आपने अक्सर समाचार में "जाति जनगणना" शब्द सुना होगा, पर असली में इसका मतलब क्या है? सरल भाषा में कहें तो यह एक विशेष सर्वेक्षण है जिसमें भारत की विभिन्न जातियों, उपजातियों और समुदायों की संख्या गिनी जाती है। सामान्य जनगणना से अलग, यहाँ सामाजिक वर्गीकरण पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है।
जनसांख्यिकीय डेटा इकट्ठा करने के लिए हर दस साल में एक बार आम जनगणना होती है, लेकिन जाति जनगणना एक अतिरिक्त प्रक्रिया है। यह सरकारी योजनाओं, आरक्षण नीति और सामाजिक असमानताओं को समझने में मदद करती है। जब सरकार ये आंकड़े जमा करती है, तो विभिन्न वर्गों की आर्थिक स्थिति, शिक्षा स्तर और रोजगार अवसर भी साथ मिलते हैं। इस कारण से नीतियों का सही दिशा में होना संभव होता है।
2025 में जारी हुए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार कई प्रमुख बदलाव सामने आए हैं। उदाहरण के तौर पर, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की कुल संख्या पिछले दशक से 7% बढ़ी है, जबकि कुछ पिछड़े वर्गों में गिरावट देखी गई। इन आँकड़ों ने राज्य‑स्तर पर आरक्षण प्रतिशत को पुनः विचार करने का दबाव बनाया है।
समाचार पोर्टल गणेशजिकीआरतī समाचार ने इस टैग से जुड़े कुछ प्रमुख लेख भी प्रकाशित किए हैं, जैसे कि "KCET 2025 Counselling" और "इजरायल की नक्शा विवाद"। यद्यपि ये लेख सीधे जाति जनगणना से नहीं जुड़े, पर इनका उपयोग आप अपने पढ़ने के अनुभव को विविध बनाने के लिए कर सकते हैं।
यदि आप इस डेटा का इस्तेमाल करने वाले शोधकर्ता या नीति निर्माता हैं, तो आपको यह जानकर खुशी होगी कि सरकार ने अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर प्री-लॉडेड फ़ाइलें उपलब्ध कराई हैं। इन फाइलों में प्रत्येक राज्य की जातीय संरचना, ग्रेडिंग और आर्थिक संकेतक शामिल हैं। इससे आप जल्दी से तुलना कर सकते हैं और अपनी रिपोर्ट में सटीक आँकड़े जोड़ सकते हैं।
आम जनता के लिए सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब सामाजिक असमानताओं को पहचानना आसान हो गया है। अगर किसी क्षेत्र में शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी दिखती है, तो सरकार सीधे उस वर्ग को लक्षित कर योजना बना सकती है। इस तरह जनगणना केवल आंकड़े नहीं, बल्कि सुधार का साधन बन जाता है।
अंत में, यदि आप जाति जनगणना से जुड़ी नवीनतम खबरें देखना चाहते हैं, तो हमारे टैग पेज पर नियमित रूप से अपडेट होते लेख पढ़ सकते हैं। प्रत्येक पोस्ट में शीर्षक, संक्षिप्त विवरण और प्रमुख कीवर्ड्स दिए जाते हैं, जिससे आपको जल्दी समझ आ जाता है कि कौन सा लेख आपके लिए उपयोगी होगा।
तो आगे बढ़ें, इस जानकारी का प्रयोग करके आप अपने समुदाय या व्यवसाय के लिए बेहतर निर्णय ले सकते हैं। जाति जनगणना सिर्फ आँकड़ा नहीं, बल्कि एक कदम है सामाजिक न्याय की ओर।
मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर के बीच 'जाति' टिप्पणी पर तीखा विवाद हुआ। ठाकुर ने गांधी पर परोक्ष तंज कसा और गांधी ने इसका तीव्रता से जवाब दिया। उन्होंने आईएनडीआईए गठबंधन के सत्ता में आने पर जाति जनगणना का वादा भी दोहराया।
आगे पढ़ें