नरक चतुर्दशी – पाप मुक्ति का पावन व्रत

When exploring नरक चतुर्दशी, देवता श्मशान में पाप को धूमिल करने के लिये मनाए जाने वाला वैदिक व्रत, also known as नरकट्यागति, many लोगों को इसके पावन व्रत, उपवास, तुलसी जल, अन्ना से जुड़ा धार्मिक अनुष्ठान और हिंदू पौराणिक कथा, नरक में शत्रु दैत्यों से लड़ने की कहानियां के बारे में समझना चाहिए। यह व्रत नरक चतुर्दशी को अंतिम श्मशान पूजा के साथ समाप्त करता है, जिससे आत्मा शुद्ध हो जाती है।

नरक चतुर्दशी का इतिहास चार दिव्य युगों में खोजा जाता है, विशेषकर द्वापर युग में दैत्य-देवताओं की महायुद्ध की कहानियों से जुड़ा है। इस दिन को विष्णुजी ने नरक के दैत्यों को पराजित करने के लिए विशेष जप पढ़े, इसलिए इसे “नरक पराजय” के रूप में भी माना जाता है। इस पौराणिक पृष्ठभूमि के कारण पूजा में श्मशान के द्वार पर दीप जलाना, क्रीड़ा‑भंजन का त्याग और पवित्र जल से स्नान करना अनिवार्य है। हर साल इस दिन श्रद्धालु अपने घरों में “त्रिकाली धूप” जलाकर अंधविश्वासों को दूर करने का प्रयास करते हैं, जिससे पाप के बोझ को हल्का किया जा सके।

व्रत के नियम स्पष्ट हैं: सुबह उठते ही कोबाल्ट की थाली पर लुप्तिमा (नीली) चंदन का धूप जलाए, फिर कच्चा ७‑गुना अनाज, फल और दही से तैयार “परस पचा” खाए। भाग्यशाली लोग इसी दिन के दोपहर में केवल फल‑जूस या घी‑हल्दी का सेवन करते हैं, जबकि रात के खाने में कच्चे दाल‑भात से परहेज होता है। इस उपवास को ध्येय के साथ रखे तो मन में शांति आती है और शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। पोषण विज्ञान के अनुसार, हल्दी‑घी से बने हल्के व्यंजनों से एंटी‑ऑक्सीडेंट बढ़ते हैं, जो पाप‑मुक्ति के प्रतीक आध्यात्मिक प्रभाव को शारीरिक रूप में भी सुदृढ़ बनाते हैं।

शाम के समय श्मशान की सफ़ाई और “ट्रीटेड जल” से स्नान करना इस व्रत की सबसे महत्वपूर्ण विधि है। धूप, नीले पान या तुलसी से बनी पवित्र धुएँ वाली सामग्री को श्मशान के किनारे जलाकर प्रतिकूल ऊर्जा को दूर किया जाता है। फिर संध्या आरती में “तुलसी‑गुड़” के मिश्रण को जलाकर अर्घ्य करने से पाप की सच्ची सफ़ाई होती है। यह क्रिया न केवल आध्यात्मिक शुद्धि देती है बल्कि समुदाय में सहयोग की भावना भी बढ़ाती है, क्योंकि कई लोग मिलकर इस काम को अंजाम देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान “श्रीहनुमान चालीसा” का पाठ या “नरक चतुर्दशी” की कथा सुनना लाभदायक माना जाता है, क्योंकि कहानियों में पाप‑मुक्ति की शक्ति स्पष्ट होती है।

यदि आप इस वर्ष का नरक चतुर्दशी मनाने की सोच रहे हैं, तो ऊपर बताए गए नियमों को अपने दैनिक कार्यक्रम में शामिल करें। अब आप इस पवित्र दिन के लिए तैयार हैं, चाहे घर में अकेले हों या परिवार के साथ। अगले भाग में हम आपके लिये इस व्रत से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, लोकप्रिय रिवाज और विशेषज्ञों के सुझाव लाएंगे, ताकि आप नरक चतुर्दशी को पूरी श्रद्धा और समझ के साथ मनाएँ। आगे की सामग्री में मिलेंगे विस्तृत विश्लेषण, अनुभव शेयर और उत्तर‑प्रेक्षकों की राय—सब कुछ आपके ज्ञान को गहरा करने के लिये।

नरक चतुर्दशी 2025: 20 अक्टूबर का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नरक चतुर्दशी 2025 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, दिल्ली में अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त 05:11‑06:24 है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के नरकासुर वध की स्मृति और यमराज की पूजा से जुड़ा है।

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