आपने सुना होगा कि देश में कई चैरिटी संस्थाएँ हैं, लेकिन विष्मशांति फाउंडेशन खास इसलिए है क्योंकि इसका काम जमीन से जुड़ा है। स्कूलों के लिए पुस्तक दान, गाँव‑गाँव में स्वच्छता अभियान और छोटे व्यवसायियों की मदद – ये सब इस फाउंडेशन के मुख्य प्रोजेक्ट्स हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि आजकल इनके क्या‑क्या पहल चल रही हैं, तो नीचे पढ़ें।
फाउंडेशन ने पिछले साल 20 गाँव में मुफ्त स्वास्थ्य कैंप लगाए। डॉक्टरों की टीम और दवाइयाँ स्थानीय लोगों को बिना किसी खर्च के मिलती थीं। इसी दौरान, उन्होंने 5 स्कूलों में लाइब्रेरी स्थापित कर 3,000 से ज्यादा बच्चों को पढ़ने का मौका दिया। इन कदमों से न सिर्फ रोग‑मुक्त जीवन मिला बल्कि बच्चे भी बेहतर सीख रहे हैं।
एक और बड़ी पहल है ‘स्मार्ट स्कॉलरशिप’ – यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ऑनलाइन ट्यूशन, लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन देती है। इससे ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल शिक्षा का दरवाजा खुला। आपके पास अगर कोई बच्चा या किशोर है जो पढ़ाई में पीछे है, तो इस फाउंडेशन की मदद ले सकते हैं।
पर्यावरण की रक्षा भी विष्वशांति फाउंडेशन का लक्ष्य है। उन्होंने ‘हर घर में एक पेड़’ अभियान चलाया, जहाँ प्रत्येक परिवार को 3 पौधे मुफ्त मिलते हैं। इस पहल से न सिर्फ हवा साफ हुई बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़े।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में फाउंडेशन ने सिलाई‑कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र खोले। यहाँ महिलाएँ बिना पूर्व अनुभव के भी छोटे व्यापार शुरू कर सकती हैं और अपनी आय बढ़ा सकती हैं। कई महिलाओं ने पहले ही अपने खुद के घर‑आधारित शॉप खोल ली हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है।
अगर आप स्वयं दान देना चाहते हैं या स्वयंसेवा करना चाहते हैं, तो फाउंडेशन की वेबसाइट पर आसान फ़ॉर्म उपलब्ध है। छोटी-छोटी राशि भी बड़े बदलाव का कारण बन सकती है—जैसे एक स्कूल में किताबें, एक क्लिनिक में औषधि या एक महिला के लिए सिलाई मशीन।
समाप्त करने से पहले याद रखें: चैरिटी सिर्फ दान नहीं, बल्कि सामुदायिक जुड़ाव भी है। विष्वशांति फाउंडेशन की कहानियों को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि छोटे‑छोटे कदम कैसे बड़े बदलाव लाते हैं। अगली बार जब आपको अवसर मिले—चाहे मदद करने का या सीखने का—तो इस फ़ाउंडेशन पर एक नजर जरूर डालें।
मलयालम सुपरस्टार मोहनलाल ने वायनाड में भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और विष्वशांति फाउंडेशन से 3 करोड़ रुपये के योगदान की घोषणा की। उन्होंने स्थानीय और बचाव कार्यकर्ताओं से मिलकर व्यापक योगदान की आवश्यकता पर बल दिया।
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