जब बात वित्तीय दायित्व की आती है, तो सबसे पहला शब्द दिमाग में आता है आयकर, व्यक्तियों और कंपनियों की आय पर सरकार द्वारा लगाया गया कर. Also known as इनकम टैक्स, यह हर साल के वित्तीय वर्ष के आधार पर गणना होता है और देश की सार्वजनिक सेवाओं के लिए फंड देता है. आयकर का दायरा इतना बड़ा है कि छोटे फ्रीलांसर से लेकर बड़े कॉर्पोरेट तक सभी को इसका सामना करना पड़ता है. इसलिए इस टैग पेज में हम आयकर से जुड़ी सबसे प्रासंगिक जानकारी एक साथ लाते हैं.
सबसे पहले समझते हैं आयकर रिटर्न, वित्तीय वर्ष की आय और टैक्स देनदारी को दर्शाने वाला फॉर्म. रिटर्न दाखिल करना आयकर का मुख्य कार्य है; बिना रिटर्न के सरकार को आपकी आय का पता नहीं चलता और आप पेनल्टी का शिकार हो सकते हैं. रिटर्न फाइल करने के कई तरीके हैं – पारम्परिक कागज़ी फ़ॉर्म, ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल ऐप. यदि आप पहली बार रिटर्न भर रहे हैं, तो पहले अपने PAN, फ़ॉर्म 16 और बैंक विवरण को इकट्ठा कर लें.
इसी तरह टैक्स स्लैब, वर्ष के आधार पर अलग‑अलग आय स्तरों पर लागू कर की दरें भी आयकर की गणना को प्रभावित करती हैं. 2024‑25 के स्लैब में 2.5 लाख तक की आय पर कोई कर नहीं, 2.5‑5 लाख पर 5%, और 10 लाख से ऊपर की आय पर 30% तक की दरें हैं. ये स्लैब समझने से आप अपनी टैक्स प्लानिंग कर सकते हैं, जैसे कि निवेश या बीमा प्रीमियम के माध्यम से कर बचत. स्लैब बदलते ही रिटर्न में भी बदलाव होना चाहिए, इसलिए हमेशा नवीनतम स्लैब की जाँच करें.
अब बात करते हैं ई-फाइलिंग, इंटरनेट के ज़रिए आयकर रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया. ई-फाइलिंग तेज, सुरक्षित और रसीद‑जैसी पुष्टि प्रदान करती है, जिससे future audits में मदद मिलती है. रिवर्स कैप्चर, ऑटो‑फिल और भुगतान विकल्प जैसी सुविधाएँ आपको समय बचाती हैं. अगर आप मोबाइल पर काम करना पसंद करते हैं, तो आयकर विभाग का ‘आयकर पेयर’ ऐप डाउनलोड करके तुरंत रिटर्न भेज सकते हैं.
टैक्स प्लानिंग को सही ढंग से लागू करने के लिए डिडक्शन और इंक्लूजन दोनों को देखना ज़रूरी है. सेक्शन 80C में जीवन बीमा, पीपीएफ, ELSS आदि की निवेश पर अधिकतम 1.5 लाख की छूट मिलती है. स्वास्थ्य बीमा, शिक्षा लोन इंटरेस्ट, होम लोन प्रिंसिपल आदि के लिए भी अलग‑अलग सेक्शन में छूट उपलब्ध है. इन छूटों को समझ कर आप अपनी टैक्स देनदारी को काफी कम कर सकते हैं, बशर्ते समय पर दस्तावेज़ तैयार रखें.
आयकर विभाग, जो इस पूरे सिस्टम की निगरानी करता है, लगातार नई गाइडलाइन्स और अपडेट्स जारी करता रहता है. पिछले कुछ महीनों में विभाग ने “आकाउंट एग्रीगेटर” प्रणाली को सशक्त किया है, जिससे सभी स्रोतों से आय को एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर देखा जा सके. इससे टैक्स एवेज़न को रोकने में मदद मिलती है और करदाता को भी अपने पूरे वित्तीय प्रोफ़ाइल की स्पष्ट तस्वीर मिलती है. विभाग की वेबसाइट पर नोटिस बोर्ड और FAQs को नियमित रूप से पढ़ना फायदेमंद रहता है.
टेक्नोलॉजी की बदौलत अब आयकर केस, किसी करदाता या कंपनी के खिलाफ सरकारी जांच या प्रोसिक्यूशन भी तेज़ हो गए हैं. ऑनलाइन ट्रैकिंग, ई‑सूचनाएं और डिजिटल दस्तावेज़ीकरण से आप केस की स्थिति कोリアल‑टाइम देख सकते हैं. कई टैक्स एडवाइज़र अब AI‑बेस्ड सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करके टैक्स रिटर्न का प्री‑व्यू और संभावित त्रुटियों की पहचान कर रहे हैं. इन टूल्स को अपनाने से रिटर्न में गलतियों की सम्भावना घटती है और ऑडिट का जोखिम कम होता है.
इन सभी पहलुओं को समझना और सही समय पर लागू करना, आयकर को एक बोझ नहीं बल्कि अपने वित्तीय स्वास्थ्य को मजबूत करने का ज़रिया बनाता है. नीचे आप देखेंगे विभिन्न लेख, गाइड और ताज़ा ख़बरें जो इस टैग के तहत इकट्ठा किए गए हैं – रिटर्न फाइल करने के टिप्स, नवीनतम स्लैब अपडेट, ई‑फाइलिंग स्टेप‑बाय‑स्टेप गाइड और बहुत कुछ. इस जानकारी को पढ़कर आप अपनी टैक्स फ़ाइलिंग को आसान और तनाव‑मुक्त बना सकते हैं.
CBDT ने FY 2024‑25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 30 सितम्बर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। इस कदम से ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं को राहत मिली है, जबकि ITR filing की तिथि अभी भी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि बहु‑स्थिति के कारण आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख भी 30 नवंबर तक बढ़ाई जा सकती है। विभिन्न करदाता वर्गों के लिये अलग‑अलग डेडलाइन निर्धारित की गई है।
आगे पढ़ें