जब आप CBDT घोषणा, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी नवीनतम कर नियम, नीति और समय‑सीमा की आधिकारिक घोषणा. इसे अक्सर CBDT समाचार कहा जाता है, तो यह टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स दोनों के लिए भरोसेमंद स्रोत बन जाता है। ये घोषणाएँ सीधे आयकर, व्यक्तियों और कंपनियों पर लागू आयकर नियम को बदलती हैं और अक्सर GST, सेवा कर और वस्तु एवं सेवा कर के अनुप्रयोग में समायोजन के साथ जुड़ी होती हैं। इसलिए, एक नई CBDT घोषणा आपके कर रिटर्न फाइलिंग, टैक्स बचत योजनाओं और व्यावसायिक रणनीतियों को सीधे प्रभावित करती है।
CBDT घोषणा की प्रमुख विशेषताओं को समझने के लिए तीन मुख्य घटकों को देखना ज़रूरी है: नीति‑परिवर्तन, प्रक्रिया‑सुधार और समय‑सीमा‑ऐलर्ट. नीति‑परिवर्तन आयकर स्लैब, छूट, कर‑क्रेडिट या वैट‑अधीन आय के वर्गीकरण में बदलाव ला सकता है। प्रक्रिया‑सुधार ऑनलाइन रिटर्न फ़ाइलिंग पोर्टल, e‑विट्स या पेमेंट गेटवे में नई सुविधा जोड़ता है, जिससे फ़ाइलिंग त्रुटि घटती है। समय‑सीमा‑ऐलर्ट टैक्सपेयर को नई डेडलाइन या छूट अवधि की सूचना देता है, जिससे लेट फीस और दंड से बचा जा सकता है। इन तीनों पहलुओं के बीच का कनेक्शन यह है कि नीति‑परिवर्तन अक्सर प्रक्रिया‑सुधार की मांग करता है, और दोनों को सही समय‑सीमा‑ऐलर्ट के साथ मिलाकर लागू किया जाता है।
पिछले कुछ महीनों में CBDT ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं। एक उल्लेखनीय घोषणा में वित्तीय नीति, सरकार की वार्षिक बजट‑संबंधी योजनाएँ और कर‑रिलेटेड दिशा‑निर्देश में आयकर स्लैब को पुन: समायोजित किया गया, जिससे मध्यम आय वर्ग के लिए टैक्स लाइटनिंग हुई। इसका सीधा असर तब दिखा जब कई कंपनियों ने अपने फ़ोरकास्टेड कर‑बिल्डिंग मॉडल को री‑कैल्कुलेट किया और कर्मचारियों को अधिक कर‑रहित बोनस देने की संभावना निकाली। दूसरी प्रमुख घोषणा में GST के रिवर्स चार्ज मैकेनिज़्म को सरल बनाया गया, जिससे छोटे व्यापारियों को इनवॉइस‑जेनरेशन में कमी आई। यह बदलाव कर रिटर्न, वर्ष‑भर के इनकम और टैक्स ड्यूटी का वार्षिक समावेशी फॉर्म की प्रक्रिया को तेज़ बनाता है। अब व्यापारियों को अपने GST रिटर्न साथ‑साथ आयकर रिटर्न भी एक ही पोर्टल पर लिंक करके दाखिल करने की सुविधा मिलती है। तीसरी घोषणा में आयकर विभाग ने डिजिटल भुगतान, UPI, नेट बैंकरिंग और मोबाइल वॉलेट के माध्यम से टैक्स भुगतान को प्रोत्साहित करने के लिए रिवॉर्ड पॉइंट्स स्कीम लाई। इस स्कीम के तहत 10,000 रुपये तक का टैक्स भुगतान करने वाले ग्राहकों को कर‑क्रेडिट या भविष्य के टैक्स भुगतान पर रियायत मिलती है। यह पहल टैक्सपेयर्स को डिजिटल ट्रैकिंग के साथ जल्दी भुगतान करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे दंड‑विलंब घटता है।
इन घोषणाओं को समझने के लिए एक साधारण चेक‑लिस्ट मददगार होती है:
CBDT ने FY 2024‑25 के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि 30 सितम्बर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। इस कदम से ऑडिट‑आवश्यक करदाताओं को राहत मिली है, जबकि ITR filing की तिथि अभी भी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि बहु‑स्थिति के कारण आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख भी 30 नवंबर तक बढ़ाई जा सकती है। विभिन्न करदाता वर्गों के लिये अलग‑अलग डेडलाइन निर्धारित की गई है।
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