जब आप टैक्स ऑडिट, सरकार द्वारा आपके आय‑कर एवं जीएसटी रिटर्न की विस्तृत जाँच प्रक्रिया. इसे कभी‑कभी कर ऑडिट भी कहते हैं, तो यह केवल कागज़ी जाँच नहीं, बल्कि आपके वित्तीय रिकॉर्ड की सटीकता की परीक्षा है। यही कारण है कि हर व्यवसायी को इस प्रक्रिया की तैयारी करनी चाहिए।
टैक्स ऑडिट की प्रभावशीलता आयकर, वर्ष के अंत में व्यक्तिगत व कॉर्पोरेट आय पर लगने वाला प्राइमरी टैक्स और जीएसटी, वस्तु एवं सेवा कर जो हर लेन‑देन पर लागू होता है दोनों के नियमों के पालन से जुड़ी होती है। सरल शब्दों में, टैक्स ऑडिट आयकर और जीएसटी के नियमों को सत्यापित करता है (टैक्स ऑडिट → आयकर → जीएसटी)। साथ ही, यह वित्तीय रिपोर्ट की विश्वसनीयता बढ़ाता है (टैक्स ऑडिट → वित्तीय रिपोर्ट → विश्वसनीयता) और लेखा परीक्षक की भूमिका को प्रमुख बनाता है (टैक्स ऑडिट → लेखा परीक्षक → जिम्मेदारी)।
पहला कदम है लेखा परीक्षक, वित्तीय दस्तावेजों की जाँच और सत्यापन करने वाला प्रमाणित पेशेवऱ चुनना। उनका काम न सिर्फ दस्तावेज़ों को व्यवस्थित करना, बल्कि संभावित जोखिम क्षेत्रों की पहचान करना है। दूसरा, सभी करदाता, वह व्यक्ति या कंपनी जो करों का भुगतान करता है को अपने लेन‑देन की डिजिटल और कागज़ी फ़ाइलें, जैसे चालान, बैंक स्टेटमेंट, इनवॉइस, और बही‑खाता, को एक जगह रखना चाहिए। तीसरा, आयकर एवं जीएसटी के प्रमुख फॉर्म (आईटीआर‑1, आईटीआर‑2, जीएसटी रिटर्न) को समय पर भरना और सही आंकड़ों के साथ जमा करना आवश्यक है। अंतिम चरण में, ऑडिट नोटिफिकेशन मिलने पर तुरंत अपने लेखा परीक्षक को सूचना देना और निर्धारित समय में सभी दस्तावेज़ उपलब्ध कराना चाहिए।
इन तैयारियों के साथ, यदि ऑडिट में कोई विसंगति पाई जाती है, तो सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए सीमित समय दिया जाता है। अक्सर छोटे‑छोटे अंकत्रण ही प्रमुख कारण बनते हैं, इसलिए नियमित रूप से खातों को अपडेट रखना फायदेमंद है। टैक्स ऑडिट सिर्फ एक नियामकीय आवश्यकता नहीं, बल्कि आपके व्यवसाय के आर्थिक स्वास्थ्य को दर्शाने का एक विश्वसनीय तरीका भी है। नीचे आप विभिन्न समाचारों में टैक्स ऑडिट से जुड़ी नयी नीतियों, केस स्टडी, और विशेषज्ञों की सलाह देख पाएँगे, जो आपके कर प्रक्रियाओं को और भी सुगम बना सकते हैं.
CBDT ने FY 2024‑25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 30 सितम्बर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। इस कदम से ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं को राहत मिली है, जबकि ITR filing की तिथि अभी भी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि बहु‑स्थिति के कारण आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख भी 30 नवंबर तक बढ़ाई जा सकती है। विभिन्न करदाता वर्गों के लिये अलग‑अलग डेडलाइन निर्धारित की गई है।
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