आपने शायद टीवी या समाचार साइट पर वक्फ संशोधन विधेयक का नाम सुना होगा। यह एक नया कानून प्रस्ताव है जिसका मकसद मौजूदा वक्फ संपत्ति के प्रबंधन को बदलना है। सरल शब्दों में, सरकार उन जमीन और इमारतों की देखरेख करना चाहती है जो धार्मिक संस्थानों के पास हैं, ताकि उनका दुरुपयोग ना हो और जनता के काम आ सके।
सबसे पहले तो इस विधेयक का लक्ष्य स्पष्ट है – वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ाना। अब तक कई बार यह खबर आई कि कुछ मंदिरों या मस्जिदों की जमीन को निजी व्यवसायी लेकर ले जाते हैं, जबकि नियम नहीं बदलते थे। नया बिल इनको रोकने के लिए एक स्वतंत्र बोर्ड बनाता है, जो हर सौदा और बहीखाते की जाँच करेगा। इससे आम जनता को भरोसा मिलेगा कि उनका धर्मस्थल सुरक्षित है।
दूसरा बड़ा पॉइंट यह है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का सही उपयोग होना चाहिए। कई जगहों पर दान के पैसे को स्कूल, अस्पताल या गरीब मदद में नहीं लगाया गया था। इस विधेयक के तहत एसे फंड अब सीधे सामाजिक कार्यों में लगेंगे, जिससे लाभ उठाने वालों की गिनती घटेगी और जरूरतमंद लोगों को असली मदद मिलेगी।
विधेयक अभी संसद के दोनों सदनों में चर्चा का विषय बन चुका है। विपक्षी दल इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानते हैं, जबकि सरकार कहती है कि यह सिर्फ व्यवस्था सुधारेगा। अगर इस विधेयक को मंजूरी मिल जाती है, तो कई संस्थानों को नए नियमों के हिसाब से अपने दस्तावेज़ अपडेट करने पड़ेंगे। छोटे मंदिर या स्थानीय मस्जिदें भी अब डिजिटल रजिस्टर रखनी शुरू कर सकती हैं।
अगर यह पारित नहीं हुआ, तो वर्तमान स्थिति जारी रहेगी और कभी‑कभी भ्रष्टाचार की खबरें सामने आएँगी। इस कारण से कई सामाजिक संगठनों ने पहले ही सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया है, ताकि लोगों को पता चले कि उनका हक क्या है और कैसे बचाव करें।
आपको अब भी कुछ सवाल लग रहे हों – जैसे यह किस पर लागू होगा या आपके इलाके में इसका असर क्या पड़ेगा – तो स्थानीय समाचार पोर्टल या सरकारी वेबसाइट पर अपडेट देख सकते हैं। याद रखें, जब तक आप खुद जानकारी नहीं जुटाएंगे, तब तक आपका अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित नहीं रह सकता।
समय के साथ इस विधेयक की बातें बदल सकती हैं, इसलिए नियमित रूप से जाँचते रहें। यदि आप वक्फ संपत्ति के प्रबंधन में रुचि रखते हैं या किसी संस्था से जुड़े हैं, तो यह बदलाव आपके काम को सीधे प्रभावित करेगा। यही कारण है कि इस पर नज़र रखनी ज़रूरी है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को राज्यसभा में गहन बहस के बाद 128-95 वोटों से पारित किया गया। लोकसभा में इसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी। विधेयक में वक्फ संगठनों के योगदान में कटौती, उच्च कमाई वाले निकायों के लिए ऑडिट और समावेशिता के लिए गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करना शामिल है। विपक्ष ने इसे विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया।
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