालंदा के प्राचीन ध्वंसावशेषों को संरक्षण‑सुरक्षा के तहत एक नई शैक्षणिक संस्थान में बदलने की योजना बनाई है। इस परियोजना के हिस्से के तौर पर पुरातत्व विभाग ने कई उत्खनन किए हैं, जिससे कई महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ और पाषाण लिपि मिलीं। इन खोजों से नालंदा का आकार और संरचना अब स्पष्ट हो रहा है।
अभी हाल ही में सरकार ने कहा है कि अगले दो साल में एक आधुनिक परिसर बनाया जाएगा जहाँ विज्ञान‑तकनीक, बौद्ध अध्ययन और भारतीय इतिहास पर केंद्रित पाठ्यक्रम चलेंगे। इस नई पहल को लेकर छात्रों और शिक्षकों दोनों ने उत्साह दिखाया है। कई निजी संस्थान भी नालंदा के नाम से ऑनलाइन डिग्री कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं, जिससे दूर‑दराज़ क्षेत्रों में रहने वाले युवा भी इस धरोहर से सीख सकें।
साथ ही, पर्यटन विभाग ने नालंदा को एक प्रमुख दर्शनीय स्थल बनाने की योजना बनायी है। अब यहाँ के पुरातात्विक स्थलों पर गाइडेड टूर, सांस्कृतिक कार्यक्रम और वार्षिक बौद्ध सम्मलेन आयोजित होते हैं। यह न सिर्फ इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी नया जीवन लाता है।
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तो अगली बार जब आप किसी प्राचीन विश्वविद्यालय के बारे में बात करें, तो नालंदा को याद रखें। यह केवल एक पुरानी इमारत नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान‑परम्परा की जीवित धरोहर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने एक पटिका का अनावरण किया और एक पौधा भी लगाया। समारोह में विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और 17 देशों के राजदूत भी उपस्थित थे। मोदी ने इस नए परिसर को युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
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