आप अक्सर इस समिट का नाम सुनते होंगे, लेकिन असल में यह क्या है? सरल शब्दों में कहें तो दुनिया के कई देशों का एक बड़ा मीटिंग है जहाँ आर्थिक सहयोग, सुरक्षा और जलवायु जैसे मुद्दे पर चर्चा होती है। भारत भी इन बैठकों में सक्रिय भूमिका निभाता है, इसलिए इस टैग पेज पर आपको संबंधित सभी अपडेट मिलेंगे।
पिछले कुछ महीनों में कई बार इस सम्मेलन के एजेंडा बदलते रहे हैं। सबसे बड़ी चर्चा अक्सर व्यापार समझौतों और तकनीकी साझेदारी की होती है। क्यूड (क्वाड) पहल, भारत‑अमेरिका‑जापान‑ऑस्ट्रेलिया के बीच मिलकर सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रोग्राम को भी इस मंच पर लेकर आएँगे। साथ ही जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए हर देश को अपने कार्बन लक्ष्य घोषित करने की जरूरत है – यही बात अक्सर समिट में सुनते हैं।
भारत की विदेश नीति ने हाल ही में ‘इंडो‑पैसिफिक स्ट्रैटेजी’ पर ज़ोर दिया है, जिससे समुद्री सुरक्षा और आर्थिक विकास दोनों को बढ़ावा मिलेगा। इस दिशा में कई समझौते हुए हैं – जैसे कि भारत‑अमेरिका के बीच मैन्युफैक्चरिंग सहयोग या जापान‑भारत के तकनीकी प्रोजेक्ट्स। इन सबको आप यहाँ एक ही जगह देख सकते हैं।
समिट से जुड़ी सबसे बड़ी ख़बरों में मॉदी‑ट्रम्प बैठक शामिल है, जहाँ दोनों नेताओं ने क्वाड पहल को मजबूत करने की घोषणा की थी। इस बिंदु पर कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह दक्षिण एशिया के लिए सुरक्षा माहौल को स्थिर करेगा।
खेल की बात करें तो भारत‑पाकिस्तान के क्रिकेट मैच भी इस सम्मेलन के दौर में हुए, जहाँ भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और दर्शकों को रोमांचक खेल देखने को मिला। इसी तरह महिलाओं के यू-19 विश्व कप में भारत ने इंग्लैंड को हराकर फाइनल का राउंड तय किया – यह जीत देश की युवा प्रतिभा को दिखाती है।
वित्तीय बाजारों पर भी असर देखा गया। क्वाड देशों की साझेदारी से भारतीय स्टॉक्स में निवेश बढ़ा और कई कंपनियों के शेयर प्राइस उछले। साथ ही, इंट्रानेशनल शैपर्डिंग जैसे विषयों को लेकर चर्चा हुई, जिससे आर्थिक नीति बनाते समय नई दिशा मिली।
भू-राजनीति पर भी समिट ने असर डाला। अफगानिस्तान‑दक्षिण अफ्रीका के बीच पहला क्रिकेट टूर तय हुआ, जिससे दोनों देशों के बीच खेल और संस्कृति का आदान‑प्रदान बढ़ा। इस तरह की घटनाएं दिखाती हैं कि शिखर सम्मेलन सिर्फ राजनैतिक नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी असर डालता है।
पर्यावरणीय पहल में भारत ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं को तेज करने की योजना पेश की, जिससे जलवायु लक्ष्य पूरे हो सकें। यह कदम न केवल घरेलू उद्योग को फायदा देगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा भी जीत लेगा।
यदि आप समिट से जुड़े हर छोटी‑बड़ी खबर पढ़ना चाहते हैं तो इस टैग पेज पर स्क्रॉल करके सभी लेख देख सकते हैं – चाहे वह राजनीति हो, खेल हो या व्यापार। हमने प्रत्येक पोस्ट को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया है, ताकि आपको ज़रूरी जानकारी तुरंत मिल सके।
आख़िरकार, वैश्विक दक्षिण शिखर सम्मेलन भारत के लिए अवसर और चुनौती दोनों लेकर आता है। इस मंच पर आप जो भी समाचार पढ़ते हैं, वह देश की दिशा तय करने में मदद करता है। इसलिए यहाँ बने रहें, हर अपडेट से जुड़ें और समझें कि विश्व राजनीति आपके रोज़मर्रा के जीवन को कैसे प्रभावित करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 अगस्त 2024 को वर्चुअल रूप से आयोजित तीसरे 'वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन' में कहा कि तनाव और संघर्ष सभी देशों के लिए एक गंभीर समस्या है। उन्होंने निष्पक्ष और समावेशी वैश्विक शासन की आवश्यकता पर जोर दिया और 'ग्लोबल डेवलपमेंट कॉम्पैक्ट' का प्रस्ताव रखा, जिसमें 2.5 मिलियन अमरीकी डॉलर के विशेष कोष की घोषणा की गई।
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