अगर आप रोज़मर्रा की जिंदगी में सफ़ाई के मुद्दों को लेकर जिज्ञासु हैं तो यह पेज आपके लिए बना है। स्वच्छता सर्वेक्षण भारत सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जाता है ताकि जनता की स्वास्थ्य स्थिति, गंदगी‑से‑जुड़ी समस्याएँ और सुधार के क्षेत्रों का पता चल सके। यहाँ हम सरल शब्दों में समझेंगे कि ये सर्वेक्षण कैसे काम करता है, हाल के आंकड़े क्या कह रहे हैं और आप इन जानकारियों को अपने रोज़मर्रा के निर्णयों में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।
सरकारी विभाग जैसे स्वच्छ भारत मिशन या स्थानीय नगरपालिका अक्सर बड़े पैमाने पर डेटा इकट्ठा करते हैं – घर‑घर जाकर कचरा प्रबंधन, पानी की सफ़ाई और शौचालय सुविधाओं की स्थिति देखी जाती है। इस जानकारी से यह पता चलता है कि कौन‑से क्षेत्र में साफ़‑सफ़ाई के उपाय काम कर रहे हैं और कहाँ अभी भी गड़बड़ी बाकी है। परिणामों को सार्वजनिक किया जाता है ताकि नागरिक स्वयं देख सकें कि उनका इलाका किस रैंक पर है, और क्या सुधार की ज़रूरत है।
उदाहरण के तौर पर, हाल ही में उत्तर प्रदेश के 39 जिलों में तेज़ बारिश से जुड़ी स्वच्छता‑संबंधी चेतावनी जारी हुई थी। ऐसी परिस्थितियों में जलजमाव और कचरा जमा होने की संभावनाएँ बढ़ती हैं, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने तुरंत सफाई टीमों को तैनात किया। यह जानकारी भी सर्वेक्षण डेटा के आधार पर तैयार होती है।
पिछले महीने प्रकाशित रिपोर्ट में दिखाया गया कि कई शहरों ने शौचालय निर्माण लक्ष्य को पार कर लिया, लेकिन कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी खुले में शौच करने की समस्या बनी हुई है। इसी दौरान, एक विशेष सर्वेक्षण ने बताया कि इलेक्ट्रिक स्कूटर जैसे नई तकनीकों का बढ़ता उपयोग कचरा‑प्रबंधन पर असर डाल रहा है – बैटरी रीसाइक्लिंग के उपायों को तेज़ी से लागू करना आवश्यक हो गया है।
स्वच्छता सर्वेक्षण की मदद से हमें यह भी पता चलता है कि सार्वजनिक जगहों में स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ रही है। जैसे एक हालिया रिपोर्ट ने दिखाया कि दिल्ली‑एनसीआर में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, परन्तु तुरंत साफ़‑सफ़ाई और आपदा राहत टीम की कार्रवाई से लोग सुरक्षित रहे। ऐसा डेटा स्थानीय प्रशासन को भविष्य की तैयारी में मदद करता है।
इसी तरह, शिक्षा संस्थानों में भी स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणामों का प्रयोग किया जा रहा है। बहजॉय कॉलेज ने स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन पर आयोजित रंगोली‑राखी प्रतियोगिताओं को सफ़ाई की नई मानकों के अनुसार व्यवस्थित किया, जिससे छात्रों को साफ़-सुथरे माहौल में भाग लेने का अवसर मिला।
अगर आप व्यक्तिगत तौर पर स्वच्छता सर्वेक्षण से जुड़ी खबरें चाहते हैं तो यहाँ कुछ आसान कदम हैं:
सारांश में, स्वच्छता सर्वेक्षण न सिर्फ सरकार के लिए डेटा संग्रह का माध्यम है बल्कि आम जनता को भी अपनी स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों से अवगत कराता है। नियमित रूप से इस जानकारी को देख कर आप अपने पड़ोस की सफ़ाई पहल में भाग ले सकते हैं या सरकारी योजनाओं के सही उपयोग में मदद कर सकते हैं। आगे भी हम इस टैग पेज पर नई‑नई रिपोर्ट, विश्लेषण और व्यावहारिक टिप्स डालते रहेंगे, इसलिए इसे बुकमार्क करना न भूलें!
इंदौर लगातार आठवीं बार स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में भारत का सबसे स्वच्छ शहर बना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में विजेताओं को सम्मानित किया। इस बार नवी मुंबई और सूरत ने भी टॉप में जगह बनाई जबकि हरियाणा का करनाल पहली बार चर्चा में रहा।
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